बिहार के सातवीं बार सीएम बने नीतीश कुमार, इनके बारे में कितना जानते हैं आप

पटना (Bihar) । बिहार में आज एनडीए की सरकार बन गई। नीतीश कुमार सातवीं बार मुख्यमंत्री पद के तौर पर शपथ लिए हैं। बता दें इसी के साथ उन्होंने लगातार 4 बार सीएम बनने का भी रिकॉर्ड बिहार में बना दिए। जिनके बारे में हम आपको बता रहे हैं, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 15, 2020 9:27 AM IST / Updated: Nov 16 2020, 04:45 PM IST
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बिहार के सातवीं बार सीएम बने नीतीश कुमार, इनके बारे में कितना जानते हैं आप

नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को पटना के एक गांव बख्तियारपुर में कविराज राम लखन सिंह और परमेश्वरी देवी के यहां हुआ था। 

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बताते हैं कि नीतीश कुमार साल 1973 में इंटरकास्ट मैरिज की थी। वे ओबीसी समुदाय से आते हैं और जाति के कुर्मी हैं। उनकी पत्नी मंजू कुमारी सिन्हा भी कुर्मी समुदाय से ही आती हैं। बता दें कि बिहार में कायस्थ भी सिन्हा सरनेम लिखते हैं। मंजू कुमारी सिन्हा सरकारी स्कूल में शिक्षिका थी, जिनका 2007 में निधन हो गया।

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सीएम नीतीश कुमार के इकलौते संतान निशांत कुमार हैं, जिनका जन्म 20 जुलाई 1975 को हुआ था। वो शादीशुदा हैं। बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान-मेसरा से इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। लेकिन, अपने पिता के साथ एक अणे मार्ग में ही रहते हैं।

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नीतीश के पिता एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और कांग्रेस से जुड़े थे। लेकिन, जब उन्हें कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला तो वह जनता पार्टी का हिस्सा बन गए थे। 
 

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बैचलर ऑफ इन इंजीनियरिंग करने के बाद नीतीश कुमार 1974 से 1977 तक चले जेपी आंदोलन में बढ़-चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाई थी। वो पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिन्हा के करीबी थे। 26 साल की उम्र में नीतीश कुमार ने पहली बार 1977 के विधानसभा चुनाव हरनौत सीट से जनता पार्टी के टिकट पर  लड़े थे। लेकिन, हार गए। 

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साल 1980 में हरनौत से ही जनता पार्टी (सेक्युलर) के टिकट चुनाव लड़ें। मगर, जीत न सकें। लगातार दो हार के बाद उन्होंने राजनीति छोड़ने का मूड बना लिया था। बताते हैं कि सरकारी ठेकेदार बनना चाहते थे, इसके लिए प्रयास भी शुरू किए थे, किंतु ऐसा नहीं हुआ और 1985 में तीसरी बार फिर हरनौत सीट से लोकदल ने उन्हें टिकट दे दिया। हालांकि इस बार 21 हजार से ज्यादा वोटों से जीत गए थे।

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1985 में पहली बार विधायक बनने के बाद नीतीश 1989 के लोकसभा चुनाव में बाढ़ से जीतकर लोकसभा पहुंचे। उसके बाद 1991 में लगातार दूसरी बार यहीं से लोकसभा चुनाव जीते। नीतीश 6 बार लोकसभा के सांसद रहे हैं। तीसरी बार 1996, चौथी बार 1998, 5वीं बार 1999 में लोकसभा चुनाव जीते।

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बताते हैं कि पहली बार लोकसभा में पहुंचने पर नीतीश कुमार केंद्रीय राज्यमंत्री बनाए गए थे। उन्हें भूतल परिवहन और रेलवे मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन, गैसल में हुई एक ट्रेन दुर्घटना के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा से दिया और कृषि मंत्री बने थे। 

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नीतीश कुमार ने अपना आखिरी लोकसभा चुनाव 2004 में लड़ा था। उस चुनाव में नीतीश बाढ़ और नालंदा दो जगहों से खड़े हुए थे। हालांकि, बाढ़ सीट से वो हार गए और नालंदा से जीत गए। ये नीतीश का आखिरी चुनाव भी था। इसके बाद से नीतीश ने कोई चुनाव नहीं लड़ा है।

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2000 के विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी या गठबंधन को बहुमत नहीं मिला। तब वो अटल सरकार में कृषि मंत्री थे। चुनाव के बाद भाजपा के समर्थन से पहली बार 3 मार्च 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री की शपथ ली थी। हालांकि, बहुमत नहीं होने के कारण उन्हें 7 दिन में इस्तीफा देना पड़ा था और राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं।

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 नवंबर 2005 में नीतीश दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। इस बार भाजपा-जदयू गठबंधन के पास बहुमत था। अगले साल नीतीश पहली बार विधान परिषद के सदस्य बने।

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नवंबर 2005 से लेकर अब तक नीतीश लगातार बिहार के सीएम रहे हैं। हालांकि, मई 2014 से फरवरी 2015 के बीच जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री रहे हैं। 2018 में नीतीश तीसरी बार विधान परिषद के सदस्य बने हैं और 2024 तक रहेंगे। उन्होंने 1995 के बाद कोई विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा है।

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 साल 2018 में दिए गए संपत्ति के ब्यौरे के मुताबिक बिहार के सीएम नीतीश कुमार की कुल संपत्ति 56.23 लाख रुपए है। इसमें चल संपत्ति 16.23 लाख रुपए है, 1000 स्क्वायर फीट का फ्लैट दिल्ली में हैं, जिसकी कीमत 40 लाख रुपए है।

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आध्यात्म में रूचि रखने वाले निशांत अपने पिता पर ही निर्भर हैं। जबकि, उनके पास कुल संपत्ति 2.43 करोड़ हैं। इनमें चल संपत्ति 1.18 करोड़ और अचल संपत्ति 1.25 करोड़ रुपए है। इकलौते संतान होने के कारण माता-पिता की संपत्ति पर उनका ही मालिका हक है। 

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करीब एक साल पहले एक इंटरव्यू में निशांत ने कहा था कि वह कभी भी पिता की तरह राजनीति में नहीं आएंगे, बल्कि आजीवन अपना जीवन अध्यात्म की ओर ही समर्पित करेंगे। क्योंकि, ना तो राजनीति में किसी प्रकार की रुचि है ना ही समझ है। इस वजह से वह इस क्षेत्र में नहीं आना चाहते हैं।
(फाइल फोटो)

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