बार-बार की असफलता से भी न हुईं निराश –
तृप्ति ने नौकरी और बाकी कामों के साथ यूपीएससी की तैयारी शुरू तो कर दी लेकिन हर बार कुछ न कुछ कमी रह जाती थी। पहले अटेंप्ट में उनका प्रीलिम्स का भी एग्जाम क्वालिफाई नहीं हो पाया था। साल 2016 में तृप्ति ने दूसरा अटेंप्ट दिया। हालांकि, इस बार उनका प्रीलिम्स और मेन्स का एग्जाम क्वालिफाई हो गया, लेकिन इंटरव्यू और ऑप्शनल में कम मार्क्स आए। तृप्ति के मुताबिक वह चार मार्क्स से ही फाइनल लिस्ट में जगह नहीं बना पाई थी।
लगातार तीन बार असफलता का मुंह देखने के बाद तृप्ति के हौंसले ने जवाब दे दिया। एक समय आया जब वे सोचने लगी कि उनके पास एक अच्छी नौकरी है, बढ़िया वैवाहिक जीवन है तो आखिर वे क्यों एक ऐसी चीज़ के पीछे भाग रही हैं जो उनके बार-बार प्रयास करने के बावजूद उन्हें हासिल नहीं हो रही।