बिहार के छोटे से गांव से निकला लड़का कैसे IIT करके बना IAS, UPSC कैंडिडेट्स नोट करके रख लें सक्सेज टिप्स

करियर डेस्क. IAS Success Story Of IAS Topper Atul Prakash: बिहार के बक्सर के अतुल प्रकाश ने यूपीएससी परीक्षा के दो अटेम्पट दिए और दोनों में सफल हुए। हालांकि पहली बार उनकी रैंक अच्छी नहीं थी जिस कारण उन्हें इंडियन रेलवे सर्विस एलॉट हुई थी। इस रैंक से असंतुष्ट अतुल ने दोबारा परीक्षा दी और इस बार उन्होंने चौथी रैंक के साथ टॉप किया। अतुल को यह सफलता साल 2017 में मिली जबकि उन्होंने अपना पहला प्रयास 2016 में किया था। अतुल ने पिता के ट्रांसफर के कारण काफी स्कूल बदले लेकिन काफी संघर्ष के बाद उन्होंने यूपीएससी में सफलता पाकर अफसर की कुर्सी पाई।  सक्सेज स्टोरी में आइए जानते हैं अतुल प्रकाश का संघर्ष और युवाओं के लिए जरूरी टिप्स- 

Asianet News Hindi | Published : Oct 9, 2020 2:56 PM IST

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बिहार के छोटे से गांव से निकला लड़का कैसे IIT करके बना IAS, UPSC कैंडिडेट्स नोट करके रख लें सक्सेज टिप्स

अतुल के एजुकेशनल बैकग्राउंड की बात करें तो अतुल पढ़ाई में हमेशा से अच्छे थे। उनके पिता की ट्रांसफरेबल जॉब थी जिसमें आए दिन उनका ट्रांसफर होता रहता था, इस कारण अतुल ने देश के विभिन्न स्कूलों से पढ़ाई की है। हालांकि इसे वे अपनी पर्सनेलिटी की ग्रोथ ही मानते हैं। अतुल के दसवीं में 94 प्रतिशत और बारहवीं में 87 प्रतिशत अंक थे। इसके बाद की पढ़ाई के लिए वे दिल्ली आईआईटी गए और वहां से ग्रेजुएशन पूरा किया।

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ग्रेजुएशन के दौरान आया यूपीएससी का ख्याल –

 

एक इंटरव्यू में अतुल कहते हैं कि उन्हें हमेशा से इस क्षेत्र में नहीं जाना था, लेकिन आईआईटी के दिनों के दौरान उन्हें यूपीएससी के बारे में पता चला और उन्होंने इस फील्ड में आने का मन बनाया। चूंकि उन्हें पहले से इस बारे में कोई नॉलेज नहीं थी इसलिए उन्होंने अपने सीनियर्स और इंटरनेट से परीक्षा के बारे में जितनी संभव हो सकी जानकारी इकट्ठा की। टॉपर्स के ब्लॉग पढ़ें, वीडियो सुने और खासकर आईएएस की परीक्षा के लिए डेडिकेटेड वेबासाइट्स को ठीक से चेक किया। 

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परीक्षा संबंधित सारी जानकारी इकट्ठा करने के बाद अतुल ने यह भी पता किया कि इस सर्विस में चयन होने के बाद किस प्रकार का काम करना होता है और उसमें कैसी चुनौतियां आती हैं। सब जानने समझने के बाद ही वे मैदान में उतरे। यह इस परीक्षा के लिए बहुत जरूरी भी है। सब पता कर लें कि आखिर यह परीक्षा है कैसी और इसके अंतर्गत किस तरह का काम आपको करना होगा, सब ठीक लगने पर ही आगे बढ़ें।

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कोचिंग से ज्यादा सेल्फ स्टडी को महत्व –

 

अतुल साक्षात्कार में आगे बताते हैं कि पहले उन्होंने कोचिंग ज्वॉइन की लेकिन दो महीने में ही वे यह समझ गए कि इस परीक्षा के लिए कोचिंग से ज्यादा सेल्फ स्टडी जरूरी है। यह सोचकर उन्होंने कोचिंग छोड़ दी। 

 

हालांकि इस समय अतुल यह कहना बिलकुल नहीं भूलते कि कंसिसटेंसी इस परीक्षा को पास करने के लिए बहुत जरूरी है। कुछ दिन दस से बारह घंटे पढ़ लिया फिर कुछ दिन पढ़ा ही नहीं, ये वाला एटिट्यूड इस परीक्षा में हेल्प नहीं करता। जितना जरूरी है उतना रोज पढ़ें।
 

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इसके बाद अतुल दूसरे अहम बिंदु पर आते हैं जो है टेस्ट सीरीज। वे कहते हैं उन्होंने प्री और मेन्स दोनों की टेस्ट सीरीज बहुत दिल लगाकर सॉल्व की और उन्हें लगता है कि अल्टीमेटली आप क्वेश्चन सॉल्व करके ही नंबर ला सकते हैं इसलिए टेस्ट सीरीज ज्वॉइन करना बहुत जरूरी है।

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आंसर राइटिंग पर देते हैं जोर –

 

अतुल कहते हैं कि अगर पहले अटेम्पट्स की गलतियों की बात करें तो पहले अटेम्पट में उन्होंने आंसर राइटिंग की जितनी जरूरत थी उतनी प्रैक्टिस नहीं की थी। दूसरे में उन्होंने अपनी यह गलती सुधारी।

 

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इसे और समझाते हुए अतुल कहते हैं कि आंसर लिखते समय एक ही प्वॉइंट की डेप्थ में जाने की जगह विभिन्न बिंदुओं को यानी डिफरेंट डायमेंशंस को टच करने की कोशिश करें। बजाय इसके कि एक बात लिखी तो उसको गहराई से समझाए जा रहे हैं कोशिश करें कि विभिन्न बातें लिखें। 

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अगर दस नंबर का प्रश्न है तो कम से कम दस प्वॉइंट लिखें अगर 15 नंबर का प्रश्न है तो कम से कम 15 बिंदुओं पर बात करें। इसके साथ ही जीएस के पेपर में जितना संभव  हो डायग्राम्स बनाएं। इससे अंक अच्छे मिलते हैं साथ ही जो भी फैक्ट्स और फिगर्स आपने तैयार किए हों, वे भी आंसर्स में जरूर डालें।
 

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उन्होंने अपना लक्ष्य तय कर लिया था और उन्हें पता था कि किस राह जाना है साथ ही यह भी कि किस राह नहीं जाना है। दूसरों को देखकर उन्हें कभी नहीं लगा कि सब मौज-मस्ती कर रहे हैं या प्लेसमेंट में सेलेक्ट हो गए हैं क्योंकि उनकी मंजिल ही अलग थी। उन्होंने प्लेसमेंट भी ज्वॉइन नहीं किया था।

 

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अंत में अतुल यही मानते हैं कि कड़ी मेहनत, निरंतर प्रयास और दृढ़ निश्चय से यह परीक्षा पास की जा सकती है लेकिन इनका कोई शॉर्ट कट नहीं है। कैंडिडेट को सफल होने के लिए लगातार कड़ी मेहनत करनी ही होगी।

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