लोग गांव छोड़ शहरों में निकल जाते हैं मजदूरी करने, ये शख्स खेती से ही कमाता है लाखों करोड़ों रुपये

Published : Jan 12, 2020, 12:59 PM IST

जयपुर: बेहतर करियर के लिए आज भी लोग सरकारी नौकरियों, इंजीनियरिंग का मेडिकल की ओर ही देखते हैं। गांवों में भी तमाम युवा ऐसा ही सपना लेकर घर बार छोड़ देते हैं। अपनी खेत जमीन से दूर होकर कई सपना पूरा कर लेते हैं और कई को निराशा हाथ लगती है। कम पढे लिखे लोग भी मजदूरी के लिए गांवों को छोड़कर शहरों की ओर भागते हैं। क्योंकि लागत के मुक़ाबले खेती को घाटे का सौदा माना जाता है। मगर हम जिस शख्स की कहानी बता रहे हैं वो बिलकुल अलग है। इस शख्स का नाम राकेश चौधरी है।

PREV
110
लोग गांव छोड़ शहरों में निकल जाते हैं मजदूरी करने, ये शख्स खेती से ही कमाता है लाखों करोड़ों रुपये
नागौर जिले के साधारण गांव से आने वाले राकेश चौधरी ने भी दूसरे तमाम युवाओं की तरह शहर में पढ़ाई लिखाई की। जयपुर से साइंस में ग्रैजुएशन पूरा किया। लेकिन उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद रोजगार का विकल्प खेती-किसानी को ही चुना।
210
राकेश बचपन से ही होनहार छात्र थे। गांव के ही स्कूल में पढ़ाई लिखाई हुई। पिता सरकारी नौकरी में थे और चाहते थे कि उनका होनहार बेटा भी पढ़ लिखकर सरकारी नौकरी करे ताकि उसका भविष्य सुरक्षित हो जाए। लेकिन जब पढ़ाई खत्म करने के बाद राकेश ने पिता को किसान बनने की बात बताई तो घर में तूफान मच गाय। पिता ने समझाया कि खेती किसानी करो, मुझे कोई ऐतराज नहीं, मगर साथ में कोई नौकरी भी करो।
310
राकेश पिता की बात से सहमत नहीं हुए और सिर्फ खेती ही करने की बात दोहराई। दरअसल, राकेश की जिंदगी तब बदली जब जयपुर में उनकी मुलाक़ात दुल्लीचंद हंसवाल से हुई। इन्होंने ही सबसे पहले राकेश को मेडिशनल प्लान्ट्स की खेती के लिए प्रोत्साहित किया था।
410
कैसे राकेश ने खेती से बनाए लाखो करोड़ों रुपये: दुल्लीचंद की वजह से राजस्थान स्टेट मेडिसिनल प्लांट बोर्ड के संपर्क में आए। 2004 में उन्होंने मेडिसिनल प्लांट की खेती के लिए ट्रेनिंग भी ली। खुद का रजिस्ट्रेशन कराया और बोर्ड से प्रोजेक्ट लिया। हालांकि शुरू शुरू में राकेश से गलतियां हुईं। उन्होंने खेती के लिए ऐसी फसलों का चयन कर लिया जो उनके गांव के क्लाइमेट के हिसाब से ठीक नहीं थीं। राकेश को तगड़ा नुकसान हुआ। राकेश के ऊपर काफी कर्ज हो गया। लोगों के ताने अलग से सुनने पड़े।
510
बाद में राकेश ने खेती के लिए गांवों के क्लाइमेट को समझा। इसके बाद उन्होंने ऐलोवीरा की खेती का मन बनाया। राकेश ने अपने साथ तमाम किसानों को भी जोड़ा और खेती के लिए प्रोत्साहित किया। कुछ किसानों ने राकेश का मज़ाक उड़ाया तो कई उनके साथ आए।
610
एलोवीरा खेती की जानकारियां हासिल करने के बाद राकेश ने अपने गांव में पांच एकड़ जमीन में खेती शुरू की। तीन साल तक उन्हें निराशा ही हाथ लगी। पर उन्होनें हिम्मत नहीं हारी। राकेश ने तय किया कि किसानों से कोंट्रेक्ट खेती करवाएंगे और उनका माल खरीदकर मेडिकल बोर्ड को बेचेंगे। उन्होंने कई किसानों को जोड़ा।
710
किसानों के साथ एलोवीरा की कांट्रैक्ट फ़ार्मिंग के लिए लागत की जरूरत थी। जो राकेश के पास नहीं थी। इस लागत के लिए राकेश ने पत्नी के गहने तक गिरवी रखे। पैसे पूरे नहीं हुए तो पिता की पेंशन पर लोन भी लेना पड़ा। किसी तरह खेती हुई और फसल तैयार हो गई। मगर फसल तैयार होने के बाद एक और दिक्कत सामने खड़ी होने लगी। दिक्कत ये थी अब एलोवीरा बेचा कहा जाए। राकेश को पहली फसल घाटे पर बेचनी पड़ी थी।
810
हालांकि बाद में राकेश को मुंबई का एक ग्राहक मिला। उन्हें माल इतना पसंद आया कि गांव में ही प्रोसेसिंग यूनिट डालने का प्रस्ताव दे दिया। गांव में यूनिट लगने से महिलाओं को रोजगार भी मिला।
910
बाद में राकेश ने एलोवीरा ही नहीं कई और फसलें भी उगाई। पतंजलि और हिमालया जैसी बड़ी कंपनियों के संपर्क में आए। आज की तारीख में हजारों किसान राकेश की संस्था के साथ खेती कराते हैं। राकेश किसानों को लागत देते हैं। किसान फसल तैयार कराते हैं और फिर राकेश उन्हें बेचते हैं। राकेश के मुताबिक आज उनका टर्नओवर 10 करोड़ से ज्यादा है।
1010
राकेश अब हर्बल मैन के रूप में मशहूर हो चुके हैं। हाल ही में हिमाचल सरकार से 100 करोड़ का एमओयू भी साइन किया है। अब इस पढे लिखे किसान का लक्ष्य 100 करोड़ टर्नओवर करना है।

Recommended Stories