National Science Day: ये हैं भारत की पांच महिला साइंटिस्ट जो समाज के लिए बनीं प्रेरणा, जानें इनकी कहानी

करियर डेस्क. 28 फरवरी को हर साल नेशनल साइंस डे (National Science Day) के रूप में मनाया जाता है। दुन‍िया के सबसे महान वैज्ञानिकों में से एक प्रोफेसर सीवी रमन का काम (CV Raman) के सम्मान और स्मृति में यह दिन मनाया जाता है। नेशनल साइंस डे के मौके पर हम आपको भारत की पांच ऐसी महिला वैज्ञानिकों के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों का समना कर समाज को प्रेरणा दी और विज्ञान के फील्ड में अहम योगदान दिया। आइए जानते हैं कौन हैं वो महिला वैज्ञानिक।

Asianet News Hindi | Published : Feb 28, 2022 5:41 AM IST
15
National Science Day: ये हैं भारत की पांच महिला साइंटिस्ट जो समाज के लिए बनीं प्रेरणा, जानें इनकी कहानी

आनंदीबाई गोपालराव जोशी
आनंदीबाई गोपालराव जोशी भारत की पहली महिला फिजीशयन थीं। 14 साल की उम्र में आनंदीबाई मां बन गई थीं, लेकिन दवाई की कमी के कारण उनके बेटे की मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद उन्होंने दवाईयों पर रिसर्च किया। आनंदीबाई के पति ने उन्हें विदेश जाकर मेडिसिन पढ़ने के लिए प्रेरित किया था। आनंदीबाई ने वुमन्स मेडिकल कॉलेज पेंसिलवेनिया से पढ़ाई की थी। आनंदीबाई जोशी का जन्म 31 मार्च 1865 को पुणे में हुआ था। 
 

25

जानकी अम्माल
डॉ. जानकी अम्माल का जन्म 4 नवंबर 1897 में, केरल के तेल्लीचेरी (अब थालास्सेरी) में हुआ था। एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्मी जानकी अम्माल के पिता तत्कालीन मद्रास सूबे में उपन्यायाधीश के पद पर कार्यरत थे और उनकी मां का नाम देवी कृष्णन था। पद्मश्री सम्मान पाने वालीं वो देश की पहली महिला वैज्ञानिक थीं। 1977 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा था। जानकी अम्माल बॉटेनिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर के पद पर भी कार्यरत रहीं।

35

कमला सोहोनी
मला सोहोनी का जन्म 14 सितंबर 1912 के दिन इंदौर में हुआ था। कमला सोहोनी प्रोफेसर सी वी रमन की पहली महिला स्टूडेंट थीं और कमला सोहोनी पहली भारतीय महिला वैज्ञानिक भी थीं जिन्होंने PhD की डिग्री हासिल की थी। कमला सोहोनी ने ये खोज की थी कि हर प्लांट टिशू में ‘cytochrome C’ नाम का एन्जाइम पाया जाता है। 

45

असीमा चटर्जी
असीमा चटर्जी एक भारतीय जैविक रसायन शास्त्री थीं जिन्हें कार्बनिक रसायन और मेडिसिन के क्षेत्र में अपने अभूतपूर्व योगदान के लिए जाना जाता है। असीमा चटर्जी का जन्म 23 सितंबर 1917 को कलकत्ता, बंगाल के एक मध्मवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता इंद्र नारायण मुखर्जी मेडिकल डॅाक्टर थे। असीमा चटर्जी केमेस्ट्री में अपने कार्यों के लिए काफी प्रसिद्ध रहीं। असीमा चटर्जी ने कोलकाता के स्कॉटिश चर्च कॉलेज से 1936 में केमेस्ट्री सब्जेक्ट में ग्रैजुएशन की थी। एंटी-एपिलिप्टिक (मिरगी के दौरे), और एंटी-मलेरिया ड्रग्स का डेवलपमेंट असीमा चैटर्जी ने ही किया था। असीमा चैटर्जी कैंसर से जुड़ी एक रिसर्च में भी शामिल थीं।

55

बिभा चौधरी 
बिभा चौधरी  का जन्म कलकत्ता में साल 1913 में हुआ। उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में एमएससी किया। ऐसा करने वाले करने वाली पहली महिला थीं। उन्होंने होमी जहांगीर भाभा और विक्रम साराभाई के साथ भी काम किया। उन्होंने देवेन्द्र मोहन बोस के साथ मिल कर बोसोन कण की खोज की। उन्होंने मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। 

इसे भी पढ़ें- Ukraine में जन्मी थी दुनिया की सबसे खतरनाक महिला स्नाइपर, हिटलर भी खाता था खौफ, नाम था लेडी डेथ

रूस ग्लोबल पेमेंट सिस्टम SWIFT से बाहर, रूस के अमीरों व उनके परिवारों का गोल्डेन पासपोर्ट्स भी छीनेगा

Share this Photo Gallery
click me!

Latest Videos