Published : Aug 20, 2020, 10:42 AM ISTUpdated : Aug 20, 2020, 10:46 AM IST
बिजनेस डेस्क : रिलायंस ग्रुप देश में प्रायवेट सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी है। इसकी स्थापना धीरूभाई अंबानी ने की थी। धीरूभाई अंबानी के निधन के बाद उनके दोनों बेटों (मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी) ने रिलायंस की बागडोर संभाली, लेकिन कुछ सालों में कंपनी का बंटवारा हो गया। बंटवारे के बाद मुकेश अंबानी अपने छोटे भाई अनिल अंबानी से आगे निकल गए और इस समय दुनिया के सबसे अमीरों की लिस्ट में छठवें नंबर पर हैं। कभी अनिल अंबानी इस लिस्ट में छठवें नंबर पर थे।
फोर्ब्स की 2008 की रिपोर्ट के अनुसार, अनिल अंबानी 42 अरब डॉलर के साथ दुनिया के छठवें सबसे अमीर आदमी थे, लेकिन कुछ सालों में ही वह अपने भाई मुकेश अंबानी से पिछड़ते चले गए। आइए जानते हैं कि अनिल अंबानी के साथ ऐसा हुआ कि उन्हें ये तक कहना पड़ा कि उनके पास अब कोई संपत्ति नहीं है।
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अपने पिता धीरूभाई अंबानी की मौत के बाद दोनों भाइयों ने रिलायंस समूह की बागडोर संभाली। लेकिन 2005 में दोनों भाइयों में बिजनेस का बंटवारा हो गया। बंटवारा होने से पहले 2004 में मुकेश और अनिल अंबानी की ज्वाइंट वैल्थ 6.4 अरब डॉलर थी।
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मुकेश अंबानी के हिस्से में पेट्रोकेमिकल के कारोबार रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंडियन पेट्रोकेमिकल्स कॉर्प लिमिटेड, रिलायंस पेट्रोलियम, रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड जैसी कंपनियां आईं।
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वहीं, अनिल ने अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप बनाया। इसमें आरकॉम, रिलायंस कैपिटल, रिलायंस एनर्जी, रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेस जैसी कंपनियां थीं।
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साल 2009 में अनिल अंबानी दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे। उस समय उनकी कुल संपत्ति 42 अरब डॉलर थी।
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मगर इन 12 सालों में काफी कुछ बदला। अनिल अंबानी ने पावर और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में जमकर निवेश किया। इसके लिए उन्होंने सरकारी बैंकों से कर्ज उठाया। लेकिन इस कारोबार में वे मुनाफा नहीं कमा पाए।
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वहीं, 2006 से लेकर अब तक मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 9 गुना से ज्यादा का इजाफा हुआ है और अब वे 7, 830 करोड़ डॉलर के साथ दुनिया के छठे सबसे अमीर इंसान हैं।
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2009 में अनिल अंबानी की कंपनी का वैल्यूएशन घटकर 80 हजार करोड़ रुपए हो गई। मार्च 2010 में कंपनी ने दोबारा एक लाख करोड़ रुपए का आंकड़ा पार किया। लेकिन 2011 में 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में अनिल अंबानी का नाम उछलने के बाद साल दर साल उनकी कंपनियां घाटे में जाती गईं।
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2014 में अनिल अंबानी समूह का वैल्यूएशन बढ़कर 66 हजार करोड़ रुपए हुआ लेकिन तब से अब तक यह वैल्यूएशन आधे से भी ज्यादा घट चुका है।
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अनिल अंबानी ग्रुप ने 2015 में डिफेंस सेक्टर में भी कदम रखा लेकिन राफेल डील के तहत रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट डील मिलने को कांग्रेस ने मुद्दा बना लिया और अनिल अंबानी फिर विवादों में आ गए।
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साल दर साल उनकी कंपनी को घाटा होता गया और फरवरी 2020 में ब्रिटेन की एक कोर्ट में अनिल ने कहा कि उनकी नेटवर्थ जीरो है और वह दिवालिया हो चुके हैं।