जेल में रहते दोस्त की बहन को दे बैठे थे दिल, CBI दे चुकी है उम्रकैद की सजा, जानिए कैसे बचे पप्पू यादव?

पटना (Bihar) । जन अधिकार पार्टी के संरक्षक पप्पू यादव एक बार फिर चर्चाओं में आ गए हैं। हालांकि बिहार समेत देश की राजनीति के लिए उनका नाम अपरिचित नहीं हैं। क्योंकि, दिल्ली की राजनीतिक गलियारे में वो एक जाना पहचाना नाम हैं। हालांकि पप्पू के परिवार के बारे में ज्यादा लोगों को जानकारी नहीं है। पप्पू माता-पिता की इकलौती संतान हैं। उनकी एक छोटी बहन भी है, जो डॉक्टर है। जबकि उनकी पत्नी रंजीता पूर्व सांसद रह चुकी हैं और हार्ले चलाती हैं। वहीं, बेटा क्रिकेटर है। यूं कहें कि पप्पू यादव का पूरा जीवन फिल्मी है। उन्होंने अपने जीवन में कई सारे उतार चढ़ाव देखे हैं। अपराध में नाम, जेल की सजा से विधानसभा और लोकसभा तक की उनकी यात्रा बेहद दिलचस्प है। ठीक इसी तरह उनकी लव स्टोरी भी है, जिसका खुलासा खुद उन्होंने द्रोहकाल का पथिक में किया है। 

Asianet News Hindi | Published : May 12, 2021 7:58 AM IST

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जेल में रहते दोस्त की बहन को दे बैठे थे दिल, CBI दे चुकी है उम्रकैद की सजा, जानिए कैसे बचे पप्पू यादव?

पप्पू यादव के बहनोई फर्रुखाबाद में मेडिकल कॉलेज चलाते हैं। पप्पू के दो बच्चे हैं, बेटी दिल्ली में रहकर पढ़ाई करती है जबकि बेटा सार्थक रंजन क्रिकेटर है। वो दिल्ली अंडर-19 क्रिकेट टीम के उपकप्तान भी रह चुका है। सार्थक ऑलराउंडर हैं। जबकि पप्पू यादव की पत्नी पूर्व सांसद रंजीता को हार्ले डेविडसन बाइक चलाना पसंद है। वो 2014 में हार्ले लेडीज क्लब की मेंबर भी थी। 2016 में वुमन्स डे के मौके पर वो संसद हार्ले डेविडसन बाइक ड्राइव कर पहुंची थीं। उन्होंने यह बाइक 2015 में खरीदी थी।(फाइल फोटो)
 

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1986-87 में लालू प्रसाद यादव की राजनीति ऊपर की ओर बढ़ रही थी। इस दौर में वह बिहार में विरोधी दल के नेता बनना चाहते थे। कहते हैं कि लालू की राजनीति को जमाने में तब दलित-पिछड़ा समाजवादी नेताओं के साथ बाहुबलियों ने भी काफी मदद की। इन्हीं में से मोहम्मद शहाबुद्दीन (हाल ही में कोरोना से मौत हो गई) और पप्पू यादव भी थे। लालू की वजह से ही पप्पू राजनीति में सक्रिय हुए थे और एक समय आरजेडी चीफ से उनकी इतनी करीबी थी कि लोग उन्हें लालू का उत्तराधिकारी भी कहने लगे थे। हालांकि वक्त के साथ ऐसा संभव नहीं हो पाया।(फाइल फोटो)

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एक इंटरव्यू में पप्पू यादव ने कहा था, "शुरू में मैं तो एक सीधा-सादा छात्र था और लालू यादव को अपना आदर्श मानता था। लेकिन, ऐसा नहीं था। वो बार-बार छल करते गए। वो विरोधी दल का नेता बनना चाहते थे। उस समय इस दौड़ में अनूप लाल यादव, मुंशी लाल और सूर्य नारायण भी शामिल थे। मैं अनूप लाल यादव के घर में ही रहता था। लेकिन, मैं लालू का समर्थन कर रहा था।" हालांकि पप्पू यादव खुद के बाहुबली होने की बात को लगातार खारिज करते आए हैं।(फाइल फोटो)
 

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लालू के नेता विरोधी दल बनने के बाद पटना के सभी अखबारों में एक खबर प्रकाशित हुई कि कांग्रेस नेता शिवचंद्र झा की हत्या करने के लिए पूर्णिया से एक कुख्यात अपराधी पप्पू यादव पटना पहुंचा है, जिसकी खबर पटना विश्वविद्यालय के पीजी हॉस्टल जाने पर हुई, जबकि किसी थाने में कोई केस तक नहीं दर्ज था।पप्पू के मुताबिक "मैं तीन दिनों तक अपने एक मित्र के घर में रहा। वहां से कोलकता भाग गया। मगर, पुलिस मेरे पीछे पड़ गई और मेरे पीछे घर की कुर्की भी हो गई। मां-बाप को सड़क पर रात गुजारनी पड़ी। मेरे पिता लालू से मिले, लेकिन उन्होंने मदद देने से इनकार कर दिया।"(फाइल फोटो)

