बिना कोचिंग अपने दम पर IAS बनी मामूली दुकानदार की बेटी, पहले इस काम से किया था पिता का नाम रोशन

Published : Sep 19, 2020, 07:18 PM ISTUpdated : Sep 20, 2020, 10:38 AM IST

करियर डेस्क.  IAS success story of namami bansal: अगर इंसान मेहनत करे तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है। ऐसे ही एक बिटिया ने बिना कोचिंग सेल्फ स्टडी के यूपीएससी की परीक्षा में टॉप कर लिया। ये पहली बार नहीं था जब उन्होंने पिता का मान बढ़ाया बल्कि पहले भी वो गोल्ड मे़डल जीतकर झंडे गाड़ चुकी थीं। आज IAS Success Story में हम आपको 2017 की उत्तराखंड UPSC टॉपर नमामि बंसल की कहानी बता रहे हैं जो आपको प्रेरणा देगी। 

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बिना कोचिंग अपने दम पर IAS बनी मामूली दुकानदार की बेटी, पहले इस काम से किया था पिता का नाम रोशन

लाजपत राय मार्ग ऋषिकेश निवासी नमामि बंसल को एक दिन फोन आया कि उनकी बेटी IAS की परीक्षा में पास हो गई है। वो खुशी से फूले नहीं समाए। नमामि बंसल के पिता राज कुमार बंसल का ऋषिकेश में बर्तन की दुकान है। नमामि ने अपनी प्राथमिक स्तर से लेकर इंटर तक की शिक्षा एनडीएस गुमानीवाला से की है। उन्होंने दसवीं में 92.4 व इंटर में 94.8 अंक हासिल कर स्कूल के साथ ही ऋषिकेश का नाम भी रोशन किया था।

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उन्होंने बीए अर्थशास्त्र ऑनर्स लेडी श्री राम कॉलेज दिल्ली व एमए ओपन यूनिवर्सिटी हल्द्वानी से अर्थशास्त्र विषय से किया। एमए में ओपन यूनिवरसिटी की टॉपर रही नमामि को राज्यपाल केके पॉल ने 17 अप्रैल 2017 को गोल्ड मेडल से भी सम्मानित किया था। उन्होंने बताया कि इस परीक्षा को पास करने के लिए उन्होंने किसी भी प्रकार की कोचिंग का सहारा नहीं लिया है। उन्होंने नेट के द्वारा ही विषयों की तैयारी कर इस परीक्षा को पास किया है।

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उन्होंने कहा कि नेट पर सारी जानकारियां उपलब्ध होती हैं। जिससे हम लोग पूरी पढ़ाई करके मुकाम हासिल कर सकते है। उन्होंने कहा कि वह बालिका शिक्षा के साथ ही पहाड़ों से होने वाले पलायन को रोकने के लिए प्राथमिकता से काम करेंगी। नमामि की मां शरिता बंसल व भाई विभू बंसल ने बताया कि यह हमारे लिए बहुत बड़ी गर्व की बात है। उनकी माता ने कहा कि यह हमारी जिंदगी का सबसे बड़ी खुशी का दिन है। नमामि की मां ने बताया कि नमामि अपनी पढ़ाई व तैयारी के साथ घर के सभी कामों में उनका हाथ बांटती है।

 

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नमामि बंसल ने बतौर आईएएस अधिकारी कैडर के लिए पहली पसंद अपना गृह राज्य उत्तराखंड चुना, जबकि दूसरा विकल्प राजस्थान का। इन दोनों राज्यों को चुनने की वजह यह है कि इन दोनों ही राज्यों में नमामि की पसंद के कई विषय हैं, जिन पर वो बतौर नौकरशाह काम करना चाहती थी।

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नमामि कहती हैं कि उत्तराखंड पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील भू-भाग है। उत्तराखंड ने पर्यावरण से छेड़छाड़ की बड़ी कीमत चुकाई है। हाल की आपदाएं इसका उदाहरण हैं। लेकिन यह भी सच है कि हमें विकास कार्यक्रमों को भी जारी रखना है। इसलिए विकास और पर्यावरण के बीच हमें संतुलन साधना सीखना होगा। नमामि ने बताया कि उनका दूसरा प्रिय विषय बालिका शिक्षा के क्षेत्र में काम करना है।

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उन्होंने इंटरनेट को पढ़ाई का सबसे अच्छा माध्यम बताया। तीर्थनगरी स्थित लाला लाजपत राय मार्ग निवासी नमामि बंसल ने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा-2016 में देश में 17वां और प्रदेश में पहला मुकाम हासिल किया है।

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नमामि बंसल ने परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्र-छात्राओं से असफलता मिलने की स्थिति में भी धैर्य न खोने और खुद पर भरोसा रखने के लिए कहा है। उन्होंने कहा किसी भी परीक्षा में सफल होने के लिए धैर्य, मेहनत व खुद पर विश्वास होना बेहद जरूरी है।

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