गरीबी में पूरी नहीं कर सके पढ़ाई, पापड़ भी बेचना पड़ा; इस शख्स ने सैकड़ों को पढ़ाकर बदल दी उनकी जिंदगी

पटना (Bihar) । बिहार के चर्चित शिक्षण संस्थान सुपर-30 के संस्थापक आनंद कुमार विश्व के जाने-माने गणितज्ञ है। जिनका नाम आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को फ्री में शिक्षा देने के कारण लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हुआ। इतना ही नहीं टाइम पत्रिका ने सुपर 30 को बेस्ट ऑफ एशिया 2010 की सूची में भी स्थान दिया। इन्हें 2010 में इंस्टिट्यूट ऑफ रीसर्च एण्ड डॉक्युमेंटेशन इन सोशल साइंसेस द्वारा एस रामानुजन पुरस्कार दिया गया। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद तक के हाथों राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार से सम्मानित हो चुके बिहार के इस का जीवन संघर्षों में गुजरा है। जी हां बताते हैं कि पढ़ाई के लिए पैसे न होने के कारण वे सुबह गणित पर काम करते थे और शाम को मां के साथ पापड़ बेचते थे। जिनके संघर्ष की कहानी आज हम आपको बता रहे हैं। 

(बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनावी हलचल के बीच हम अपने पाठकों को 'बिहार के लाल' सीरीज में कई हस्तियों से रूबरू करवाएंगे। इस सीरीज में राजनीति से अलग राज्य की उन हस्तियों के संघर्ष और उपलब्धि के बारे में जानकारी दी जाएगी जिन्होंने न सिर्फ बिहार बल्कि देश दुनिया में भारत का नाम रोशन किया। ये हस्तियां खेल, सिनेमा, कारोबार, किसानी और ज्ञान विज्ञान के क्षेत्र से जुड़ी होंगी। बिहार के चुनाव और उसके आसपास की खबरों के लिए हमें पढ़ते रहें।) 
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 28, 2020 4:54 AM IST / Updated: Sep 03 2020, 11:10 AM IST
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गरीबी में पूरी नहीं कर सके पढ़ाई, पापड़ भी बेचना पड़ा; इस शख्स ने सैकड़ों को पढ़ाकर बदल दी उनकी जिंदगी

आनंद कुमार का जन्म पटना में हुआ था। उनके पिताजी भारतीय डाक विभाग में क्लर्क थे। निजी विद्यालयों के अधिक खर्चों के कारण उनके पिताजी उन्हें वहां पढ़ा न सके। इस कारण हिंदी माध्यम के सरकारी विद्यालय में दाखिला लिया, जहां उन्हें गणित से अत्यधिक लगाव हो गया।
 

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स्नातक शिक्षा के बाद आनंद कुमार ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला सुरक्षित कर लिया। लेकिन, पिता की मृत्यु और घर की खराब आर्थिक स्थिति के कारण वे दाखिला ले न सके।
 

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आनंद कुमार सुबह गणित पर काम करते थे और शाम को मां जयंती के साथ पापड़ बेचने में हाथ बटाते थे। उन्होंने अतरिक्त पैसे कमाने के लिए 1992 में गणित पढ़ाना शुरू किया। 5000 रुपए प्रति महीने पर एक कक्षा किराए पर ली तथा अपने संस्थान रामानुजन स्कूल ऑफ मैथमैटिक्स की स्थापना की।
 

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एक ही वर्ष में दो छात्रों से बढ़कर 36 छात्र हो गए और तीसरे साल के अन्त तक यह संख्या 500 तक हो गई।  फिर, 2002 में गरीब छात्रों के विशेष निवेदन पर (जो आईआईटी संयुक्त प्रवेश परीक्षा की महंगी कोचिंगों की फीस नहीं दे सकते थे) सुपर 30 कार्यक्रम प्रारम्भ किया, जिसके कारण उन्हें प्रतिष्ठा मिली।

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मार्च 2009 में डिस्कवरी चैनल ने सुपर 30 पर तीन घंटा कार्यक्रम दिखाया। इसी वर्ष अमेरिकी समाचारपत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स ने आधे पन्ने पर उनके बारे में लेख लिखा। अभिनेत्री व पूर्व मिस जापान नोरिका फुजिवारा पटना आयीं तथा उन्होंने आनन्द कुमार के कार्यों पर एक लघु फिल्म बनाई।
 

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सुपर 30 को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के विशेष सिपहसालार राशिद हुसैन ने देश का सर्वश्रेष्ठ संस्थान कहा। नवम्बर 2010 में बिहार सरकार का सर्वोच्च पुरस्कार "मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा पुरस्कार" मिला। उन्हें जर्मनी के सैक्सोनी प्रान्त के शिक्षा विभाग द्वारा सम्मानित किया गया।
 

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आनंद कुमार को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश-विदेश के कई जनप्रतिनिधियों के हाथों सम्मान मिल चुका है। बता दें कि आनंद कुमार पर सुपर 30 फिल्म भी बनाई गई है, जिसे एक साथ 70 देशों में रिलीज किया गया था। इस फिल्म अभिनेता रितिक रोशन उनकी भूमिका थे।
 

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बता दें कि सुपर 30' ने बॉक्स ऑफिस पर 317 करोड़ रुपये से अधिक कमाई की थी। वे बताते हैं मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि एक्टर ऋतिक रौशन कि माताजी ने 'सुपर 30' फिल्म को इतना पसंद किया। उन्होंने फिल्म को सिनेमाघर में नौ बार देखा।

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