RBI के डिप्टी गवर्नर से केंद्र सरकार में मंत्री तक, JNU से पढ़े इन दिग्गजों पर हर किसी को होगा गर्व
देश के बड़े विश्वविद्यालयों में अपना खास ही स्थान रखने वाला जवाहलाल नेहरू विश्वविद्यालय पिछले कई सालों से विवादों का केंद्र रहा है। यह लेफ्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन्स का गढ़ माना जाता रहा है। यहां से कई वामपंथी दलों के नेता पढ़ कर निकले हैं। लेकिन यह सिर्फ लेफ्ट का ही गढ़ नहीं रहा है। यहां से पढ़ाई करने वाले ऐसे कई लोग हैं जो भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं, साथ ही वे वर्तमान भाजपा सरकार में उच्च पदों पर तैनात हैं और सरकार की नीतियों के निर्माण में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं। आज हम बताने जा रहे हैं ऐसे ही कुछ खास लोगों के बारे में।
Asianet News Hindi | Published : Nov 21, 2019 5:04 AM IST / Updated: Nov 22 2019, 10:52 AM IST
भारत के विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर ने जेएनयू से ही एम.फिल. और पीएच.डी. की है। ये भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रह चुके हैं। जयशंकर अमेरिका, चीन और चेक रिपब्लिक में भारत के राजदूत रहे। भारत और अमेरिका के बीच जो परमाणविक संधि हुई, उसमें इनकी प्रमुख भूमिका रही। भारतीय जनता पार्टी की सरकार में ये जनवरी 2015 में विदेश सचिव भी रहे।
अरविंद गुप्ता फिलहाल विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के डायरेक्टर हैं। ये देश के डिप्टी नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर भी रह चुके हैं। अरविंद गुप्ता ने भी जेएनयू से पीएच.डी. की है। ये मॉस्को, लंदन और अंकारा में कई डिप्लोमैटिक मिशन में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के डिप्टी गवर्नर हारून राशिद खान ने भी जेएनयू से एम.फिल. की है। ये रिजर्व बैंक के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और नाबार्ड के डायरेक्टर भी रह चुके हैं।
वेणु राजमणि ने जेएनयू से इंटरनेशनल स्टडीज में एम.ए. किया। इसके बाद पत्रकरिता के क्षेत्र में कुछ वर्षों तक काम करने के बाद भारतीय विदेश सेवा में आए। इन्होंने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के प्रेस सेक्रेटरी के तौर पर भी काम किया। इन्होंने मोदी सरकार में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं। 2017 में नीदरलैंड में भारत के राजदूत बने। इन्हें हेग स्थित रासायनिक हथियारों की रोकथाम के लिए बनाए गए संगठन में स्थाई प्रतिनिधि नियुक्त किया गया।
मोदी सरकार में कई अहम पदों पर रह चुके मध्य प्रदेश कैडर के पूर्व आईपीएस अफसर आसिफ इब्राहिम राशिद ने जेएनयू से ही एम.ए. किया। 2015 में इन्हें पश्चिमी एशियाई देशों, अफगानिस्तान और पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष दूत नियुक्त किया गया। ये इंटिलेजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर भी रहे। प्रधानमंत्री मोदी के सबसे विश्वस्त अधिकारियों में इनका नाम आता था।
देश की वित्त राज्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने जेएनयू से ही शिक्षा हासिल की। अपने निर्णयों और बेबाक बयानों को लेकर अक्सर ये मीडिया की सुर्खियों में बनी रहती हैं। ये प्रधानमंत्री मोदी के काफी करीब मानी जाती हैं।
अमिताभ राजन ने जेएयू से सोशियोलॉजी में पीएच.डी. की है। ये महाराष्ट्र कैडर के आईएएस अधिकारी रहे। आतकी कसाब को फांसी की सजा दिलाने में इनकी प्रमुख भूमिका रही। ये महाराष्ट्र के होम सेक्रेट्री भी रहे। इन्होंने रेवेन्यू डिपार्टमेंट में चीफ विजिलेंस ऑफिसर का पद भी संभाला। नवंबर 1918 से ये रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सर्विसेस बोर्ड के चेयरमैन हैं।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भी जेएनयू से मास्टर्स की डिग्री ली। वे 'इन्क्रेडिबल इंडिया' और प्रधानमंत्री मोदी के 'मेक इन इंडिया' कैम्पेन के मुख्य सूत्रधारों में से रहे हैं। ये 1980 बैच के आईएएस अधिकारी हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार और मुख्य प्रवक्ता रहे संजय बारू अपनी किताब 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' के लिए खास तौर पर चर्चा में आए। इन्होंने भी जेएनयू से ही एम.ए. और पीएच.डी. की डिग्री हासिल की है।
अभय कुमार भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी हैं। इन्होंने रूस, नेपाल और ब्राजील के भारतीय दूतावासों में अलग-अलग पदों पर काम किया। इन्होंने जेएनयू से मास्टर्स की डिग्री ली। ये लेखक और कवि भी हैं। इन्हें सार्क लिटरेरी अवॉर्ड भी मिल चुका है।