Published : Jan 07, 2020, 12:00 PM ISTUpdated : Jan 07, 2020, 01:57 PM IST
नई दिल्ली. छोटी-छोटी खुशियों को बांटने के लिए भी हम चाहते हैं कि हमारे अपने हमारे साथ हों। मां-बाप हों, दोस्त हों या रिश्तेदार हों। पर उसके साथ कैसा हो जिसके लिए जिंदगी का सबसे बड़ा सपना पूरा हो गया है पर खुशी मनाने वाला कोई न हो? ये सुनने में भी कितनी भयानक और उदास कर देने वाली बात लगती है। पर देहरादून की एक लड़की की जिंदगी में सबसे बड़ी खुशी का दिन बहुत रुला देने वाला बन गया।
देश की बड़ी अफसर बनने वाली ये मासूम सी शक्ल की लड़की की कहानी काफी संघर्ष भरी रही है। लड़की ने सच्ची मेहनत के बलबूते जो कर दिखाया उसका ख्वाब बहुत से मां-बाप अपने बच्चों के लिए देखते हैं। पर इस लड़की ने मुकाम तो हासिल कर लिया लेकिन उसके पास आगे बढ़कर खुशी से गले लगाने वाले माता-पिता नहीं थे।
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इस लड़की ने तमाम परेशानियों के बीच अपनी हिम्मत बनाए रखी थी। वह हमेशा पढ़ाई में अव्वल रही। उसने यूपीएससी का सिविल सर्विस एग्जाम पास करने की ठानी और उसके लिए दिन-रात एक करके पढ़ाई की।
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मोनिका उत्तराखंड में देहरादून जिले के गांव नाडा लाखामंडल की रहने वाली हैं। मोनिका बचपन से ही पढ़ाई में होनहार थीं। माता-पिता का सपना था बेटी एक दिन प्रशासनिक अधिकारी बनेगी। पिता का सपना था उन्हें अधिकारी बनते देखें। मोनिका ने 5वीं तक की शिक्षा दून के स्कॉलर्स होम से ली। छठी से 12वीं तक की पढ़ाई सेंट जोसेफ स्कूल हुई पर एक दिन उसकी जिंदगी में जैसे भूचाल आ गया।
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मोनिका के मां-बाप उसे कम उम्र में ही छोड़ चल बसे। मोनिका के पिता गोपाल सिंह राणा और मां इंदिरा राणा की साल 2012 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। वह पल भर में अनाथ हो गई। पर उसकी बहन दिव्या राणा ने उसे संभाला और आगे की पढ़ाई भी पूरी करवाई। मोनिका की बहन दिल्ली के यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर हैं।
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2015 में मोनिका मद्रास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई करने लगीं लेकिन मम्मी पापा को खोने के बाद उनके पास एक ही लक्ष्य था, पढ़ाई कर मां-बाप के हर सपने को पूरा करना। उसने मन ही मन ठान ली थी कि, अपने मम्मी पापा की आखिरी ख्वाहिश को पूरा करेगी।
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फिर मोनिका यूपीएससी की तैयारी करने लगीं। एग्जाम दिया लेकिन 2015 और 2016 में सफल नहीं हो पाई। वेदांता कोचिंग सेंटर से कोचिंग की। दिल्ली के श्रीराम सेंटर से कोचिंग कर 2017 यूपीएससी एग्जाम में 577वीं रैंक पाकर सफलता प्राप्त की। घर में खुशी का ठिकाना नहीं रहा वो अफसर बन चुकी थी लेकिन बधाई देने के लिए उसकी नजरें मां-बाप को ढूंढ़ती रहीं और आंसू बहाती रहीं।
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बेटी ने दिवंगत मां-बाप के सपने सच कर दिखाया तो वे उस लम्हे को जीने के लिए थे ही नहीं। बेटी को अफ़सर बन खुद के पैरों पर खड़े होते देखना उनकी किस्मत में नहीं था। मोनिका की ये कहानी सच्ची मेहनत और पक्के जुनून को दर्शाती है। अगर आप ठान लें तो सफलता आपके कदम जरूर चूमती है बस इरादा पक्का होना चाहिए।