इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त PF अकाउंट से निकाले पैसे की दें जानकारी, जानें क्यों है जरूरी

बिजनेस डेस्क। इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने के दौरान अगर किसी ने वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) से पैसे निकाले हैं, तो उसके लिए इसकी जानकारी देना जरूरी है। निकाली गई राशि टैक्स के दायरे से बाहर होने के बावजूद भी यह जानकारी देनी पड़ती है। कोई भी कर्मचारी  5 साल की सेवा लगातर पूरी कर लेने पर भविष्य निधि (EPF) से राशि निकाल सकता है। वहीं, अगर कोई कर्मचारी 5 साल पूरा होने से पहले अपना पीएफ (PF) निकाल लेता है, तो उसे आयकर विभाग के नियमों के हिसाब से टैक्स जमा करना पड़ता है।
(फाइल फोटो)
 

Asianet News Hindi | Published : Nov 29, 2020 6:53 AM IST / Updated: Nov 29 2020, 12:29 PM IST

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इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त PF अकाउंट से निकाले पैसे की दें जानकारी, जानें क्यों है जरूरी

क्यों जरूरी है राशि की जानकारी देना
सरकार ने कोरोनावायरस महामारी के चलते लोगों को पीएफ से राशि निकालने की अनुमति दी है। कर्मचारी अपने अकाउंट से 75 फीसदी तक की राशि निकाल सकते हैं। सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, कर्मचारी को 5 साल की सेवा पूरी नहीं करने पर भी कोरोना राहत के तहत निकासी में टैक्स से छूट दी गई है। हालांकि, एक्सपर्ट्स इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय निकाली गई राशि की जानकारी देने की सलाह देते हैं।
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जानकारी देने पर नहीं लगेगी पेनल्टी 
अगर अगर पीएफ अकाउंट से निकाली गई राशि की जानकारी आईटीआर भरते समय नहीं दी जाती है तो जब आयकर विभाग करदाता के खाते की जांच करेगा यह मिसमैच हो सकता है। भले ही पीएफ अकाउंट से निकासी पर छूट का प्रावधान है, लेकिन फॉर्म में इसकी जानकारी देने के लिए एक खास कॉलम होता है। इसका मतलब है यह छूट के दायरे में है, लेकिन फिर भी इसे दिखाना जरूरी है। इस राशि पर किसी प्रकार की कोई पेनल्टी नहीं लगती है।
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नौकरी नहीं होने पर PF का पैसा निकालने का नियम
नौकरी बदलने के मामले में कर्मचारी का PF दूसरे इम्प्लॉयर के अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है। ऐसे में, कर्मचारी का कन्टीनुअस पीरियड कैलकुलेट करते समय नए इम्प्लॉयर का पीरियड भी जोड़ा जाएगा।लेकिन कई मामलों में PF से रकम निकालने पर टैक्स में छूट मिलती है। अगर इम्प्लॉई की तबीयत खराब होने की वजह से नौकरी चली गयी है या फिर नियोक्ता कंपनी ने अपना कारोबार समेट लिया हो, तो पीएफ का पैसा निकाला जा सकता है। इसके अलावा, PF नियमों के मुताबिक, कोई कर्मचारी नौकरी के दौरान जमा की गई कुल रकम का 75 फीसदी नौकरी छोड़ने के एक महीने के बाद निकाल सकता है। अगर व्यक्ति दो महीने से ज्यादा बेरोजगार रहता है तो वह पीएफ अकाउंट से पूरी रकम निकाल सकता है।
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कब PF पर टैक्स देना जरूरी
इम्प्लॉई का योगदान, नियोक्ता द्वारा जमा कराई गयी रकम और दोनों पर ब्याज सहित तीनों पर टैक्स देना पड़ता है। यह टैक्स नियोक्ता के योगदान, कमर्चारी के योगदान पर ब्याज और नियोक्ता के योगदान पर ब्याज पर लगता है। पांच साल से पहले PF अकाउंट से रकम निकाली जाए तो उस पर भी टैक्स देना पड़ता है। इस स्थिति में कमर्चारी को PF के सभी चार कम्पोनेंट पर टैक्स चुकाना पड़ता है। इस रकम पर टैक्स की गणना हर उस साल के हिसाब से की जाती है, जिसमें कर्मचारी ने पीएफ अकाउंट में रकम जमा कराई है।
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कैसे निर्धारित होता है टैक्स
पीएफ (PF) में निवेश पर टैक्स का निर्धारण इस बात पर भी निर्भर होता है कि कर्मचारी ने उस साल में आईटीआर फाइल करते वक्त इनकम टैक्स कानून के सेक्शन 80C के तहत छूट का लाभ लिया है या नहीं। इसकी जानकारी रखना जरूरी है। अगर इसकी जानकारी नहीं हो, तो नुकसान हो सकता है।
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इनकम टैक्स में छूट
इनकम टैक्स विभाग के कानून के मुताबिक अगर कर्मचारी  PF में रकम जमा करता है, तो उसे इनकम टैक्स में छूट मिलती है। लेकिन अगर किसी की आपकी आमदनी शून्य है, तब भी  PF अकाउंट से रकम निकालने पर इनकम टैक्स चुकाना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि जिस साल PF में योगदान किया गया, उस साल कर्मचारी और नियोक्ता की टैक्स देनदारी घट गई थी।
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