Birth Anniversary:शोख गायिकी से गुदगुदाने वाली Geeta dutt की जिंदगी खुद दर्द का साज बनकर रह गई थी

Published : Nov 22, 2021, 10:32 PM ISTUpdated : Nov 22, 2021, 10:35 PM IST

मुंबई. गीता दत्त (Geeta dutt) सिनेमा जगत की पहली ऐसी गायिका थी जिनकी आवाज में शोखी, चुलबुलापन , दर्द, मोहकपन, खुशी सबकुछ सिमटा हुआ था। उन्होंने शमशाद बेगम जैसे दिग्गज गायकों को अपनी आवाज से पीछे छोड़ दिया था। उन्होंने इंसानी जज्बात के हर पहलू को अपनी सुर से सजाया। लेकिन हजारों-लाखों कद्रदानों को अपनी शोख गायिकी से गुदगुदाने वाली गीता दत्त की जिंदगी खुद दर्द का साज बनकर रह गई थी। पहले प्यार और फिर तन्हाई महान गायिका की जिंदगी का सच बन गया था। गीता रॉय का सफर गीता दत्त तक कैसे पहुंची और कैसे प्यार के बाद अकेलेपन ने उन्हें घेर लिए आइए बताते हैं। 

PREV
17
Birth Anniversary:शोख गायिकी से गुदगुदाने वाली Geeta dutt की जिंदगी खुद दर्द का साज बनकर रह गई थी

गीता रॉय गायिकी की दुनिया में एक बड़ा नाम बन चुकी थी उस वक्त उनकी मुलाकात गुरु दत्त से हुई। गुरु दत्त की बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म ‘बाज़ी’ (1951) के एक गाने की रिकॉर्डिंग बंबई के महालक्ष्मी स्टूडियो में हो रही थी। 'तदबीर से बिगड़ी हुई तक़दीर बना ले' गीता गाने आईं थी। उस वक्त सिंगर अर्श पर पहुंच चुकी थी। उन्होंने 
कई भाषाओं में 400-500 या ज्यादा गाने गा चुकी थीं। भव्य लिमोज़ीन में घूमती थीं। गुरुदत्त के दायरे में वो नहीं आती थी। गुरुदत्त उस वक्त अपनी पहचान बनाने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे। 

27

लेकिन गुरुदत्त का दिल गीता रॉय पर आ चुका था। धीरे-धीरे हर मुलाकात में गीता के दिल थोड़ी-थोड़ी जगह बनाई और फिर एक दिन उनका दिल जीत ही लिया। गीता को भी गुरुदत्त का साथ पसंद आया। वो इतनी सरल थी कि जब भी गुरुदत्त के घर जाती तो किचन में खुद ही सब्जी काटने बैठ जाती। हालांकि गीता के परिवारवालों को यह साथ पसंद नहीं था। लेकिन तीन साल प्रेम के बाद दोनों ने शादी कर ली। 26 मई 1953 में गोधूलि बेला में बंगाली रस्मों से दोनों का विवाह हुआ।

37

गीता रॉय शादी के बाद गीता दत्त बन गई। इसके बाद दोनों की जिंदगी खूबसूरत बीत रही थी। तीन बच्चों के ये माता-पिता बने। लेकिन कहा जाता है कि गुरु दत्त की जिंदगी में वहीदा रहमान की एंट्री होती है। यहां से दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगती है। शादी के बाद गीता दत्त गुरु दत्त की फिल्म के लिए गाना गाने लगी थी। लेकिन उनकी चाहत एक्ट्रेस बनने की थी। 
 

47

कहा जाता है कि गुरु दत्त की हर फिल्म में वहीदा रहमान हीरोइन होती थी और गीता आवाज बनकर सिमट गईं। घर में बढ़ते तनाव को देखते हुए गुरु दत्त 1956-57 में कलकत्ता में ‘गौरी’ नाम की फिल्म बनानी शुरू की। जिसमें गीता को एक्ट्रेस लिया। गीता जब मेकअप कराती तो गुरुदत्त कहते कि इस फिल्म के किरदार के मुताबिक तुम्हें साधारण दिखना है। लेकिन गीता ने गुस्से में आकर कहा, ‘तुम क्या चाहते हो….यही न कि मैं वहीदा रहमान से बदतर लगूं?’टकराव की वजह से  फिल्म को बीच में ही रोक देना पड़ा।

57

कहा जाता है कि गीता गुरु दत्त को लेकर बहुत  पज़ेसिव थी। वहीदा रहमान की तरफ गुरु दत्त का झुकाव था या नहीं इसका पता नहीं। लेकिन गीता दत्त बच्चों के साथ अपने घर आ गई। इस दौरान गुरु दत्त ने उनसे काफी निवेदन किया वापस लौटने के लिए। लेकिन दोनों के बीच बात नहीं बनी। गुरु दत्त डिप्रेशन में पहुंच गए। कहा जाता है कि वो दो बार सुसाइड की कोशिश भी कर चुके थे। तनाव की वजह से आखिरकार 10 अक्टूबर 1964  गुरु दत्त ने आत्महत्या कर ली। 

67

कहा जाता है कि अपनी निजी जिंदगी की परेशानियों के कारण गीता दत्त तय समय पर रिहर्सल और काम पर ध्यान नहीं दे पाती थीं। इसलिए उन्हें गाने मिलने कम हो गए। दत्त साहब के जाने के बाद तो गीता का करियर लगभग खत्म ही हो गया। 8 साल बाद 20 जुलाई 1972 को लंबी बीमारी के बाद उनका भी निधन हो गया। 

77

गीता ने हर रंग के गाने गाए। जिसमें -वक्त ने किया क्या हसीं सितम  सुन सकता है। मोहकपन से भरा गीत सुनना हो तो साहिब बीवी और गुलाम  का- न जाओ सैयां छुड़ा के बैयां  गुनगुना सकता है। चुलबुलेपन और मस्ती वाले गीतों में आर पार का बाबू जी धीरे चलना, प्यार में ज़रा संभलना और सीआईडी का ये है बॉम्बे मेरी जान पर कोई भी नाच उठता था।

और पढ़ें:

Zeenat Aman Birthday Special:रिल लाइफ का मेकअप वाला झूठ, कैसे बन गया जीनत की जिंदगी का सबसे खौफनाक सच

Mouni Roy दोहा में बिखेर रहीं हु्स्न का जलवा, सबसे ऊंची बिल्डिंग की छत पर ऐसे लचकाई कमर

52 साल की Jennifer Lopez फिर बनना चाहती हैं दुल्हन, इस सुपरस्टार को कर रहीं डेट

Recommended Stories