बस कंडक्टर ने पास की UPSC परीक्षा, अनपढ़ परिवार में कोई नहीं जानता IAS अफसर कौन होता है?
बेंगलुरू. हौसले अगर बुलंद हो तो किस्मत तो उनकी भी खुल जाती है जिनकी जिंदगी सिर्फ दुखों में गुजर रही हो। गरीबी-अमीरी सब धरी रह जाती है जब इंसान अपने काम और मेहनत से कुछ करने की ठान ले। ऐसी ही एक मिसाल पेश की है एक बस कंडक्टर ने। क्या किसी ने सोचा होगा रोजाना बसों की सवारियां ढोने वाला ये मामूली बस कंडक्टर एक रोज बड़ा अधिकारी बन जाएगा। वो हाथ में पेन डायरी लिए टिकट काटता है लेकिन इस रोजमर्रा के काम से थोड़ा सा वक्त निकालकर यूपीएससी जैसे टफ एग्जाम की तैयारी भी करता है?
Asianet News Hindi | Published : Jan 29, 2020 4:46 AM IST / Updated: Jan 29 2020, 10:26 AM IST
कर्नाटक के मांड्या जिले के रहने वाले बस कंडक्टर मधु एनसी ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने साबित कर दिया मेहनत के बलबूते अपनी किस्मत खुद लिखी जा सकती है। मधु ने यूपीएसपी का एग्जाम क्लियर कर लिया है न सिर्फ प्री बल्कि मेन्स भी निकाल दिया। मधु की सफलता बताती है कि आप अपनी मेहनत के बल पर दूसरों के रोल मॉडल बन सकते हैं।
मधु एनसी बेंगलुरू मेट्रोपोलिटन ट्रांसपोर्सट कॉर्पोरेशन (बीएमटीसी) में कंडक्टर के पद पर तैनात हैं। उन्होंने नौकरी की शुरुआत 19 साल की उम्र में ही कर दी थी। परिवार की सहायता के लिए कम उम्र में ही काम शुरू करनेवाले मधु ने अपना लक्ष्य नहीं छोड़ा। (फाइल फोटो)
मधु अपने घर में सबसे छोटे हैं और स्कूल जाने वाले पहले इंसान हैं। उनका बड़ा भाई और एक बहन भी है जिन्होंने कभी स्कूल नहीं देखा। पर मधु ने पढ़ाई की। अपने बेटे को आईएएस अधिकारी बनते देख मां की खुशी का ठिकाना नहीं है वो सातवें आसमान पर है। (फाइल फोटो)
मधु बताते हैं, "आम तौर पर लोग असफलता के बाद हिम्मत हार जाते हैं लेकिन 2014 में कर्नाटक प्रशासनिक सेवा की परीक्षा में नाकाम होने के बावजूद मैंने तैयारी जारी रखी। 2018 में यूपीएससी की परीक्षा में भी सफलता नहीं मिली। अगली बार फिर मैंने फिर यूपीएससी की परीक्षा दी। आखिरकार दूसरी बार में मुझे कामयाबी मिली। मैं जिंदगी में कुछ बड़ा हासिल करना चाहता था।” (फाइल फोटो)
काम करते हुए परीक्षा की तैयारी करना कितना कठिन होता है। ये मधु से बेहतर कौन जान सकता है। काम पर जाने से पहले मधु चार बजे सुबह उठ जाते थे। फिर रोजाना पांच घंटे पढ़ाई में बिताते। (फाइल फोटो)
2019 में की प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने मुख्य परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। ऑपशनल विषय में उन्होंने पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशन चुना। प्रारंभिक परीक्षा कन्नड़ भाषा में दी जबकि मुख्य परीक्षा में उन्होंने अंग्रेजी को चुना। (फाइल फोटो)
मधु कहते हैं, “कोचिंग, ट्यूशन या क्लास लेने के बजाय मैंने खुद से पढ़ाई की। मैंने तैयारी में अपने बीएमटीसी के कुछ वरिष्ठों की भी मदद ली।” मधु अपनी कामयाबी का क्रेडिट अपनी बॉस शिखा को देते हैं। उनकी तैयारी में बीएमटीसी की प्रबंधन निदेशक शिखा का भी योगदान है। 29 वर्षीय कंडक्टर अब इंटरव्यू की तैयारी करने में जुटे हैं। (फाइल फोटो)