बिहार का ये शख्स था दुनिया का सबसे बड़ा ठग, कई बार बेचा ताजमहल-लालकिला और संसद भवन

पटना (Biha) । बिहार की कई हस्तियों ने जहां ज्ञान विज्ञान से दुनिया में एक अलग मुकाम बनाया वहीं कई नाम ऐसे भी रहें जो अपराध  (crime) और ठगी की वजह से चर्चित हुए। इन्हीं में एक शातिर ठग भी शामिल था। ठग के कारनामे भी ऐसे-वैसे नहीं। उसने ताजमहल,(Taj Mahal) लालकिला, (laal kila) राष्ट्रपति भवन (President House) और संसद भवन (Parliament House) तक बेच दिया। उसने एक दो नहीं पांच बार ताजमहल और लालकिला बेच दिया। लोगों ने खरीदे भी और बाद में उसकी सच्चाई सामने आई। वो एक ऐसा ठग था जो देश की बड़ी-बड़ी जेलों से 8 बार भागने में कामयाब रहा। आखिरी बार निकला तो फिर पुलिस भी उसे नहीं पकड़ पाई। वो शख्स बुद्धि से कितना शातिर होगा, कारनामों अंदाजा लगाया जा सकता है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 22, 2020 10:00 AM IST / Updated: Sep 23 2020, 04:21 PM IST

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बिहार का ये शख्स था दुनिया का सबसे बड़ा ठग, कई बार बेचा ताजमहल-लालकिला और संसद भवन


इस ठग का नाम नटवरलाल है। आज देश में शातिर लोगों के लिए उसका नाम मुहावरे की तरह इस्तेमाल होता है। उसके कारनामों से प्रेरित होकर बॉलीवुड में समय-समय पर कई फिल्में भी बनीं। नटवरलाल का जन्म 1912 में बिहार के सीवान जिले में हुआ था। उसका असली नाम मिथलेश कुमार श्रीवास्तव था। वो काफी पढ़ा-लिखा, बुद्धिमान और जमींदार परिवार से था। पेशे से वकील भी था।

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नटवरलाल सीवान जिले के बंगरा गांव का था। नटवरलाल ने अपने जीवनकाल में सैकड़ों लोगों से करोड़ों की ठगी की। लोग कहते हैं कि उसके 50 से भी ज्यादा फर्जी नाम थे। वह प्रसिद्ध लोगों के फर्जी हस्ताक्षर बनाने में भी माहिर था। उसने देश के कई बड़े उद्योगपतियों और हस्तियों को भी चूना लगाया था। वो इतना पढ़ा-लिखा और बुद्धिमान था कि सामने वाले को तुरंत प्रभावित कर लेता था। बड़े लोग ही उसका शिकार भी बनते थे। (फाइल फोटो)

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नटवरलाल ने नकली चेक और डिमांड ड्राफ्ट देकर कई दुकानदारों से लाखों रुपए ऐंठे। उस पर 100 से ज्यादा ठगी के केस दर्ज हुए और 8 राज्यों की पुलिस उसकी तलाश में थी। वह पकड़ा भी गया और उसे जेल की सजा भी हुई। लेकिन, देश की कोई भी जेल नटवरलाल को रोक नहीं पाई।(फाइल फोटो)
 

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नटवरलाल अलग-अलग जेलों से 8 बार भाग निकलने में कामयाब हुआ। 1996 में जब वह आखिरी बार जेल से भागा तो उसकी उम्र 84 साल की थी और वह व्हीलचेयर पर था। उसे पुलिस की निगरानी में इलाज के लिए कानपुर जेल से नई दिल्ली के एम्स अस्पताल में लाया गया था।(फाइल फोटो)

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24 जून 1996 को नटवारलाल को आखिरी बार देखा गया और उसके बाद पुलिस उसे कभी पकड़ नहीं पाई। 2009 में उसके वकील ने कोर्ट में अर्जी दायर की, जिसमें मांग किया कि नटवार लाल के खिलाफ लंबित 100 से अधिक मामलों को रद्द कर दिया जाए, क्योंकि 25 जुलाई 2009 को उनकी मृत्यु हो गई है। हालांकि नटवरलाल के भाई गंगा प्रसाद श्रीवास्तव का कहना है कि नटवरलाल की मृत्यु सन 1996 में ही हो गई थी और उनका रांची में अंतिम संस्कार किया गया था।(फाइल फोटो)
 

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