उन्होंने अगले साल फिर प्रयास किया इस बार भी वह सफल रहे। इस बार उनका चयन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के रूप में हो गया। लेकिन साल 2015 में उन्होंने फिर से प्रयास किया। इस बार उन्होंने UPPCS के एग्जाम में दूसरी रैंक पाई। मंगलेश फिर डायरेक्ट डिप्टी कलेक्टर के लिए चुने गए और उनकी पोस्टिंग जौनपुर में हुई। एक परिवार से आने मंगलेश की कहानी बहुतों के लिए प्रेरणादायक है। UPSC की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स को इससे सीख लेनी चाहिए।