तंगहाली में दोस्त से मांग-मांगकर पढ़ी किताबें...कड़ी मेहनत से PCS बना पोस्टमास्टर का बेटा, झूम उठा पूरा गांव

करियर डेस्क.  Postmaster son become PCS : कहते हैं अगर हौसले हैं तो मेहनत के दम पर कोई भी मंजिल पाई जा सकती है। गरीबी हो या कितनी मजबूरियां रास्ता निकालो तो निकल ही जाता है। ऐसे ही हम आपको एक गरीब बच्चे की कहानी बता रहे हैं जिसने दूसरों से किताबे उधार लेकर पढ़ाई की। हम बात कर रहे हैं साल 2015 UPPCS के एग्जाम में सेकेण्ड टॉपर रहे मंगलेश दूबे की। मंगलेश यूपी के प्रतापगढ़ के एक छोटे से गांव नारायणपुर कला के रहने वाले हैं। उनके पिता नरेंद्र कुमार दूबे पोस्टमास्टर थे जो अब रिटायर्ड हो चुके हैं। मंगलेश की कहानी काफी प्रेरणादायक है क्योंकि उन्होंने गरीबी के बावजूद डिप्टी कलेक्टर के पद को हासिल किया-
 

Asianet News Hindi | Published : Dec 15, 2020 9:10 AM IST / Updated: Dec 16 2020, 08:42 AM IST
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तंगहाली में दोस्त से मांग-मांगकर पढ़ी किताबें...कड़ी मेहनत से PCS बना पोस्टमास्टर का बेटा, झूम उठा पूरा गांव

मंगलेश की शुरुआती पढ़ाई गांव के ही स्कूल में हुई। जिसके बाद उन्होंने जौनपुर के बादशाहपुर से हाईस्कूल व प्रतापगढ़ के केपी हिन्दू इंटर कालेज से इंटरमीडिएट किया। जिसके बाद आगे की शिक्षा के लिए उन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में एडमीशन ले लिया।

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पढ़ाई पूरी करने के बाद मंगलेश सिविल सर्विस की तैयारी करना चाहते थे। लेकिन पिता की सेलेरी के भरोसे ही घर खर्च व मंगलेश की दो बहनो व एक भाई की पढ़ाई का खर्च भी था। लेकिन उनके पिता ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने मंगलेश को सिविल सर्विस की तैयारी करने के लिए भेज दिया।

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मंगलेश ने प्रयागराज में रहकर सिविल सर्विस की तैयारी शुरू कर दी। किताबों व कोचिंग आदि की फीस के लिए मंगलेश को काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ता था।

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उनके पिता अपने सामर्थ्य से अधिक व्यवस्था कर उनकी पढ़ाई के लिए पैसे भेजते थे। लेकिन कभी-कभी वह पैसे पर्याप्त नहीं होते थे। मंगलेश अपने रूम मेट से किताबें आदि मांगकर पढ़ लेते थे।

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मंगलेश की मेहनत आखिरकार रंग लाई। 2011 में उनका चयन आबकारी विभाग में हो गया। लेकिन उनके मन में IAS बनने का ख़्वाब था।

 

(Demo Pic) 

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उन्होंने अगले साल फिर प्रयास किया इस बार भी वह सफल रहे। इस बार उनका चयन अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के रूप में हो गया। लेकिन साल 2015 में उन्होंने फिर से प्रयास किया। इस बार उन्होंने UPPCS के एग्जाम में दूसरी रैंक पाई। मंगलेश फिर डायरेक्ट डिप्टी कलेक्टर के लिए चुने गए और उनकी पोस्टिंग जौनपुर में हुई। एक परिवार से आने मंगलेश की कहानी बहुतों के लिए प्रेरणादायक है। UPSC की तैयारी कर रहे कैंडिडेट्स को इससे सीख लेनी चाहिए।

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