2003 तक अपना क्लीनिक चलाता रहा। इस दौरान उन लोग के संपर्क में आया, जो अलीगढ़ जाने के लिए टैक्सी किराए पर लेते और फिर चालक की हत्या कर टैक्सी लूट लेते थे। वे कासगंज के हजारा नहर में शव को फेंकते थे, जिसमें मगरमच्छ होते हैं, इसलिए किसी का भी शव नहीं मिलता था। लूटी हुई टैक्सी को कासगंज और मेरठ में 20-25 हजार रुपये में बेचता था।