पहली यूपीएससी परीक्षा में 3,647 छात्रों ने हिस्सा लिया था जिसमें अचूतानंद को लिखित में सबसे ज्यादा अंक हासिल हुए थे, लेकिन उन्हें इंटरव्यू में अच्छे नंबर नहीं मिल सके और मद्रास के एन कृष्नन देश के पहले IAS टॉपर बने।
अचूतानंद ने अपनी काबिलियत और सफलता से समाज में, स्कूल और यहां तक की हर स्टेज पर नीची जाति से होने के कारण दुत्कारे जाने को तमाचा मारा था। अपने समुदाय का सिर ऊंचा करने पर उनका नाम इतिहास में दर्ज है। इतिहास में उनका नाम जरूर दर्ज है लेकिन कोई तस्वीर नहीं।
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