कभी इस शहर में पान बेचते थे लक्ष्मण को जीवनदान देने वाले सुषेण वैद्य, रामायण में ऐसे मिला था रोल

मुंबई। कोरोना लॉकडाउन के बीच दोबारा शुरू हुई रामानंद सागर की रामायण ने पॉपुलैरिटी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। टीआरपी के मामले में रामायण इस वक्त दर्शकों का सबसे पसंदीदा सीरियल बन गया है। रामायण में फिलहाल लक्ष्मण जी को शक्ति लगने का प्रसंग दिखाया जा रहा है। लक्ष्मण के मूर्छित होने पर लंका के राजवैद्य सुषेण उन्हें हनुमान जी द्वारा लाई संजीवनी बूटी पिलाते हैं। इसके बाद लक्ष्मण फिर से युद्ध के लिए खड़े हो जाते हैं। लक्ष्मण के किरदार यानी सुनील लहरी के बारे में तो लोग जानते हैं, लेकिन उन्हें संजीवनी पिलाने वाले सुषेण वैद्य के बारे में कम ही लोग जानते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 16, 2020 8:21 AM IST

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कभी इस शहर में पान बेचते थे लक्ष्मण को जीवनदान देने वाले सुषेण वैद्य, रामायण में ऐसे मिला था रोल
रामायण में सुषेण वैद्य का किरदार निभाने वाले एक्टर का सीधा कनेक्शन मध्यप्रदेश से है। यहां के उज्जैन शहर के रहने वाले रमेश चौरसिया ने ही रामायण में सुषेण वैद्य का किरदार निभाया है। 
उज्जैन के रहने वाले रमेश चौरसिया पहले यहां पान की दुकान चलाया करते थे। 
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एक इंटरव्यू में चौरसिया ने बताया था कि रामायण में रावण का रोल निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी से उनकी अच्छी दोस्ती थी। उन्हीं की वजह से रमेश को सुषेण वैद्य का रोल निभाने का मौका मिला था। बता दें कि रामायण में रावण का रोल करने वाले अरविंद त्रिवेदी का जन्म भी उज्जैन में ही हुआ है।
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देवासगेट बस स्टैंड पर पान की छोटी सी दुकान चलाने वाले चौरसिया ने सपने में भी नहीं सोचा था, लेकिन त्रिवेदी से दोस्ती उन्हें मायानगरी मुंबई ले गई। 
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रमेश चौरसिया लंबी दाढ़ी और बाल रखा करते थे। उनकी कदकाठी किसी वैद्य से काफी मिलती-जुलती थी। यही वजह थी कि रामानंद सागर ने उन्हें सुषेण का रोल करने का मौका दिया था।
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रामायण में सुषेण वैद्य का रोल निभाने के बाद रमेश चौरसिया इतने पॉपुलर हो गए थे कि लोग दूर-दूर से उनसे मिलने आया करते थे। यहां तक कि लोग उन्हें असल में वैद्य समझ कर इलाज कराने भी पहुंचने लगे थे। 
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रमेश चौरसिया ने रामायण में निभाए गए अपने किरदार की फोटो फ्रेम करवाकर अपनी दुकान पर लगाई थी। हालांकि इन सबके बावजूद रमेश चौरसिया एक सामान्य व्यक्ति की तरह ही सबसे मिलते थे।
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उज्‍जैन के बस स्‍टैंड देवास गेट पर उनकी नमकीन की दुकान और एक होटल है। इस दुकान और होटल का नाम भी संजीवनी ही रखा गया है। दुकान में उनकी सुषेण वैद्य की भूमिका वाली कई तस्‍वीरें लगी नजर आती हैं।
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उज्जैन की सड़कों पर साइकिल से घूमने वाले रमेश चौरसिया इस दुनिया से चले गए किन्तु उनकी यादें आज भी शहरवासियों के दिलों में ताजा है। पॉपुलैरिटी के बावजूद वे सारी उम्र बेहद सरल और सहज बने रहे। 
 
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