जहां कोख में मार दी जाती हैं बच्चियां वहीं से ये लड़की बनी IAS अफसर, बेमिसाल है संघर्ष की कहानी

चंडीगढ़. देश में हर साल सैकड़ों बच्चे सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी करते हैं। अफसर बनने का सपना देखने वाले छात्र दिन-रात कड़ी मेहनत कर पढ़ाई में जुटे रहते हैं। जब परीक्षा का रिजल्ट घोषित होता है तो बहुत से बच्चे टॉपर्स भी निकलते हैं। यूपीएससी की परीक्षा में एक ऐसी ही टॉपर के बारे हम आपको बताने वाले हैं। इनका नाम है शेना अग्रवाल और वो कन्याभ्रूण हत्या के लिए कुख्यात हरियाणा के एक छोटे-से शहर की निवासी हैं। उन्होंने गरीबी का खात्मा करने और महिला कल्याण के काम करने के लिए अफसर बनने का सपना देखा। शेना ने न सिर्फ यूपीएससी एग्जाम पास किया बल्कि पूरे देश में टॉप भी किया। अफसर बन लड़की को गरीबी का इलाज करने का जुनून था। IAS-IPS सक्सेज स्टोरी में हम आपको हरियाणा की शान शेना अग्रवाल के बारे में बता रहे हैं......

Asianet News Hindi | Published : Feb 26, 2020 4:44 AM IST / Updated: Feb 26 2020, 10:44 AM IST

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जहां कोख में मार दी जाती हैं बच्चियां वहीं से ये लड़की बनी IAS अफसर, बेमिसाल है संघर्ष की कहानी
शेना अग्रवाल हरियाणा की रहने वाली हैं। आज हरियाणा का बच्चा उन्हें अपना आदर्श मानता है। यूपीएससी की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स उनके टिप्स अपनाते हैं। हरियाणा में शेना के पिता एक दंत रोग विशेषज्ञ हैं। डॉक्टर परिवार में जन्मी शेना ने भी डॉक्टरी की पढ़ाई की है। क्लीनिक चलाने वाले उनके पिता डॉ. सी. के. अग्रवाल और उनकी मां उनके लिए बेहद मददगार रहे हैं।
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डॉ. अग्रवाल कहती हैं, ''उन्होंने अपने विचार कभी नहीं थोपे और मैं जो भी करना चाहती थी, उसके लिए मुझे प्रोत्साहित किया।'' वे अपने उन दिनों के बारे में बताती हैं जब वे अक्सर आत्मविश्वास की कमी से हताश हो जाती थीं।
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शेना अग्रवाल ने एम्स से डॉक्टर की पढ़ाई की लेकिन मरीजों की सेवा करते उसे महसूस हुआ कि देश में गरीबी से बड़ी कोई बीमारी नहीं है और उसका इलाज करने के लिए यूपीएससी बेहतर प्लेटफॉर्म बन सकता है। उन्‍होंने इस सफलता के मूलमंत्र के बारे में कहा, 'जो करो दिल से करो और लगन से करो। '10वीं की पढ़ाई हरियाणा से करने बाद उच्च शिक्षा के लिए जब शेना दिल्ली पहुंची तो वहां भी टॉप करने की आदत नहीं छोड़ी थी।
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शेना ने साल 2004 की सीबीएसई पीएमटी परीक्षा में भी पूरे देश में टॉप किया था। उसके बाद 2008 में आल इंडिया मैडिकल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस नई दिल्ली से एमबीबीएस की परीक्षा में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया।
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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से एमबीबीएस डॉक्टर अग्रवाल स्कूल के दिनों से ही यह सपना देखा करती थीं कि वे भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा में बैठेंगी। डॉ. अग्रवाल इस बारे में गंभीर तब जाकर हुईं, जब वे इंटर्नशिप के लिए ग्रामीण इलाकों में गईं। तब उन्हें देश की बुनियादी समस्याओं का पता चला। वे कहती हैं, ''मुझे एहसास हुआ कि कोई प्रशासनिक अधिकारी इस तरह की समस्याओं को हल कर सकता है। मैंने सोचा कि अगर मैं सिविल सर्विसेज एक्जाम पास कर लेती हूं तो मैं ज्‍यादा कारगर हो सकती हूं।'' अग्रवाल कहती हैं, ''मैं मैदान में उतरकर गरीबों के लिए काम करना चाहती थी।''
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उन्होंने इंटर्नशिप करते हुए 2009 में पहली बार परीक्षा दी. वे हंसते हुए कहती हैं, ''यह महज अभ्यास था। मैं पहला राउंड भी पार नहीं कर सकी थी।'' दूसरी बार एम्स में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के तौर पर काम करते हुए कोशिश की। वे साल 2010 की परीक्षा में सफल रहीं और उन्हें भारतीय राजस्व सेवा (आइआरएस) में प्रवेश मिला और अपने तीसरे प्रयास में उन्होंने सबसे बड़ा तीर मार लिया। 2011 में वो पूरे देश में टॉपर रही और अॉल इंडिया नंबर वन रैंक लेकर आईं। अब वो आईएएस अफसर के पद पर तैनात हैं।
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वे कहती हैं, ''मैं यह तो महसूस कर रही थी कि मैं परीक्षा में सफल हो जाऊंगी, लेकिन टॉप करने की उम्मीद मैंने कभी नहीं की थी।' अग्रवाल कन्याभ्रूण हत्या के लिए कुख्यात हरियाणा के एक छोटे-से शहर की निवासी हैं। वे कहती हैं, ''मुझे आशा है कि मेरी सफलता से सभी माता-पिता को संदेश मिलेगा कि लड़कियां-लड़के बराबर हैं। लड़कियां वह सब हासिल कर सकती हैं जो लड़के कर सकते हैं।''
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शेना का एक ही लक्ष्य था, ''मुझे गांव के हालातों को बदलना है। अगर कोई महिला अपने पैरों पर खड़ी है, तो वह अपने फैसले खुद ले सकती है।'' लिहाजा एक डॉक्टर के तौर पर अपने अनुभव पर भरोसा करते हुए अग्रवाल का इरादा शुरू में शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा और साफ-सफाई पर ध्यान देने का रहा।
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