ये है वो शख्स जिसे बिहार के बाहुबली मानते थे गुरु, दबदबा ऐसा कि निर्दलीय जीत लिया था लोकसभा चुनाव

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Polls 2020) में दागी उम्मीदवारों को लेकर इस बार भी बहस तेज है। न सिर्फ दागी बल्कि सभी दलों ने संगीन मामलों में आरोपी, जेल में बंद और फरार बाहुबलियों या उनकी पत्नी को टिकट दिया है। किसी पार्टी में कम या ज्यादा बाहुबली उम्मीदवार हो सकते हैं, लेकिन कोई दल इस आरोप से नहीं बच सकता कि उसने बाहुबलियों को टिकट नहीं दिया है। इनमें से कांग्रेस (Congress) के टिकट पर चुनाव लड़ रहे काली प्रसाद पांडे (Kali Prasad Pandey) भी दिलचस्प उम्मीदवार हैं। हालांकि काली खुद को बाहुबली मानने से इनकार करते हैं और दावा कटे हैं कि उनके ऊपर सिर्फ एक मामला दर्ज है वो भी चुनाव के कोड ऑफ कंडक्ट का। आइए जानते हैं काली प्रसाद पांडे कौन हैं जिन्हें एक दौर में राज्य के बाहुबलियों का गुरु माना जाता था। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 17, 2020 7:15 AM IST

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ये है वो शख्स जिसे बिहार के बाहुबली मानते थे गुरु, दबदबा ऐसा कि निर्दलीय जीत लिया था लोकसभा चुनाव

काली प्रसाद पांडे कुचियाकोट विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। यहां जेडीयू (JDU) के मौजूदा बाहुबली अमरेन्द्र पांडे से उनका मुक़ाबला है। विधायक कांग्रेस में आने से पहले वो चिराग पासवान (Chirag Paswan) की एलजेपी (LJP) में थे। काली का राजनीतिक करियर 80 के दशक में शुरू हुआ था। काली के रुतबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1984 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने गोपालगंज सीट से निर्दलीय चुनाव जीत लिया था।

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काली पांडे ने बाद में राजीव गांधी का सपोर्ट किया और 1989 में कांग्रेस में शामिल हो गए। 1989 और 1991 में काली पांडे ने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़कर लालू यादव की आरजेडी जॉइन कर ली और 1999 में लोकसभा का चुनाव भी लड़ा। 
 

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2003 में रामविलास पासवान ने उन्हें एलजेपी में आने का न्योता दिया। 2003 में एलजेपी में शामिल हुए। पिछले 10 साल से एलजेपी में राष्ट्रीय महासचिव, प्रवक्ता जैसी जिम्मेदारियां निभाते आ रहे हैं। उत्तर बिहार के इलाकों में मजबूत पकड़ है। न सिर्फ ब्राह्मण बल्कि अन्य समाज में भी अच्छी पकड़ है और रॉबिनहुड की छवि है। 
 

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काली पांडे चिराग पासवान पर आरोप लगाते हैं। उनके मुताबिक चिराग अपने पिता जैसे बिल्कुल नहीं हैं। उनसे संपर्क, बातचीत करने में भी दिक्कत होती है। काली खुद को बाहुबली नहीं मानते हैं लेकिन बिहार के कुछ चर्चित मामलों में उनका नाम आ चुका है। 1987 में आई रामोजी राव की एक फिल्म 'प्रतिघात' में विलेन 'काली प्रसाद' का चरित्र बाहुबली नेता से ही प्रेरित बताई जाती है। 
 

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काली का दावा है कि गोपालगंज समेत नॉर्थ बिहार के इलाकों में लोग उनकी इज्जत बाहुबली होने की वजह से नहीं करते। बल्कि लोग व्यक्तित्व की वजह से उनका सम्मान करते हैं। खुद को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी करीबी बताते हुए कहते हैं कि मेरे ऊपर कोड ऑफ कंडक्ट के अलावा कोई आरोप नहीं हैं। कुछ आरोप साजिशन लगाए गए थे जो सही साबित नहीं हुआ। 
 

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1989 में बाहुबली नगीना राय पर पटना में बम से हमला हुआ था। इसके पीछे काली पांडे का हाथ बताया गया। लेकिन इसमें वो बच गए। वो कहते हैं- नगीना की पत्नी जो हादसे की आई विटनेस थीं उन्होंने भी इसमें मेरे हाथ होने की बात से इंकार किया था। 

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नोट:- सभी तस्वीरें काली प्रसाद पांडे के फेसबुक पेज से ली गई हैं जो उनके घर और राजनीतिक गतिविधियों की हैं। 

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