रघुवंश को पहले ही हो गया था मरने का आभास, CM नीतीश से जता दी थी अंतिम इच्छा, किए थे ये 4 आग्रह

पटना (Bihar) । समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad Singh) की अंतिम यात्रा थोड़ी ही देर में उनके पटना  (Patna) स्थित आवास से निकलेगा। दोपहर बाद उनका अंतिम संस्कार उनके गांव मजलिसपुर (Majlispur) किया जाएगा। इसके लिए रविवार की रात उनका पार्थिव शव बिहार विधानसभा परिसर में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया और फिर पटना स्थित उनके आवास कौटिल्य नगर में ले जाया गया था। जहां सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) सहित सभी दलों के नेता उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंच रहे हैं। बता दें कि संभवतः डॉ. रघुवंश बाबू को दो दिन पहले 10 सितंबर को ही अहसास हो गया था कि वे अब ज्यादा दिन नहीं रहेंगे। इसलिए उन्होंने अंतिम इच्छा बताते हुए सीएम नीतिश कुमार को पत्र लिखा और पूरा करवाने का भी आग्रह किया। जिसके बारे में आज हम आपको बता रहे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 14, 2020 3:30 AM IST
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रघुवंश को पहले ही हो गया था मरने का आभास, CM नीतीश से जता दी थी अंतिम इच्छा, किए थे ये 4 आग्रह

रघुवंश प्रसाद सिंह ने 10 सितंबर को कुछ देर के लिए आईसीयू में ऑक्सीजन का सहारा हटाया गया था। जिसके बाद उन्होंने पहले सादे कागज पर पार्टी से नाता तोड़ने की चिट्ठी लालू के नाम लिखी। फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम चार पत्र लिखे। जिन कार्यों को वे पूरा नहीं कर पाए, उन्हें पूरा कराने का आग्रह किया।

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रघुवंश प्रसाद सिंह ने सीएम नीतीश कुमार से आग्रह किया था कि मनरेगा में मजदूरी भुगतान में एससी-एसटी व सभी जाति के किसानों की जमीन शामिल कराएं। आचार संहिता लागू होने से पहले ये बदलाव हो जाए तो किसानों को लाभ मिलेगा। रकबा के अनुसार मजदूर संख्या तय हो और आधी-आधी मजदूरी सरकार-किसान दोनों वहन करें।

(फाइल फोटो)

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रघुवंश प्रसाद सिंह ने सीएम नीतीश कुमार से आग्रह किया था कि गणतंत्र की जन्मस्थली वैशाली में 2 जनवरी और 15 अगस्त को सरकारी समारोह में झंडोत्तोलन कराया जाए। झारखंड बनने के पहले जैसे रांची में 15 अगस्त को राज्यपाल व 26 जनवरी को मुख्यमंत्री झंडा फहराते थे, वैशाली में वैसा ही समारोह मनाया जाए।
(फाइल फोटो)

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रघुवंश प्रसाद सिंह ने सीएम नीतीश कुमार से आग्रह किया था कि भगवान बुद्ध के अंतिम भिक्षापात्र को काबुल से मंगवाएं। बुद्ध का पवित्र भिक्षापात्र कंधार में नहीं सुरक्षा कारणों से अब काबुल म्यूजियम में है। भगवान बुद्ध ने अंतिम वर्षावास में वैशाली छोड़ने के समय अपना भिक्षापात्र स्मारक के रूप में वैशाली वालों को दिया था।

 

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गांधी सेतु पार करते हाजीपुर में भव्य गेट बनवाया जाए। गेट पर ‘विश्व का प्रथम गणतंत्र, वैशाली’ लिखा जाए। वैशाली में किसी जगह ‘दिनकर जी’ और ‘मनोरंजन बाबू’ की वैशाली के बारे में लिखी कविताएं अंग्रेजी, हिन्दी व पाली में मोटे अक्षरों में लिखवाई जाएं।

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