जीतनराम मांझी को इस तरह यूज करते थे नेता, कभी दलित बस्ती में जाकर यूं कांग्रेस के लिए मांगते थे वोट

पटना (Bihar) । बिहार विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री और महादलित नेता जीतनराम मांझी का नाम सुर्खियों में है। नीतीश कुमार ने उन्हें फिर से अपने साथ ले लिया है। माना जा रहा है कि वो एनडीए में दलित वोटों वाली लोक जनशक्ति पार्टी के आगे नीतीश की ढाल हैं। मांझी ऐसे नेता हैं जो सियासत में सिद्धांत से ज्यादा समय को अहमियत देते रहे हैं।
 

Asianet News Hindi | Published : Sep 8, 2020 6:05 AM IST / Updated: Sep 09 2020, 12:48 PM IST

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जीतनराम मांझी को इस तरह यूज करते थे नेता, कभी दलित बस्ती में जाकर यूं कांग्रेस के लिए मांगते थे वोट


मांझी के मुताबिक कॉलेज टाइम में जब चुनाव आता तो लोग उन्हें गाड़ी में बैठा लेते थे, जब दलित बस्ती में जाते थे कहते थे ये मजदूर का बेटा है। इसे सरकार स्टाइपेंड देती है और यह पढ़ाई करता है। आप कांग्रेस को वोट दो, हम आपका काम करवाएंगे, जिसके बाद मैंने सोचा जब मैं इनके नाम पर वोट मांग सकता हूं तो क्यों नहीं अपने लिए वोट मांग सकता।
(फाइल फोटो)

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कॉलेज लाइफ से ही जीतनराम मांझी के दिमाग में राजनीति की बात आ गई। वे ग्रेजुएशन के बाद टेलीफोन विभाग में नौकरी करने लगे। एक दशक तक नौकरी करने के बाद जब छोटा भाई पुलिस अधिकारी बना तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी और सीधे विधानसभा चुनाव में कूद गए। जीते और मंत्री बने। तबसे उन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा।(

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साल 1980 में कांग्रेस के टिकट पर फतेहपुर क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे मांझी, तुरंत मंत्री बनाए गए थे। मुख्यमंत्री बनने से पहले बिंदेश्वरी दुबे, सत्येंद्र नारायण सिन्हा, जगन्नाथ मिश्र, लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और नीतीश कुमार के मुख्यमंत्रीत्व काल में भी मंत्री के रूप में काम किया है।

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साल 1990 में कांग्रेस के अंत को भांप जनता दल में शामिल हो गए थे। छह साल बाद ही वह राजद में शामिल हुए। 2005 में जब जदयू के दिन फिरे तो वह जदयू के साथ आ गए। इसके बाद मांझी मुख्यमंत्री बने।
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2015 के सत्ता संघर्ष में नीतीश कुमार से मात खाने के बाद उन्होंने हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा नामक अपनी पार्टी बना ली। महागठबंधन में शामिल होने के बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली, अलबत्ता राजद की मदद से अपने बेटे संतोष सुमन को एमएलसी बनवाने में कामयाब हो गए।

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कांग्रेस के साथ अपना राजनीतिक सफर शुरू करने वाले मांझी कई बार पाला बदल चुके हैं। वर्ष 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान जेडीयू की करारी हार पर सीएम नीतीश कुमार के कुर्सी छोड़ने के बाद जीतन राम मांझी सीएम बने थे। वे सियासत में सिद्धांत से ज्यादा समय को अहमियत देते रहे हैं। अब चुनावों के ऐन पहले मांझी एनडीए में शामिल हुए हैं।

(फाइल फोटो)

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