22 साल की उम्र में IAS अफसर बनी फौजी की बेटी, हटके हैं इनके काम करने का अंदाज
हैदराबाद. सिविल सेवा परीक्षा में पुरुषों की तरह महिलाएं भी पीछे नहीं है। बहुत बार तो महिला अधिकारी अपने दबंग अंदाज और हटकर काम करने के अंदाज को लेकर सुर्खियों में रहती हैं। ऐसे ही बहुत सी महिला सिविल सेवक हैं जिन पर हर देशवासी को गर्व है। ये वंडर वुमेन न सिर्फ अपने काम को लेकर बल्कि अफसर बनने के अपने संघर्ष को लेकर भी लोगों का सम्मान पाती हैं। तेलांगना की एक महिला अफसर हैं जो 'जनता की अधिकारी' कही जाती हैं। उनके काम करने का अंदाज थोड़ा हटके है। देश की सबसे युवा आईएएस अधिकारी का खिताब भी उनको हासिल है। IAS-IPS सक्सेज स्टोरी में आज हम आपको महज 22 साल की उम्र में अफसर बनीं स्मिता सभरवाल के संघर्ष और चुनौतियों के बारे में बताएंगे।
Asianet News Hindi | Published : Feb 28, 2020 5:05 AM IST / Updated: Feb 28 2020, 12:43 PM IST
19 जून 1977 को जन्मी स्मिता पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग की रहने वाली हैं। उनके पिता रिटायर सेना अधिकारी कर्नल प्रणब दास हैं। उनकी मां का नाम पुरबी दास है। पिता के आर्मी में रहने की वजह से स्मिता अलग-अलग शहरों में पली-बढ़ी हैं। पिता के रिटायरमेंट के बाद सभी हैदराबाद में सेटल हो गए। वहीं, स्मिता की स्कूलिंग हुई। 12 वीं में स्मिता ISC टॉपर रहीं। इसके बाद कॉमर्स स्ट्रीम से उन्होंने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है।
स्मिता के माता-पिता ने आईसीएसई स्टैंडर्ड को टॉप करने के बाद अपनी बेटी को सिविल सर्विस में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। स्मिता ने जब सिविल सेवा की पढ़ाई शुरू की तो पहली बार में उन्हें असफलता हाथ लगी और वो प्रीलिम्स भी नहीं क्लियर कर पाई थीं। पर उन्होंने हार नहीं मानी और फिर से कड़ी मेहनत के साथ कोशिश की।
और वो दिन भी आया जब वो यूपीएससी का पेपर पास करने वाली सबसे कम उम्र की स्टूडेंट बनीं। साल 2000 में अपने दूसरे प्रयास में, उन्होंने न केवल परीक्षा पास की बल्कि उन्होंने ऑल इंडिया 4th रैंक हासिल की। यूपीएसससी में टॉप करके मां-बाप का नाम रोशन किया।
स्मिता ने पहले तेलंगाना कैडर के आईएएस की ट्रेनिंग ली और नियुक्ति के बाद वह चितूर में सब-कलेक्टर रहीं। वो कडप्पा रूरल डेवलपमेंट एजेंसी की प्रोजेक्ट डायरेक्टर,वारंगल की नगर निगम कमिश्नर और कुरनूल की संयुक्त कलेक्टर रही हैं।
अबतक के करियर में स्मिता की तैनाती तेलंगाना के वारंगल, विशाखापट्टनम, करीमनगर और चित्तूर में हुई है। स्मिता जहां-जहां काम गईं लोग आज भी उन्हें याद रखते हैं और उनकी छवि जनता की अधिकारी वाली बन गई है।
बता दें कि स्मिता ने अपने कार्यकाल के दौरान कई बड़ी-बड़ी जिम्मेदारियां संभालीं हैं जिसके लिए लोगों ने उन्हें काफी सराहा जाता है। उन्हें तेलंगाना राज्य में किए गए कई सारे सुधारों के लिए जाना जाता है। उन्होंने तेलंगाना के लोगों की कई तरह से मदद की और जनता पर केंद्रित कई सारी योजनाओं को पूरा किया।
यहां उन्होंने हेल्थ केयर सेक्टर में 'अम्माललाना' प्रोजेक्ट की शुरुआत की। इस प्रोजेक्ट की सफलता के चलते स्मिता को प्राइम मिनिस्टर एक्सीलेंस अवार्ड भी दिया गया था। स्मिता के करीमनगर में बतौर डीएम तैनात रहने के दौरान ही करीमनगर को बेस्ट टाउन का भी अवॉर्ड भी मिल चुका है।
2001 बैच की आईएएस अफसर स्मिता तेलंगाना के मुख्यमंत्री कार्यालय में तैनात होने वाली पहली महिला आईएएस अधिकारी भी हैं।
स्मिता ने आईपीएस ऑफिसर डॉक्टर अकुन सबरवाल से शादी की है, उनके दो बच्चे नानक और भुविश हैं। सोशल मीडिया पर स्मिता सबरमाल काफी चर्चा में रहती हैं। उनके काम करने के अंदाज और गरीबों की मदद के जुनून को सराहा जाता है।
तेज-तर्रार अधिकारी कही जाने वाली स्मिता के नाम एक विवाद भी रहा है। उन्होंने एक आपत्तिजनक कार्टून छापने पर आउटलुक मैगजीन को नोटिस भेज दिया था।
दरअसल, मैगजीन ने अपने कार्टून में स्मिता को रैंप वॉक करते हुए दिखाया है और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव उनकी फोटो खींच रहे हैं। कार्टून के साथ यह भी लिखा गया था कि स्मिता मीटिंग में ट्रेंडी साड़ी और कपड़े पहनकर आती हैं।
उस समय स्मिता तेलंगाना के सीएम ऑफिस में बतौर एडिशनल सेक्रेटरी तैनात थीं। इस कार्टून पर आपत्ति जताते हुए स्मिता ने आउटलुक को कानूनी नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। नोटिस में लिखा गया है, 'मैंने 14 साल के लंबे अरसे तक सेवा की है, इस लेख ने मुझे बहुत आहत किया।