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पप्पू यादव के नाम से जुड़ा जो चर्चित मामला है वो माकपा के पूर्व विधायक अजित सरकार की हत्या का है। अजित सरकार और पप्पू यादव के बीच किसानों के मुद्दे को लेकर राजनीतिक मतभेद था। 14 जून, 1998 को पूर्णिया में अज्ञात हमलावरों ने अजित सरकार की गोली मार कर हत्या कर दी थी। इस केस में आरोप पप्पू यादव के ऊपर लगा। मामले के संवेदनशील और राजनीतिक होने की वजह से स्वतंत्र जांच के लिए सीबीआई का भी गठन किया गया।(फाइल फोटो)

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सीबीआई की विशेष अदालत ने 2008 में इसी हत्याकांड के लिए पप्पू यादव, राजन तिवारी और अनिल यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि पप्पू यादव ने खुद पर लगे आरोपों के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में अपील की। 2008 में सुनवाई के दौरान सबूत और साक्ष्य की बिना पर हाईकोर्ट ने पप्पू यादव को रिहा कर दिया था।(फाइल फोटो)

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पप्पू यादव को तिहाड़ और पटना की बेऊर जेल में भी रहना पड़ा है। तिहाड़ जेल में बिताए दिनों के अनुभव को पप्पू यादव ने एक किताब में विस्तार से लिखा है। पप्पू यादव के जीवन पर आधारित किताब द्रोहकाल का पथिक काफी लोकप्रिय है। इसमें उनके जीवन के कई पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी गई है। इसमें उनकी पत्नी रंजीत के साथ की प्रेम कहानी का भी जिक्र है। (फाइल फोटो)

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इस प्रेम कहानी की शुरुआत तब हुई जब पप्पू यादव जेल में सजा काट रहे थे। पहली बार दोस्त की बहन की फोटो देखने के बाद पप्पू उन्हें दिल दे बैठे थे। यह दोस्त की बहन कोई और नहीं रंजीता थीं। बताते हैं कि पटना के बांकीपुर जेल में बंद पप्पू याद की दोस्ती वहां जेल अधीक्षक के आवास से लगे मैदान में लड़के क्रिकेट खेलने विक्की से हुई थी। बाद में पप्पू ने उनसे दोस्ती कर ली। एक दिन विक्की ने अपनी फैमिली एलबम दिखाई। इसमें रंजीता की टेनिस खेलने के दौरान की एक तस्वीर भी थी।(फाइल फोटो)
 

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रंजीता की यही फोटो देखकर पप्पू उनपर फिदा हो गए थे। जेल से बाहर आने के बाद पप्पू किसी न किसी बहाने रंजीता से मिलने के मौके खोजने लगे। वो उस जगह भी अक्सर पहुंच जाते जहां रंजीता टेनिस खेलती थीं। हालांकि रंजीता को ये सब पसंद नहीं आया और उनकी बेरूखी जारी रही।(फाइल फोटो)
 

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एक दिन तो रंजीता ने पप्पू से कह दिया कि सिख होने की वजह से वो हिंदू से शादी नहीं कर सकती। इसके बाद प्रेम में असफल-परेशान पप्पू यादव ने खुदकुशी करने की कोशिश की। उन्होंने ढेर सारी नींद की गोलियां खा ली थी। गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। काफी दिनों बाद उनकी सेहत में सुधार हुआ। हालांकि इस घटना के बाद रंजीता उन्हें चाहने लगीं। लेकिन अब परिवार की बन्दिशें आ गईं।(फाइल फोटो)

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एक इंटरव्यू में पप्पू यादव ने बताया था कि मेरे परिवार के लोग शादी के पक्ष में थे। लेकिन, रंजीता के पिता शुरू से ही शादी के खिलाफ थे। हालांकि कांग्रेसी नेता एसएस आहलूवालिया की मदद से पप्पू यादव और रंजीता के परिवार को मनाने में सफल रहे और पूर्णिया के गुरुद्वारे में दोनों की धूमधाम से शादी भी हुई।(फाइल फोटो)

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बताते चले कि पप्पू यादव ने 1990 में सिंहेश्वरस्थान, मधेपुरा से विधानसभा का चुनाव लड़े और चुन लिए गए। 1991 में पूर्णिया से 10वीं लोकसभा के लिए चुनाव लड़े और जीते। इसके बाद पप्पू ने साल 1996, 1999 और 2004 में लोकसभा चुनाव जीते। मई 2015 में आरजेडी से पप्पू यादव को निकाल दिया, क्योंकि उनपर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा। इसके बाद राजद से निकाले जाने के बाद पप्पू ने अपनी नई पार्टी "जन अधिकार पार्टी" बनाई। (फाइल फोटो)

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