3 से 6 महीने में इस फंड में मिल सकता है अच्छा-खासा मुनाफा, जानें इसकी खास बातें

बिजनेस डेस्क। आजकल काफी लोग कम समय में ज्यादा रिटर्न हासिल करने के लिए म्यूचुअल फंडों में इन्वेस्टमेंट करते हैं। ये फंड भी कई तरह के होते हैं। कुछ फंड ऐसे होते हैं, जिनमें लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट पर बहुत ज्यादा रिटर्न मिलने की संभावना रहती है। वहीं, कुछ बहुत ही कम समय में अच्छा रिटर्न देने वाले फिक्स्ड इनकम म्यूचुअल फंड स्कीम भी हैं। ये डेट और मनी मार्केट सिक्योरटीज में निवेश करते हैं। इन सिक्योरिटीज की अवधि 3 से 6 महीने की होती है। जानें इनके बारे में।
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Asianet News Hindi | Published : Sep 19, 2020 10:35 AM IST
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3 से 6 महीने में इस फंड में मिल सकता है अच्छा-खासा मुनाफा, जानें इसकी खास बातें

शॉर्ट टर्म में मुनाफे की गांरटी
लंबी अवधि वाले प्रोपाइल फंडों की तुलना में इनमें इनकम का लक्ष्य स्टेबल होता है। कई निवेशक लिक्विड फंड और अल्ट्रॉ-शॉर्ट पीरियड के फंड के बीच कन्फयूज हो जाते हैं, लेकिन शॉर्ट पीरियड वाले फंड पूरी तरह अलग होते हैं और इनमें मुनाफे की गारंटी होती है।
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लिक्विड फंड्स से कैसे हैं अलग
लिक्विड फंड और अल्ट्रा-शॉर्ट अवधि के फंड के बीच मुख्य अंतर दोनों योजनाओं की मेच्योरिटी या ड्यूरेशन प्रोफाइल है। लिक्विड फंड्स डेट या मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं, जो 91 दिनों में मेच्योर हो जाते हैं। वहीं अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड्स की अवधि 3 से 6 महीने है। यील्ड कर्व आम तौर पर ऊपर की ओर झुका हुआ होता है। उदाहरण के लिए 15 सितंबर 2020 तक, 3 महीने (मेच्योरिटी) गवर्नमेंट सिक्योरिटीज (G-Sec) की यील्ड 3.31 फीसदी है, जबकि 6 महीने की G-Sec की यील्ड 3.53 फीसदी है और 1 साल की G-Sec की यील्ड 3.72 फीसदी है।
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किसके लिए निवेश है फायदेमंद
ये फंड उन निवेशकों के लिए सही हैं, जिनके निवेश का लक्ष्य 3 महीने से 1 साल के बीच है। अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड में सुरक्षा की गारंटी नहीं होती है, लेकिन इनमें रिस्क कम होता है। इसकी वजह यह है कि ये फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं। अगर किसी का निवेश लक्ष्य 3 महीने से ज्यादा का है, तो नुकसान होने की संभावना कम होती है। 
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अल्ट्रा-शॉर्ट में क्यों करना चाहिए निवेश
ऐसे निवेशक जिनके पास सरप्लस फंड्स हैं और जिनकी उन्हें अगले 3 से लेक र12 महीनों में जरूरत नहीं है, वे इन फंडों में पैसा लगा सकते हैं। इनमें  बचत खाते के मुकाबले ज्यादा लाभ मिलता है। प्रमुख पीएसयू और निजी क्षेत्र के बैंकों की बचत बैंक ब्याज दरें वर्तमान में 2.75-3.5 फीसदी के बीच हैं। अल्ट्रा-शॉर्ट टर्म फंड बचत खाते की तुलना में ज्यादा ब्याज देते हैं। फिलहाल, इन फंडों का रिटर्न 6 से 9 महीने तक प्रमुख बैंकों की एफडी की दरों से 90 से 150 बीपीएस ज्यादा है।
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 टैक्स
अगर निवेश की होल्डिंग अवधि 36 महीने से कम है, तो अल्ट्रा-शॉर्ट अवधि फंडों की इकाइयों की बिक्री से होने वाले कैपिटल गेन को आय में जोड़ दिया जाता है और उस पर आय कर स्लैब दर के अनुसार टैक्स लगता है।
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इन बातों पर ध्यान देना जरूरी
निवेश की अवधि 3 महीने से 12 महीने हो तो यह बेहतर विकल्प हो सकता है। एक्सपेंस रेश्यो ज्यादा होने से शॉर्ट टर्म रिटर्न प्रभावित हो सकता है। हाई क्रेडिट क्वालिटी वाले पेपर में ही पैसा लगाना सही रहता है। शॉर्ट टर्म प्रदर्शन के आधार पर स्कीम का चुनाव नहीं करें, उसकी क्वालिटी पर जरूर ध्यान दें। 
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