वैशाली ( Bihar)। बिहार के हरलोचनपुर सुक्की गांव की मिट्टी वैसे तो हर फसल के लिए उपयुक्त है। लेकिन, यहां के किसानों की खुशहाली आम के बागों पर निर्भर करती है। कुल 2200 एकड़ रकबा वाले गांव की दो हजार एकड़ जमीन पर केवल आम के बाग हैं। यहां आम की फसल देखकर किसान अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और बेटे-बेटी की शादियां तय करते हैं। वे बताते हैं कि तीन-चार साल के भीतर गांव में आम पर निर्भर किसानों के 40-45 बेटियों के हाथ पीले किए हैं। किसान अपनी आर्थिक जरूरतों को देखते हुए तीन-चार साल के लिए बागों को व्यापारियों को देकर अग्रिम पैसे ले लेते हैं।