पिता नहीं चाहते थे पुलिस में जाए लड़की......रो धोकर बाप को मनाया और बेटी बन गई DSP
रायपुर. जिस जमाने में लड़कियों को पढ़ने नहीं दिया जाता था उस जमाने में छत्तीसगढ़ के एक छोटे से गांव की लड़की ने डीएसपी बनने का सपना देखा। वो बचपन से ही पुलिस की वर्दी को पहनने की सोचती थी। सिर पर पुलिस की कैप लगाकर तिरंगे को सैल्यूट करना चाहती थी। इसलिए उसने दिन-रात मेहनत की और पढ़ाई की। पिता ने जब पुलिस में जाने से मना कर दिया तो घर में हल्ला बोल दिया। हम बात कर रहे हैं डीएसपी से IAS अफसर बनने वाली रानू साहू के बारे में। रानू देश की एक जाबांज महिला अफसर हैं और नक्सली इलाकों में काम कर चुकी हैं। IAS, IPS सक्सेज स्टोरी (IAS IPS Success Stories) में हम आपको रानू के संघर्ष और जज्बे की कहानी सुना रहे हैं...
Asianet News Hindi | Published : Mar 18, 2020 11:22 AM IST / Updated: Mar 19 2020, 11:42 AM IST
छत्तीसगढ़ में रायपुर के गरियाबंद जिले के एक छोटे से गांव पांडुका में जन्मी रानू बचपन से ही पढ़ाई में बहुत बेहतर थीं। उन्होंने 10वीं कक्षा में उस दौर में 90 फीसदी अंक हासिल किए थे जब छात्र 10 बार फेल हो जाते थे।
वो साल 2005 में डीएसपी बनी थीं तो उनके गांव में लोग हक्के-बक्के रह गए थे। रानू को टीचर्स का साथ मिला उनके मार्गदर्शन से उन्होंने सोचा कि वो आत्मनिर्भर बनने के साथ कुछ बड़ा करेंगी। ऐसे में उन्होंने सोच लिया कि वो पुलिस में जाएंगी।
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में रानू बताती हैं कि उन्हें पुलिस की वर्दी बहुत आकर्षित करती थी। वो खुद को हमेशा पुलिस की वर्दी में देखतीं और सपने देखती थीं। उन्होंने ठान लिया कि वो डीएसपी बनेंगी।
रानू ने ग्रेजुएशन के बाद सोचना शुरू कर दिया और अपने पिता को इस बारे में बताया। बेटी के पुलिस में जाने की बात सुनकर पिता भड़क गए। उनके पिता एक मामली किसान थे वो नहीं चाहते थे कि बेटी पुलिस में जाए क्योंकि इसे एक सही क्षेत्र नहीं माना जाता था। पिता के मना करने पर रानू काफी रोई और अपने घर में पिता और परिवार के लोगों को समझाया। ऐसे में उनकी मां ने बिचौलिया बनकर बाप-बेटी की अनबन को कम किया।
उन्होंने बेटी का हौसला बढ़ाया और पिता मनाने में रानू की मदद की। आखिरकार रानू ने पिता को कन्वेंस कर लिया और पुलिस की तैयारी करने फॉर्म भर दिया। यूपीएससी का एग्जाम देने के बाद वो फेल हो गई।
हाई कोर्ट ने रिज्ल्ट पर रोक लगा दी थी लेकिन जब दोबारा रिजल्ट घोषित किया गया तो वो पास हुईं। ऐसे में रैंक के हिसाब से उन्हें डीएसपी का पद मिला।
पुलिस की ट्रेनिंग के साथ ही उन्होंने IAS की तैयारी भी जारी रखी। IAS बनने का चस्का लगा तो वो एग्जाम देती रहीं। आखिरकार उन्होंने साल 2009 में IAS का एग्जाम भी क्लियर किया और कांकेर की कलेक्टर बनीं। वे कांकेर जिले की 14वीं कलेक्टर तथा चौथी महिला कलेक्टर रही हैं। उन्होंने जिले की शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं को और भी बेहतर बनाने में काम किया।