ये हैं बिहार के दो 'माउंटेन मैन', एक ने पत्नी की मोहब्बत में पहाड़ का सीना चीर सड़क बनाई तो दूसरे ने नहर

पटना (Bihar) । बिहार की धरती से अब दो 'माउंटेन मैन' (mountains) हो गए। दशरथ मांझी ( Dashrath Manjhi) और लौंगी भुइया ( Longi Bhuiya)। हालांकि इनका एक-दूसरे से कोई नाता नहीं। लेकिन, इन्होंने जो काम किया है वो इन्हें एक-दूसरे से जोड़ता है। दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी (wife) की मोहब्बत (Love) में पहाड़ (mountain) का सीना चीरकर सड़क बना दी थी। उन्हीं के नक्शे कदम पर लौंगी भुइया ने भी सालों की मेहनत के बाद तीन किमी जमीन खोदकर नहर बना दी। हर जगह इसकी चर्चा है। बता दें कि दशरथ मांझी का 2007 में कैंसर से दिल्ली के एम्स (AIIMS OF DELHI) में निधन हो गया था। आइये जानते हैं, बिहार के इन दोनों लाल की पूरी कहानी।

Asianet News Hindi | Published : Sep 16, 2020 10:42 AM IST / Updated: Sep 20 2020, 09:08 AM IST
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ये हैं बिहार के दो 'माउंटेन मैन', एक ने पत्नी की मोहब्बत में पहाड़ का सीना चीर सड़क बनाई तो दूसरे ने नहर


दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी के लिए छेनी और हथौड़ी से अकेले 360 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काटकर 22 साल में रास्ता बनाया था। इस रास्ते के ना होने की वजह से पहले लोगों को 70 किमी ज्यादा चलना पड़ता था, लेकिन दशरथ मांझी ने इसे एक किमी कर दिया था। (फाइल फोटो)

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहलोर में दशरथ मांझी के नाम पर 3 किमी लंबी एक सड़क और हॉस्पिटल बनवाने का फैसला किया। मांझी के जीवन पर जब फिल्म बनने की बात चली तब वे अपनी अंतिम सांसें गिन रहे थे। उन्होंने एक ऐग्रीमेंट पेपर पर अपने अंगूठे का निशान लगाकर फिल्म बनाने की अनुमति दी थी। (फाइल फोटो)

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फिल्म मांझी- द माउंटेन मैन के निर्देशक केतन मेहता ने इस फिल्म के एक-एक किरदार को जीवंत करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मांझी की मुख्य भूमिका निभाई थी। कुछ ऐसी ही कहानी कोठिलवा गांव के रहने वाले लौंगी भुइंया की भी है। (फाइल फोटो)

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लौंगी भुइंया के चार बेटे हैं, काम-धंधे की तलाश में घर छोड़कर चले गए हैं। जिसके चलते उनका मन नहीं लगता था और वह सटे बंगेठा पहाड़ पर बकरी चराते। एक दिन में मन में ख्याल आया कि अगर गांव में पानी आ जाए तो पलायन रुक सकता है। फसल उगाई जा सकती है। (फाइल फोटो)

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लौंगी ने देखा कि बरसात के दिनों में वर्षा तो होती है मगर सारा पानी बंगेठा पहाड़ के बीच में ठहर जाता है, उन्हें इससे उम्मीद की रोशनी दिखी। फिर पूरे इलाके में घूमकर पहाड़ पर ठहरे पानी को खेत तक ले जाने का नक्शा तैयार किए और पहाड़ को काटकर नहर बनाने के काम में जुट गए। (फाइल फोटो)

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सालों परिश्रम के बाद उन्होंने पहाड़ के पानी को गांव के तालाब तक पहुंचा दिया। अकेले फावड़ा चलाकर तीन किलोमीटर लंबी, पांच फीट चौड़ी और तीन फीट गहरी नहर बना दी। इसी साल अगस्त में लौंगी भुइंया का यह काम पूरा हुआ है और बरसात में उनकी मेहनत का असर दिख रहा है। (फाइल फोटो)

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आसपास के तीन गांव के किसानों को इसका फायदा मिल रहा है, लोगों ने इस बार धान की फसल भी उगाई है। 

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अब लोग लौंगी भुइंया को नया माउंटेन मैन कहने लगे हैं। लौंगी भुइंया को उम्मीद है कि बाकी बेटे भी वापस घर आएंगे। बेटों ने ऐसा करने का वादा भी किया है। 

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