तो क्या बंद हो जाएगा BSNL? जानें जियो के आने के बाद कैसे बर्बाद हो रही ये सरकारी कंपनी

बिजनेस डेस्क : कनेक्टिंग इंडिया (connecting india) भारत को मोबाइल नेटवर्क से जोड़ने के उद्देश्य से आई देश की सबसे पुरानी और सरकारी दूरसंचार कंपनी की हालत जानकार आप हैरान रह जाएंगे। कोरोना काल में कई सारी कंपनियां घाटे में आ गई हैं जिनमें से बीएसएनएल भी एक है। 2002 में जब बीएसएनएल की मोबाइल सेवा कि शुरुआत हुई तब सरकारी अधिकारी से लेकर आम जनता सभी के पास सिर्फ बीएसएनएल का सिम कार्ड होता था लेकिन पिछले कुछ सालों में ऐसा क्या हुआ कि प्राइवेट कंपनियां आगे निकल गईं और बीएसएनएल घाटे में आ गई।

Asianet News Hindi | Published : Aug 20, 2020 8:50 AM IST / Updated: Aug 20 2020, 02:24 PM IST

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तो क्या बंद हो जाएगा BSNL? जानें जियो के आने के बाद कैसे बर्बाद हो रही ये सरकारी कंपनी

19 अक्टूबर 2002 को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ से बीएसएनएल मोबाइल सेवा कि शुरुआत की थी। लांच के कुछ महीनों के बाद ही बीएसएनल देश की नंबर वन मोबाइल नेटवर्क कंपनी बन गई थी।

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जब बीएसएनएल की शुरुआत हुई, उस समय प्राइवेट ऑपरेटर 16 रुपए प्रति मिनट कॉल के अलावा 8 रुपए प्रति मिनट इनकमिंग के भी पैसे लेते थे। उस समय बीएसएनएल ने इनकमिंग मुफ्त दी और आउटगोइंग कॉल्स की कीमत भी काफी कम रखी।

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2002 से 2005 बीएसएनएल का गोल्डन टाइम था जब हर कोई बीएसएनएल का सिम चाहता था और कंपनी के पास 35 हजार करोड़ तक का कैश रिजर्व था।

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लेकिन 2006 के बाद मोबाइल नेटवर्क में प्राइवेटाइजेशन का दौर आया और कई सारी मोबाइल नेटवर्क कंपनियां बीएसएनएल से आगे निकल गईं।

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ऐसे समय में बीएसएनएल के लिए जरूरी था कि मार्केट में अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए वह जल्द फैसले लें, पर सरकारी कंपनी होने के कारण बीएसएनएल के लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरे होने में महीनों लग गए।

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2006 से 2012 के बीच बीएसएनएल के मार्केट शेयर में गिरावट आई। लोगों ने नेटवर्क कंजेशन और अन्य समस्याओं के कारण बीएसएनएल छोड़ निजी कंपनियों का रुख कर लिया।

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2014 से 2017 तक बीएसएनएल के लिए थोड़ा सही समय आया। इस दौरान बीएसएनएल ने "ऑपरेटिंग प्रॉफिट्स" कमाए। साल 2014-15 में बीएसएनएल का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 67 करोड़ रुपए था, साल 2015-16 में 2,000 करोड़ रुपए और साल 2016-17 में 2,500 करोड़ रुपए था।

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लेकिन इसी बीच सितंबर 2016 में मार्केट में रिलायंस जियो की एंट्री हुई, जिससे ना सिर्फ बीएसएनएल बल्कि बाजार की सभी टेलीकॉम कंपनियों पर भी असर पड़ा।

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जियो के प्लान्स और कंपनियों सेवाओं से लोग काफी प्रभावित है। यही कारण है कि पिछले तीन साल से लगातार बीएसएनल नुकसान में है। फिलहाल बीएसएनएल इस स्थिति में नहीं है कि घाटे को सहन कर सके।

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