आंखों से दिखाई नहीं देता; उंगलियों से अक्षर समझ की पढ़ाई, कड़ी मेहनत से IAS अफसर बना गरीब लड़का
नई दिल्ली. शारीरिक अपंगता कई बार मजबूत इरादों के सामने कमजोर पड़ जाती है। अगर इंसान ठान ले और मन के भीतर हौसला जगा ले कुछ कर गुजर जाने का तो दुनिया की सारी खुशियां और नेमतें उसके कदमों में होती हैं। ऐसी ही एक संघर्ष की कहानी है जो आपको भीतर तक झकझोर देगी। इस कहानी से देश का हर स्टूडेंट प्रभावित होगा। खासतौर पर यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों को ये कहानी जरूर जाननी चाहिए। ये कहानी है एक दृष्टिहीन शख्स की जिसने आंखों की रोशनी के बिना देश का बड़ा अधिकारी बनने का सपना देखा और उसे पूरा भी कर दिखाया।
Kalpana Shital | Published : Jan 25, 2020 6:51 AM IST / Updated: Jan 25 2020, 05:46 PM IST
छात्रों के लिए प्रेरणा बन चुके इस शख्स का नाम है राकेश शर्मा। राकेश मूल रूप से हरियाणा के छोटे से गांव सांवड़ के रहने वाले हैं लेकिन वो लगभग 13 साल सेक्टर 23 में रहते हैं। राकेश शर्मा का बचपन बेहद मुश्किलों में गुजरा है। वे एक सामान्य इंसान की जिंदगी जीने को तरसते रहे।
बचपन में ही राकेश शर्मा की आंखों की रौशनी चली गई थी। ड्रग्स रिएक्शन होने की वजह से उन्हें दिखाई नहीं देता था। ऐसे में उन्होंने अपनी पढ़ाई ब्रेल लिपी (दृष्टिहीन बच्चों के लिए शिक्षा पद्धति) से पूरी की। इस सिस्टम में बच्चे हाथों की उंगलियों से अक्षरों को समझ पढ़ाई करते हैं। राकेश स्पेशल स्कूल जाते थे और पढ़ाई में काफी अच्छे भी थे। उन्हें चलने फिरने तक के लिए सहारे की जरूरत पड़ती थी। दुनिया में मौजूद रंगों से वो अनजान थे। उनकी जिंदगी में सिर्फ अंधेरा था। पर परिवार का पूरा प्यार और साथ उनके साथ था।
बचपन में जब राकेश को दिखना बंद हो गया तो गांव के लोगों और रिश्तेदारों ने उन्हें बोझ घोषित कर दिया। आए दिन रिश्तेदार मां-बाप को सलाह देते अरे अंधे बच्चा क्या कर देगा आपके लिए ये तो बोझ बना रहेगा इसे किसी अनाथ आश्रम में छोड़ आओ। वहीं ऐसे बच्चों की असली जगह है। पर राकेश के मां-बाप ने समाज को करारा तमाचा मारा और अपने बेटे को बच्चे को एक समान्य बच्चे की तरह पाला।
राकेश होनहार बच्चे थे और पढ़ाई में होशियार। राकेश शर्मा ने सोशल वर्क की पढ़ाई की है। इस परीक्षा को क्रैक करने से पहले उन्हें अहसास हुआ कि वो सिविल सर्वेंट बनने के बाद समाज के लिए काफी कुछ अच्छा कर सकते हैं और उन्होंने अपने सपने को सच्चाई में बदलते हुए ये सफलता हासिल की। (फोटो एक यूट्यूब चैनल के इंटरव्यू से)
राकेश ने सरकारी नौकरी के बारे में खूब सुना था। फिर ये भी सुना कि देश में बड़े-बड़े अधिकारी भी होते हैं। तो उन्होंने भी अधिकारी बनने का सपना देखा। राकेश ने यूपीएससी पास करने का लक्ष्य बना लिया। इसके लिए प्लानिंग और स्ट्रेटेजी बनाई जिसके बाद टारगेट को पार कर लिया। उन्होंने सोशल वर्क में एमए की परीक्षा पास की, इसके बाद 10 महीने कोचिंग ली और पहले ही प्रयास में यूपीएससी परीक्षा को पास किया। (फाइल फोटो)
साल 2018 में राकेश ने सिविल सर्विस की परीक्षा क्लियर की। सिविल सर्विस की परीक्षा में 608 रैंक हासिल करने वाले राकेश के घर वो लोग भी बधाई देने पहुंचे जो उन्हें बोझ बताते रहे। राकेश ने देश के बड़े अधिकारी बनने का सपना देखा और कड़ी मेहनत से आईएएस अफसर बन गए। (फाइल फोटो)
इसके बाद मीडिया और न्यूज चैनल पर राकेश के इंटरव्यू भी खूब आए। राकेश ने दूसरे छात्रों को टिप्स दिए। उन्होंने कहा- अगर आप मोटिवेट हैं तो किसी भी मुश्किल परीक्षा को पास कर सकते हैं। मेरे मां और पिता हर वक्त मेरे साथ थे, ताकी मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त कर संकू। (फाइल फोटो)
आंखों से देख भले नहीं सकते राकेश लेकिन समाज को बेहतर बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि, यूपीएससी को क्रैक करने के बाद वो देश और समाज के विकास में योगदान देना चाहते हैं। (फाइल फोटो)