झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली लड़की ने 12वीं बोर्ड में झटके 96%, दिन-रात कपड़े सिल-सिलकर की पढ़ाई-लिखाई

करियर डेस्क.  Delhi Seelampur Slum Girl Gets 96 Percent: बीते कुछ दिनों में लॉकडाउन के बीच कई राज्यों के रिजल्ट घोषित हुए हैं। रिजल्ट में बहुत से बच्चों ने टॉप करके अपने प्रदेश में नाम रोशन किया है। इस बीच गरीबी से जूझते बच्चों की सफलता की कहानियां सामने आई हैं। इसमें दिल्ली की सीलमपुर इलाके की एक झुग्गी-झोपड़ी टॉपर ने सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं। इसका नाम है फैज‍िया जो सीलमपुर के जेजे क्लस्टर में रहती हैं। फैजिया ने 12वीं सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाओं में 96 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं। 
 

Asianet News Hindi | Published : Jul 29, 2020 6:49 AM IST / Updated: Jul 29 2020, 12:31 PM IST
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झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली लड़की ने 12वीं बोर्ड में झटके 96%, दिन-रात कपड़े सिल-सिलकर की पढ़ाई-लिखाई

18 साल की फैजिया मां, तीन बहनों और भाई के साथ 60/70 वर्ग फुट के कमरे गुजर बसर कर रही है। श‍िक्षक बनने का सपना देखने वाली फाज‍िया के दिन की शुरुआत रोजाना घर के काम करने से होती है, जिसके बाद उसे सिलाई करनी होती है जो वह अपने परिवार की मदद करने के लिए करती हैं। 

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सीलमपुर की बेहद संकरी गलियों में जीवन की तमाम प्रतिकूलताओं और कठिनाइयों के बीच रहते हुए भी 18 वर्षीय फाज‍िया ने उड़ते हुए रंगों को अपनी मुट्ठी में भर ही ल‍िया और 12वीं सीबीएसई बोर्ड की परीक्षाओं में 96 प्रतिशत अंक हासिल किए।

 

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फाज‍िया ने ANI को बताया क‍ि वह बहुत ही नर्वस थीं। जब वह 12वीं कक्षा में आई तो ना उनके पास ट्यूशन की सुव‍िधा थी और ना ही घर के हालात ठीक थे। उन्‍हें घर को भी देखना था और अपनी पढ़ाई को भी। फाज‍िया जहां रहती हैं, उसे द‍िल्‍ली का स्‍लम एर‍िया कहा जाता है। इन क्षेत्रों में छात्रों के पढ़ने का बहुत अच्‍छा माहौल नहीं होता। हमेशा शोर होने के कारण फाज‍िया रात में पढ़ाई करती थीं।

 

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व‍ित्‍तीय परेशान‍ियों ने फाज‍िया की मुश्‍क‍िल और बढ़ा दी। ऐसे में आशा सोसायटी नाम के एनजीओ ने फाज‍िया की मदद की और सैम्‍पल पेपर, मॉक टेस्‍ट आद‍ि का इंतजाम कराया। फाज‍िया को पढ़ने का माहौल भी दिया।

 

 

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फाज‍िया की मां सक‍िना, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ाई जीत चुकी हैं। उन्‍होंने कहा क‍ि फाज‍िया की उपलब्‍ध‍ि पर वह बेहद खुश हैं। उन्‍हें गर्व महसूस हो रहा है। उन्‍होंने कहा क‍ि ज‍िस माहौल में वो लोग रह रहे हैं, उसमें फाज‍िया एक रौशनी की क‍िरण की तरह है। फाज‍िया के प‍िता नहीं हैं। फाज‍िया के प‍िता और सक‍िना हमेशा यही चाहते थे क‍ि उनके बच्‍चे अच्‍छी तालीम लें।

 

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फाज‍िया का भाई मजदूरी का काम करता है। उन्‍होंने कहा क‍ि फाज‍िया भी कड़ी मेहनत करती है। भगवान की हर ख्‍वाह‍िश पूरी करें। वह सलवार सूट की स‍िलाई करती है और महीने में दो से ढाई हजार कमा लेती है। वह भूगोल की टीचर बनना चाहती हैं। 

 

 

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