मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बचपन के उनके मित्र राजाराम शर्मा ओकरी हाईस्कूल में टीचर बन गए थे। वे उनकी बेरोजगार देखकर शिक्षक बनने की सलाह दिया करते थे। मगर, महेंद्र प्रसाद यह कहते हुए मना कर देते थे कि मर जाना पसंद करूंगा, पर नौकरी नहीं करूंगा। बता दें कि उस समय शिक्षक की नौकरी आसानी से मिल जाती थी और वेतन बहुत कम होता था।