वो अंधेरी खौफनाक रात जब पप्पू यादव पर चली 10 हजार राउंड गोलियां, फोर्स नहीं पहुंचती तो हो जाती मौत

मधेपुरा/पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भी कई बाहुबली और उनके रिश्तेदार चुनावी अखाड़े में भाग्य आजमा रहे हैं। बिहार ऐसा राज्य है जहां की राजनीति में बाहुबलियों का दखल हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। आनंद मोहन और पप्पू यादव दोनों राजनीति में खूब चमके और कहा जाता है कि इनका बैकग्राउंड बाहुबल ही था। दोनों के बीच शुरुआती वर्चस्व की कहानियां भी तमाम दावों के साथ सुनाई जाती हैं। मगर पहली बार जन अधिकार पार्टी के चीफ और पूर्व दिग्गज सांसद पप्पू यादव ने खुलासा किया है कि कभी भी आनंद मोहन के साथ उनकी अदावत नहीं रही। पप्पू यादव ने कहा- "वो स्कूल-कॉलेज के दिन थे जिसमें बाहुबल से कहीं ज्यादा हीरोपंती स्थानीय जाति की राजनीति थी।" 
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 5, 2020 5:14 AM IST
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वो अंधेरी खौफनाक रात जब पप्पू यादव पर चली 10 हजार राउंड गोलियां, फोर्स नहीं पहुंचती तो हो जाती मौत

बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए और महागठबंधन के सामने तीसरा विकल्प देने की कोशिश कर रहे पप्पू यादव ने कहा कि आनंद मोहन के साथ उनकी अदावत को लेकर जो दावे किए जाते हैं वो बिल्कुल झूठ हैं। पप्पू यादव ने कहा- "वो तो बस कॉलेज के दौरान की हीरोपंती थी। फलाने मेरी जात का हीरो है। मेरी कभी उनके साथ (आनंद मोहन) दुश्मनी नहीं थी। ब्राह्मण ठाकुर और मुसलमान थे। मुझे बहुत बाद में पता चला कि जाति होती क्या है।"  

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एक यूट्यूब इंटरव्यू में पप्पू यादव ने कहा- शरद यादव के चुनाव में समाज के दो वर्गों के बीच बड़ा संघर्ष हो गया था। आनंद मोहन के समर्थकों ने तब कई कार्यालय जला दिए थे। जातियों में वर्ग संघर्ष हो गया। और लोगों ने उसमें आनंद मोहन के सामने मेरा नाम आगे कर दिया। जबकि मैं कहीं था ही नहीं। इसी तरह मधेपुरा के एक गांव में दलितों पर गोली चलाई गई। जब हम वहां पहुंचे, हम पर करीब 10 हजार राउंड गोली चली। 8 घंटे तक हम पर गोली चलती रही। 

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पप्पू यादव ने कहा- "मेरे पास उस वक्त फोर्स थी। अगर उस रात एसपी और डीएम मौके पर नहीं पहुंचते तो मेरी मौत निश्चित थी। उस घटना में तीन लोग मारे गए थे। कई जख्मी हो गए थे।" जेएपी नेता ने कहा- "उस घटना में भी मेरा नाम आगे कर दिया।" पप्पू यादव खुद को बाहुबली नहीं मानते। 

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बताते चलें कि कई बार लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले पप्पू यादव इस बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। पप्पू हत्या के मामले में जेल की लंबी सजा काट चुके हैं। हालांकि बाद में वो रिहा हो गए और सोशल वर्क और राजनीति में ही सक्रिय रहे। आनंद मोहन फिलहाल जेल में हत्या के एक मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। मगर उनकी पत्नी लवली आनंद और बेटा आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है। आनंद भी खुद को निर्दोष बताते हैं। (फोटो: पत्नी लवली के साथ आनंदमोहन) 

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पप्पू यादव काफी लंबे वक्त तक लालू यादव की आरजेडी में रहे। विधानसभा और लोकसभा का प्रतिनिधित्व भी किया। लेकिन 2015 में मतभेदों के बाद आरजेडी से अलग हो गए। 2015 में ही पप्पू यादव ने जन आधिकार पार्टी का गठन किया। इस बार उनकी पार्टी ने बिहार के छोटे दलों को मिलकर प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन बनाया है। 

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एनडीए और महागठबंधन के सामने प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन की ओर से पप्पू यादव सीएम फेस हैं। खुद मधेपुरा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। यह भी दिलचस्प है कि पप्पू यादव की पत्नी रंजीता कांग्रेस की सक्रिय नेता हैं। रंजीता भी पति की तरह लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।  

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