अंडे बेंचे, बार-बार परीक्षा में हुआ फेल, 5वें प्रयास में अफसर बना था बिहार का ये लाल

पटना (Bihar) ।  बिहार की पहचान इंजीनियरिंग (Engineering), मेडिकल (Medical), क्लर्कियल और सिविल सर्विसेज एग्जाम (Civil services exam) पास करने वाले छात्रों की वजह से भी है। राज्य में बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों के सक्सेस की कहानी (Success story) देशभर को अचंभे में डाल देती है। इन्हीं में से एक कहानी सुपौल जिले (Supaul District) के मनोज कुमार राय (Manoj Kumar Rai) की भी है। बिहार के इस लाल के संघर्ष की कहानी हर किसी के लिए प्रेरणास्पद है। मनोज ऐसे छात्र हैं जिन्होंने अंडे बेचकर पढ़ाई की और कई बार फेल होने के बावजूद हार नहीं मानी और यूपीएससी परीक्षा (UPSC exam) को पांचवें प्रयास में पास किया था।
(बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनावी हलचल के बीच हम अपने पाठकों को 'बिहार के लाल' सीरीज में कई हस्तियों से रूबरू करा रहे हैं। इस सीरीज में राजनीति से अलग उन हस्तियों के संघर्ष और उपलब्धि के बारे में बताया जा रहा है जिन्होंने न सिर्फ बिहार बल्कि देश दुनिया में भारत का नाम रोशन किया।)

Asianet News Hindi | Published : Sep 17, 2020 12:57 PM IST / Updated: Sep 20 2020, 11:14 AM IST
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अंडे बेंचे, बार-बार परीक्षा में हुआ फेल, 5वें प्रयास में अफसर बना था बिहार का ये लाल


मनोज कुमार जब वह स्कूल जाते थे तो उनके घर पर यही बताया जाता था कि पैसा कमाना शिक्षित होने से ज्यादा जरूरी है। इसलिए उन्हें पैसा कमाने पर ध्यान देना चाहिए न कि बहुत पढ़ने पर। इसी सोच के साथ मनोज 12वीं तक की पढ़ाई पूरी कर 1996 में नौकरी की तलाश में दिल्ली पहुंच गए। आम गरीब बिहारी परिवारों में बच्चों के जवान होने पर उम्मीद की जाती है कि वो भी घर चलाने में मदद करेंगे।  (फाइल फोटो)

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गांव से बड़े शहर में रहने का बदलाव मनोज के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। नौकरी पाने में असफल रहने पर उनका हौसला नहीं टूटा। उन्होंने चुनौती का सामना किया और अंडे और सब्जी की दुकान खोलने का फैसला किया।(फाइल फोटो)
 

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मनोज ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में राशन पहुंचाने का काम भी शुरू कर दिया। इसी दौरान उनकी मुलाकात वहां के एक छात्र उदय कुमार से हुई, जो सुपौल के ही थे। दोस्ती होने पर उदय कुमार ने मनोज को पढ़ाई पूरी करने की सलाह दी। मनोज को लगा कि डिग्री हासिल करने से मुझे एक अच्छी नौकरी मिल जाएगी। इसके बाद उन्होंने अरबिंदो कॉलेज (इवनिंग) में एडमिशन ले लिया और अंडा-सब्जियां बेचते हुए 2000 में ग्रैजुएशन पूरा किया।(फाइल फोटो)

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मनोज बताते हैं कि उदय ने सुझाव दिया कि वह यूपीएससी की परीक्षा दें। लेकिन, उनके पास वित्तीय संसाधन नहीं थे। तभी, 2001 में एक दूसरे दोस्त ने पटना विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में पीएचडी प्रोफेसर राम बिहारी प्रसाद सिंह से उनकी मुलाकात करा दी। मनोज ने भूगोल विषय को यूपीएससी के लिए वैकल्पिक के रूप में लिया और आगे की तैयारी के लिए पटना चले आए।(फाइल फोटो)

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मनोज ने पटना में तीन साल तैयारी की और 2005 में पहली बार यूपीएससी के लिए एग्जाम दिया। इस दौरान उन्होंने स्कूल के छात्रों का निजी ट्यूशन लिया, ताकि वे खुद का खर्चा निकाल सकें।(प्रतीकात्मक फोटो)

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मनोज दुर्भाग्यवश, पहली बार की परीक्षा को पास नहीं कर सके, और बिहार से वापस दिल्ली चले गए। लेकिन, तैयारी बंद नहीं किए। नतीजा रहा कि 2010 में पांचवें प्रयास में वह यूपीएससी परीक्षा पास कर लिए। वह अपनी सफलता का श्रेय उनके दोस्तों द्वारा समय-समय पर देते हैं, जो सही गाइड किए। (फाइल फोटो)

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