3 जिगरी दोस्तों जब एक साथ बने IAS अफसर...बिछड़कर भी रहे एक, पढ़िए दोस्ती की मिसाल वाली रोमांचक कहानी

करियर डेस्क. Three Friends become IAS Officer Together: हर साल अगस्त माह के पहले रविवार को दुनिया भर में मित्रता दिवस (Friendship Day 2020) मनाया जाता है। मित्रता दिवस पर यारी, दोस्ती की मिसाल खूब देखने और सुनने को मिलती है। आइए आज फ्रेंडशिप डे 2020 के मौके पर हम आपको मिलवाते हैं ऐसे तीन जिगरी दोस्तों से, जिनका याराना कामयाबी की मिसाल बन गया। तीनों ने एक साथ यूपीएससी एग्जाम क्रेक किया और आईएएस (IAS) बन गए।

 

फ्रेंडशिप डे के दिन इन अफसर दोस्तों की सफलता की कहानी हर बच्चे के लिए प्रेरणा बन सकती है-  

Asianet News Hindi | Published : Aug 2, 2020 12:22 PM IST / Updated: Aug 02 2020, 05:59 PM IST
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3 जिगरी दोस्तों जब एक साथ बने IAS अफसर...बिछड़कर भी रहे एक, पढ़िए दोस्ती की मिसाल वाली रोमांचक कहानी

कौन हैं ये तीन आईएएस अफसर 

 

यह सक्सेस स्टोरी तीन दोस्त विशाल मिश्रा, गौरव विजयराम और साद मियां खान की है। सिविल सर्विसेज 2017 में इन तीनों दोस्तों ने आईएएस बनने में सफलता हासिल की है। साद खान ने 25वीं, गौरव ने 34वीं और विशाल ने 49वीं रैंक प्राप्त की।

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दिल्ली में अमर उजाला की एक खबर के मुताबिक साद मियां उत्तर प्रदेश के बिजनौर के, गौरव विजयराम सहारनपुर के और विशाल कानपुर देहात के रंजीतपुर के रहने वाले हैं। विशाल और साद ने हरकोई बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी से एक साथ पढ़ाई की। इनकी गौरव से मुलाकात दिल्ली में हुई। फिर तीनों ने एक साथ यूपीएससी की तैयारी की और एक साथ ही इनका चयन हो गया।
 

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कॉलेज छोड़ने के बाद अफसर बनने की ठानी 

 

विशाल और साद ने वर्ष 2007 में सिविल इंजीनियरिंग के लिए हरकोई बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी में प्रवेश लिया था। यहां पर दोनों ने 2012 तक पढ़ाई की। विशाल पढ़ाई को काफी गंभीर था जबकि साद मस्ती मजाक ज्यादा किया करता था, लेकिन दोनों ने अपने तीसरे दोस्त गौरव के लिए मिलकर आईएएस बनने का सपना संजोया और किताबों से दोस्ती की फिर सफलता भी मिली।

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व्हाट्सएप से जुड़े रहे 

 

विशाल बताते हैं कि एचबीटीयू से बीटेक करने के बाद मैं आईआईटी कानपुर से एमटेक की पढ़ाई करने चला गया। फिर दोस्त साद से मुलाकात नहीं हो पाती थी, मगर हम दोनों व्हाट्सएप के जरिए एक दूसरे जुड़े रहे। वर्ष 2015 और 2016 में यूपीएससी के साक्षात्कार तक पहुंचा। वहीं, बीटेक के बाद साद मियां ने अपने घर रहकर पांच बार यूपीएससी की परीक्षा दी, मगर दोनों को कामयाबी तीसरे दोस्त गौरव के साथ मिली।
 

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आज फ्रेंडशिप डे हैं और इन तीन दोस्तों की सफलतता की कहानी देश के लाखों बच्चों के लिए प्रेरणा है। इंसान अगर कोशिश करें तो सपने पूरे होने में सिर्फ मेहनत और रिजल्ट का फासला रह जाता है। किसी का साथ मिल जाए तो मुश्किलें औऱ आसान हो जाती हैं। दोस्ती एक दूसरे की मदद से आगे बढ़ना सिखाती है।

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