रामायण काल से जुड़ा मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। प्राचीनकाल में गंगा के तट पर बसा यह क्षेत्र बैकुंठ वन के नाम से जाना जाता था। आनंद रामायण में इस गांव की चर्चा बैकुंठा के रूप में हुई है। माना जाता है कि लंका विजय के बाद रावण को मारने से जो ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था, उस पाप से मुक्ति के लिए भगवान श्रीराम इस मंदिर में आए थे। यहां उन्होंने भगवान शंकर की पूजा की थी। काफी साल पहले मंदिर के आसपास जंगल थे, जहां ऋषि-मुनि तप करते थे। यह भी मान्यता है कि यहां आने के लिए गंगा नदी के उस तरफ के एक गांव में श्रीरामचंद्र जी रात्रि विश्राम किया था, जिसके कारण कारण उस गांव का नाम राघवपुर पड़ा जो वर्तमान में वैशाली जिले के राघोपुर के नाम जाना जाता है।