बेहद गरीबी में बीता था इस शख्स का बचपन, अपनी लगन से PCS टॉपर बन कर रच दिया इतिहास
करियर डेस्क. किसी ने सच ही कहा है कि सफलता किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती। सफलता के लिए सिर्फ जरूरी है जोश व लगन। व्यक्ति अपनी मेहनत और जोश के दम पर बड़ा से बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है। आज कल अक्सर देखा जा रहा है कि कॉम्पटेटिव एग्जाम्स की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स अक्सर एक या दो बार असफल होने के बाद नर्वस हो जाते हैं। वह अपना संतुलन खो बैठते हैं उन्हें ये लगने लगता है कि अगर वह सफल न हुए तो जिंदगी में क्या कर सकेंगे। उन्हें आगे का रास्ता नहीं सूझता है। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। एशियानेट न्यूज हिंदी ने 2016 बैच के PCS टॉपर विनोद पांडेय से बात की। इस दौरान उन्होंने अपने संघर्षों व सफलता की कहानी बयां किया। विनोद पांडेय इस समय प्रयागराज में बतौर उप जिलाधिकारी तैनात हैं।
विनोद मूल रूप से प्रतापगढ़ की लालगंज तहसील के रामगढ़ रैला गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता पोस्ट ऑफिस में एजेंट हैं। उन्होंने बताया, "मेरा बचपन गरीबी में बीता है। 1997 में मैंने 12वीं पास की। इसके बाद एयरफोर्स में बतौर सार्जेंट (टेक्निकल विंग) सिलेक्शन हो गया। लेकिन जॉब करते हुए भी मैंने आगे की पढ़ाई जारी रखी।"
विनोद बताते हैं, "2010 में मुंबई में मेरी पोस्टिंग थी। उस दौरान मैंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली। 2013 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से एलएलएम किया। फिर 2014 में नेट क्वालिफाई किया।"
विनोद बताते हैं, "एलएलबी के दौरान आए दिन वर्कशॉप ऑर्गेनाइज होती थीं। इनमें कई नामचीन वकील व जज अपने अनुभव शेयर करते थे। इसी दौरान मेरी मुलाकात मुंबई ब्लास्ट के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर उज्जवल निकम से हुई। उनका लेक्चर मेरी लाइफ का टर्निंग प्वाइंट था। उनसे इतना प्रभावित हुआ कि एयरफोर्स से वीआरएस लेकर सिविल सर्विसेज की तैयारी करने की ठान ली। 2016 में घर लौटा और पीसीएस की तैयारी में जुट गया।"
उसी दौरान UPPCS की वेकेंसी आई। मैंने एग्जाम दिया मेरा एग्जाम तो अच्छा हुआ लेकिन किसी कारण वश उसका रिजल्ट रोक दिया गया। उसी साल ज्यूडिशियरी सर्विसेज ( PCS-J ) की भी वेकेंसी आई थी मैंने उसका भी एग्जाम दिया। 2017 में उसका रिजल्ट आया और मैंने तीसरी रैंक हासिल की। मै सिविल जज बन गया और मैंने नौकरी ज्वाइन कर ली।
2019 में 2 साल पहले दिए गए UPPCS का भी रिजल्ट घोषित किया गया। उसमे भी मैं टॉपर रहा था। उसमे भी मुझे दूसरी रैंक मिली थी। मेरा सपना शुरू से ही प्रशासनिक सेवा में जाने का था। मुझे लगा कि मेरा कलेक्टर बनने का सपना इस रास्ते से पूरा हो सकता है। इसलिए मैंने सिविल जज की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और मै SDM बन गया।
विनोद पांडेय इस समय प्रयागराज में तैनात हैं। उनका कहना है कि इंसान के लिए कभी कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती है बस उसे पाने के लिए पागलपन मन में होना चाहिए। अगर आपके अंदर अपनी मंजिल को पाने का जूनून है तो निश्चित ही आपको मंजिल मिलेगी।