सेना की वर्दी देख होती थी आकर्षित, पहले छोड़ी आरामदायक नौकरी, फिर बन गई फर्स्ट लेडी टेरिटोरियल आर्मी ऑफिसर

नई दिल्ली. मन में अगर कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो हर नामुमकिन काम भी मुमकिन हो जाता है। इंसान में बस कुछ करने का जज्बा और लगन हो तो वह कुछ भी कर सकता है। और इस बात को आज कल भारतीय महिलाएं बख़ूबी साबित कर रही हैं। वे पुरुषों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर आगे बढ़ रही है। आज हम ऐसी ही एक जांबाज महिला के बारे में बात करने वाले हैं जिन्हें एईई प्रोडक्शन के क्षेत्र में टेरिटोरियल आर्मी में अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया। नाम है शिल्पी गर्गमुख। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 12, 2020 10:57 AM IST

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सेना की वर्दी देख होती थी आकर्षित, पहले छोड़ी आरामदायक नौकरी, फिर बन गई फर्स्ट लेडी टेरिटोरियल आर्मी ऑफिसर
शिल्पी गर्गमुख देश की पहली महिला है जिन्हें क्षेत्रीय सेना में अधिकारी के रूप में शामिल किया गया।
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उन्हें 5 अक्टूबर 2016 को एईई प्रोडक्शन के क्षेत्र में टेरिटोरियल आर्मी में अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया था।
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शिल्पी को भारती बिल्डिंग ओएनजीसी दिल्ली में एक भव्य पाइपिंग समारोह आयोजित कर टेरिटोरियल आर्मी में शामिल किया गया था। इस अवसर पर ओएनजीसी निदेशकों और वरिष्ठ क्षेत्रीय सेना अधिकारियों की उपस्थिति में शिल्पी को सीएमडी डी. के. सर्राफ और मेजर जनरल संजय सोई ने पाइपिंग पहना कर सम्मानित किया था।
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शिल्पी गुर्गमुख ने बिहार के कटिहार में नवोदय विद्यालय में दसवीं और बाहरवीं में टॉप करने के बाद बी.आई.टी. सिंदरी धनबाद से केमिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है।
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उन्होने हैदराबाद में टीसीएस में नौकरी भी की लेकिन उन्होंने जल्द ही इसे छोड़ दिया क्योंकि उन्हें सेना की ऑलिव ग्रीन वर्दी आकर्षित करती थी।
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शिल्पी कहती हैं कि "मेरे दोनों भाई सशस्त्र बलों में अपनी सेवाएं दें रहें हैं और अब मैं भी देश को एक सैनिक के रूप में सेवा प्रदान करूंगी। मैं हमेशा से ही इस हरे रंग की वर्दी को पहनने का सपना देखती आई हूं। मुझे यह वर्दी आकर्षित करती है।
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भारतीय सेना के बाद क्षेत्रीय सेना रक्षा की दूसरी पंक्ति है जो सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करती है। इन्हें इसलिए ट्रेनिंग दी जाती है ताकि जरूरत पड़ने पर उन्हें देश की रक्षा में उपयोग किया जा सके।
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