एग्जाम के 24 दिन पहले हो गया एक्सिडेंट, नहीं मानी हार...बिस्तर पर लेटे लेटे पढ़ाई कर बना IAS

झांसी. कहते हैं कि कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो कोई मुश्क‍िल राह में आड़े नहीं आती। उत्तर प्रदेश के झांसी के रहने वाले आईएएस अमन वैष्णव इस जज्बे की मिसाल हैं। आइएएस तक के मुकाम को हासिल करने की उनकी कहानी बड़ी ही दिलचस्प है। रेल की पटरियों पर काम करने वाले मामूली रेलकर्मी का बेटा पिता का नाम रोशन करना चाहता था। वो 17-17 घंटे पढ़ाई करता था और किस्मत ने भी साथ दिया तो पहले ही प्रयास में आईएएस अफसर बन गया। उन्‍होंने अपने आइएएस बनने के सपने को हकीकत में बदलकर ही दम लिया। IAS सक्सेज स्टोरीज में हम आपको अमन वैष्णव के संघर्ष की कहानी सुना रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 15, 2020 5:31 AM IST / Updated: Mar 15 2020, 11:08 AM IST

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एग्जाम के 24 दिन पहले हो गया एक्सिडेंट, नहीं मानी हार...बिस्तर पर लेटे लेटे पढ़ाई कर बना IAS
आईएएस अमन वैष्णव (IAS Aman Vaishnav) ने न केवल परिस्थितियों को ठेंगा दिखाया बल्कि सफलता प्राप्त कर कई लोगो के लिए आदर्श बन गए। अमन वैष्णव झांसी के रहने वाले हैं। वैष्णव ने बताया कि पहले ही प्रयास में उनका आईएएस में चयन हो गया था। पिता रामसेवक श्रीवास उत्तर मध्य रेलवे के झांसी मण्डल में सीएलआई के पद पर कार्यरत हैं।
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अमन ने वर्ष 2011 में कैथेड्रिल कालेज से 10वीं की परीक्षा 92.8 प्रतिशत अंकों के साथ पास की। भूगोल की शिक्षक ने उसकी प्रतिभा को तभी पहचान लिया था। उसी टीचर ने अमन को सिविल सेवा की परीक्षा की तैयारी करने का सुझाव दिया।
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फिर अमन ने परीक्षा के संबंध में जानकारी एकत्र करनी शुरू की। अमन ने वर्ष 2013 में 96 प्रतिशत अंकों के साथ इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की। तब वह झांसी के दूसरे टॉपर बने।
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इसके बाद अमन ने दिल्ली के हिंदू कालेज से राजनीतिक विज्ञान से बीए आनर्स की डिग्री प्राप्त की। साथ ही सिविल सेवा की परीक्षा के लिए पाठ्य सामग्री जुटाकर तैयारी शुरू की।
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उन्होंने बताया कि स्नातक के दौरान ही यूपीएससी परीक्षा लगभग 70 प्रतिशत तैयारी कर ली थी। इसके बाद दिल्ली में एक साल की कोचिंग की। वर्ष 2017 में प्री और मेंस परीक्षा दी और वह सफल रहे।
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पहले ही प्रयास में 2017 में एग्जाम देने के बाद 2018 में चयन हो गया। 10 माह मसूरी में ट्रेनिंग के बाद मप्र का धार जिला मिला था। मैन्स एग्जाम के 24 दिन पहले एक्सीडेंट में घायल हो गए। उल्टे हाथ में गंभीर चोट आई। बैठकर पढ़ नहीं सकते, लेकिन अपना सपना व जिद को पूरा करने के लिए रात दिन एक कर दिए। दिल्ली छोड़कर घर नहीं गए। माता-पिता को बुलाकर पढ़ाई शुरू की। समय कम था दिनभर में 17 घंटे पढ़े। चोटिल होने के बाद भी एग्जाम दी और अपने परिवार के पहले आईएएस बने।
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वैष्णव ने बताया कि अंग्रेजी बोलने में कमजोर था। इसके लिए 3 से 4 घंटे अंग्रेजी न्यूज पेपर पढ़ता था। बाद में तैयारी के लिए उन्‍होंने कोचिंग की मदद ली। इससे साक्षात्कार में लाभ मिला। अमन ने बताया कि उन्‍हें अखबार लेने के लिए बाइक से तीन से चार किमी दूर जाना पड़ता था, लेकिन अखबार पढ़ने के बाद ही वह आगे काम शुरू करते थे। शब्द कोश बढ़ा।
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इसके बाद भी झिझक थी, लेकिन फिर कोचिंग की मदद से उसे दूर किया। समाज और सोच को विकसित करने के लिए नॉवेल भी पढ़ता था। इससे मुझे इंटरव्यू में फायदा मिला। आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने पहली बार में यह परीक्षा पास कर पिता का नाम रोशन कर दिया था।
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अमन वैष्णव ने बताया कि इंटरव्यू में आपके सब्जेक्ट के अलावा भी सवाल पूछे जाते हैं। आपको खुद पर आत्मविश्वास रखना चाहिए। वे जवाब के साथ आपका कांफिडेंस भी परखते हैं।
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अमन दूसरे छात्रों को सफलता के मंत्र भी देते हैं उन्होंने कहा कि, अपने कमियों को दूर करें, कभी निराश नहीं होना चाहिए, ग्रुप डिस्कशन करें, हमेशा टारगेट बनाकर चलें और इंटरव्यू में कांफिडेंस रखें एक सही तैयारी के साथ आप इस परीक्षा को क्रैक कर सकते हैं।
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