फीस भरने रेहड़ी पर अंडे बेचे, दफ्तरों में लगाया पोछा झाड़ू, कड़ी मेहनत से IAS बन इस शख्स ने उड़ाए लोगों के होश

Published : Aug 14, 2020, 01:54 PM ISTUpdated : Aug 14, 2020, 02:00 PM IST

करियर डेस्क. IAS Success Story Manoj Kumar Rai: दोस्तों अफसरों का रुतबा भले आपको चकाचौंध से भरा लगता हो लेकिन वो होते देश और समाज के लिए एक सच्चे सेवक ही हैं। सरकार और समाज के वंचित तबके के बीच बड़ी खाई को पाटने का काम एक ईमानदार अफसर करता है। ऐसे में अगर वो खुद वंचित परिवार या क्षेत्र से आता हो तो उसे सुविधाओं का अभाव और गरीबी में जीवन की मुश्किलें बेहतर मालूम होती हैं। सड़क पर रेहड़ी लगाने वाले एक शख्स ने जब यूपीएससी (UPSC) पास की तो लोग हक्के-बक्के रह गए। आज हम आपको ऐसे एक शख्स की कहानी सुनाने जा रहे हैं जिसने गरीबी को मुंह चिढ़ाकर अफसर बनकर दिखा दिया। इस शख्स की संघर्ष भरी कहानी देश के सैकड़ों युवाओं के लिए आइना है कि मेहनत के आगे सफलता खुद झुक जाती है।    आइए जानते हैं रेहड़ी पर अंडे बेचने वाले से अफसर बने मनोज कुमार रॉय (IAS Manoj Kumar Rai) की कहानी....

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फीस भरने रेहड़ी पर अंडे बेचे, दफ्तरों में लगाया पोछा झाड़ू, कड़ी मेहनत से IAS बन इस शख्स ने उड़ाए लोगों के होश

इंसान के रूप में जीवन अपने आप में एक चुनौती है और अगर आपने सपने देख लिए तो संघर्ष और बढ़ जाता है। यूं तो दुनिया में हजारों लोग सपने देखते हैं अफसर बनने का, बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमना, नौकर-चाकर और नेताओं के बीच उठ-बैठ का। इस सपने को पूरा करने मनोज कुमार रॉय ने जान की बाजी लगा दी। 

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मनोज, बिहार के एक छोटे से गांव से हैं। आज पूरे देश में उनको युवा प्रेरणा मानते हैं। पर एक वक्त वो भी था जब वो मामूली कामगार थे। मनोज गांव से शहर कुछ बनने का सपना लेकर आए थे। उन्होंने गांव छोड़ा तो दिल्ली शहर में पढ़ने के लिए काफी मशक्कत की। बात सिर्फ पढ़ने की नहीं थी इनको बनना था देश का अधिकारी यानि आईएएस अफसर। तो भैया ने शुरू कर दी पढ़ाई और कोचिंग-वोचिंग। पर हुआ क्या एतना बड़का शहर और खुला खर्च तो पैसों की कमी तो होनी ही थी। 

 

(Demo Pic)

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मनोज जो पैसे घर से शहर लाए थे वो सारे कोचिंग में खर्च गए। ऐसे में उन्हें गुजारा करने के लिए कुछ काम धंधा करना पड़ा। उन्हें चंद पैसों के लिए रेहड़ी लगाकार अंडे बेचने पड़े। दिल्ली में अपने संघर्ष के दिनों में उन्होंने न सिर्फ अंडे बेचे, सब्जियां बेचीं और यहां तक कि पैसे कमाने के लिए दफ्तरों में पोछा लगाने का भी काम भी किया। लेकिन मनोज ने एक बात हमेशा दिमाग में रखी कि उनकी मेहनत एक दिन उन्हें देश के सबसे प्रतिष्ठित पद के किसी दफ्तर तक जरूर पहुंचाएगी।

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वो दिन भी आ गया जब मेहनत का फल मनोज को मिला। उन्होंने साल 2010 में चौथे प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा पास की और अब भारतीय आयुध निर्माणी सेवा (आईओएफएस) अधिकारी के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मनोज ने 870 वीं रैंक हासिल कर अपना अफसर बनने का ख्वाब पूरा किया था। रिजल्ट आते ही उनके दिन फिर गए।

 

(अपनी एक स्टेडेंट रेशु कृष्णा के साथ मनोज रॉय)

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रॉय नालंदा से 110 किमी की यात्रा करते हैं, जहां वह राजगीर आयुध निर्माणी में एक प्रशासनिक अधिकारी के रूप में हर सप्ताहांत पटना में तैनात रहते हैं। पर मनोज रॉय की कहानी इतनी छोटी नहीं है। मनोज को मालूम है कि गरीब बच्चों के लिए कोचिंग की फीस से लेकर शहर में रहने तक किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

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इसलिए वह आईएएस, पीसीएस और आईपीएस जैसी सिविल सर्विस की तैयारी करने वाले बच्चों को मुफ्त में कोचिंग देते हैं। वो चाहते हैं कि जैसे उन्होंने बुरे दिन देखें, अंडे बेचे ऐसे ही देश के भविष्य में बनने वाले किसी अफसर बच्चे को संघर्ष न करना पड़े।

 

(Demo Pic)

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वीकएंड पर मनोज रॉय बिहार के गरीब छात्रों को यूपीएससी परीक्षा में पास होने के लिए पढ़ाते हैं। उनकी ये कोचिंग बिल्कुल मुफ्त है। उनका कहना है कि, जब मैंने सिविल सर्विस एग्जाम पास किया था तभी सोच लिया था गरीब बच्चे जो महंगी कोचिंग नहीं ले सकते उनको मुफ्त पढ़ाउंगा। रॉय के लगभग 45 स्टूडेंट्स ने भी बिहार लोक सेवा परीक्षा जैसे एग्जाम क्रैक करके उनका नाम रोशन किया है।

 

 

(Demo Pic)

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मनोज रॉय की पत्नी अनुपमा कुमारी ने भी बिहार लोक सेवा परीक्षा पास करके इतिहास रचा था। दोनों साथ मिलकर गरीब बच्चों का भविष्य संवारने का काम करते हैं। आईएएस-आईपीएस सक्सेज स्टोरीज मुहीम की इस कहानी से छात्र और छात्राओं को यही सीख मिलती है कि सड़क पर रेहड़ी लगाकर अंडे बेचने वाला जब अफसर बन सकता है तो आप क्यों नहीं, बस फल की इच्छा सोचे बिना मेहनत करते जाइए। देखना एक दिन सफलता झक मारकर आपके पास आएगी।

 

(कुछ तस्वीरें कहानी को दर्शाने के लिए प्रतीकात्मक तौर पर इस्तेमाल की गई हैं। )

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