बिहार के इस MLA ने यूं ही नहीं कहा-बाहुबली था, बाहुबली हूं..बाहुबली रहूंगा, जानिए पूरी कहानी

पटना (Bihar) । बिहार रीतलाल का माना-जाना चेहरा है, जो इस बार से दानापुर से विधायक बने हैं। जिन्होंने हाल में किसानों के मुद्दे पर एक सभा के दौरान अपनी दबंग छवि होने का अहसास करा दिया है। मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने इस मामले में सरकार के खिलाफ किसी हद तक जाने का दावा किया। इतना ही नहीं सोनपुर के एक मंदिर में एक निजी कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि किसानों के हक के लिए वह सरकार से लड़ेंगे, वह ‘कपडे़ भी धोएंगे, कुदाल भी उठाएंगे और जरूरत पड़ी तो लाठी भी उठाएंगे, जिस रूप में लोग उन्हें देखना चाहेंगे लोगों को उसी रूप में दिखेगा रीतलाल यादव। यही, नहीं उन्होंने अपनी दबंग छवि दिखाने के लिए बोला कि ‘मैं कल भी बाहुबली था, आज भी बाहुबली हूं और कल भी बाहुबली रहूंगा। ऐसे में हम आपको रीतलाल के पुराने दिनों की पूरी कहानी बता रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 22, 2021 10:26 AM IST

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बिहार के इस MLA ने यूं ही नहीं कहा-बाहुबली था, बाहुबली हूं..बाहुबली रहूंगा, जानिए पूरी कहानी

जेल से जमानत पर बाहर चल रहे रीतलाल का नाम बाहुबलियों में लिया जाता है, जिसके ऊपर इस समय भी हत्या, हत्या की कोशिश और रंगदारी जैसे 14 केस चल रहे हैं। इतना ही नहीं पांच साल में उसकी संपत्ति 1.24 करोड़ से बढ़कर 12.03 करोड़ हो गई है। मतलब 10.79 लाख रुपए बढ़ गए, जबकि 2010 से जेल में बंद था। 
(फाइल फोटो)

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बताते हैं कि साल 2014 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती पाटलिपुत्र सीट से लड़ रही थीं। भाजपा ने उनके खिलाफ लालू के ही पुराने साथी राम कृपाल यादव को उतारा था। देश भर में जिन सीटों की चर्चा थी उनमें ये सीट भी थी। रीतलाल भी यहां से लड़ने की तैयारी में थे। ऐसे में मीसा की मुश्किले बढ़ गई थी।

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कहते हैं कि लालू ने रीतलाल से मदद मांगी थी। उन्हें राजद का महासचिव भी बना दिया गया था। हालांकि, उसके बाद भी मीसा यहां से जीत नहीं सकीं थीं। साल 2016 में रीतलाल विधान परिषद से निर्दलीय पर्चा भर दिया और वो जीत भी गए। 

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वो इस बार दानापुर विधानसभा सीट से चार बार विधायक बन चुकी बीजेपी प्रत्याशी आशा देवी को हराकर आरजेडी से विधायक बने हैं। बता दें कि यह वही आशा देवी हैं, जिनके पति सत्य नारायण सिंह की हत्या का आरोप रीतलाल पर ही लगा है। 

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रीतलाल पटना के कोठवां गांव के रहने वाले हैं। 90 के दशक में पटना से लेकर दानापुर तक उनका वर्चस्व था। बताते हैं कि रेलवे के दानापुर डिवीजन से निकलने वाले हर टेंडर पर उनका कब्जा रहता था। कहा तो यह भी जाता है कि उनके खिलाफ जाने की कोशिश करने वाला जान की कीमत चुकाता था।

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रीतलाल पहले अपने गांव के मुखिया हुआ करते थे। बताते हैं कि 30 अप्रैल 2003 को जब आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने तेल पिलावल-लाठी घुमावल रैली कर रहे थे, इसी दौरान रीतलाल ने खगौल के जमालुद्दीन चक के पास दिनदहाड़े भाजपा नेता सत्यनारायण सिंह को उनकी ही गाड़ी में गोलियों से भून दिया था, जिनके पत्नी आशा देवी के खिलाफ इस बार चुनाव भी लड़ रहा है।

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भाजपा नेता की हत्या के बाद रीतलाल तब और सुर्खियों में आ गया जब चलती ट्रेन में बख्यिारपुर के पास दो रेलवे ठेकेदारों की हत्या का आरोप लगा। इसके बाद रीतलाल ने अपने विरोधी नेऊरा निवासी चून्नू सिंह की हत्या छठ पर्व के समय घाट पर उस समय कर दी थी जब वो घाट बना रहे थे।

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चुन्नू को पुलिस का मुखबिर बताया गया था, जिसके बाद पुलिस और एसटीएफ उसके पीछे पड़ गई। लेकिन, रीतलाल तक कभी नहीं पहुंच सकी। हालांकि साल 2010 में खुद आत्म समर्पण कर दिया और निर्दलीय चुनाव लड़ा। वह बीजेपी प्रत्याशी से हार गया। बाद में जेल से ही एमलसी बन गया था। साल 2012 में रीतलाल पर मनी लॉन्ड्र्रिंग का केस भी दर्ज किया गया था।

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भाजपा नेता की हत्या के बाद वो डॉन के नाम से जाना जाने लगा। इस घटना के बाद उसके गुर्गों ने एकबार फिर शिक्षण संस्थान के मालिक से एक करोड़ रुपए रंगदारी की मांग की थी। बता दें कि ये रंगदारी तब मांगी गई थी, जब वह पटना के बेऊर में जेल में बंद था।

(फाइल फोटो)

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