जब बेटा बना डिप्टी एसपी तो खुशी से उछल पड़ा सिपाही पिता , कहा- अभी तक के सारे दुख दूर हो गए
लखनऊ (Uttar Pradesh). फरवरी में CBSE बोर्ड के साथ अन्य बोर्ड के एग्जाम भी स्टार्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही बैंक, रेलवे, इंजीनियरिंग, IAS-IPS के साथ राज्य स्तरीय नौकरियों के लिए अप्लाई करने वाले स्टूडेंट्स प्रोसेस, एग्जाम, पेपर का पैटर्न, तैयारी के सही टिप्स को लेकर कन्फ्यूज रहते है। यह भी देखा जाता है कि रिजल्ट को लेकर बहुत सारे छात्र-छात्राएं निराशा और हताशा की तरफ बढ़ जाते हैं। इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम 2017 बैच के PPS अधिकारी अमित सिंह के बारे में बताने जा रहे हैं। उन्होंने अपने संघर्षों से बिना किसी कोचिंग का सहारा लिए UPPCS का एग्जाम क्रैक किया।
Asianet News Hindi | Published : Feb 15, 2020 11:52 AM / Updated: Feb 15 2020, 12:43 PM IST
अमित मूलतः यूपी के बलिया के चांदपुर गांव के रहने वाले हैं। इनके पिता अनिल कुमार सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही हैं। वर्तमान में वह प्रतापगढ़ जिले के एसपी आफिस में तैनात हैं। दो भाई और दो बहनो में अमित दूसरे नंबर पर हैं।
अमित बताते हैं "पापा की पोस्टिंग प्रयागराज में थी। उसी समय से हम लोग प्रयागराज में एक किराए के मकान में रहते हैं। मेरी स्कूलिंग प्रयागराज से ही हुई है। इंटरमीडिएट के बाद मैंने बीटेक किया और उसके बाद मैंने गुड़गांव की एक प्राइवेट कम्पनी में नौकरी कर ली।"
"पापा का शुरू से ही सपना था कि उनका अपना भी घर हो तो अच्छा है। लेकिन अहम चारों भाई बहन की पढ़ाई के आगे उन्होंने कभी अपने सपनो को हकीकत में बदलने की कोशिश ही नहीं की। वह पुलिस में थे इसलिए हमारे साथ कम ही रह पाते थे। लेकिन वह जब भी घर आते थे हम लोगों का हौसला बढ़ाते थे। मेरे दिल को शुरू से ये बात कोसती रहती थी कि मेरे पापा ने हम लोगों के लिए कितना त्याग और संघर्ष किया है।"
"नौकरी के दौरान ही मेरी तबियत बहुत ज्यादा खराब हो गई। मुझे जॉन्डिस हो गया। इसके बाद मुझे वापस घर आना पड़ा। लगभग 2 महीने के इलाज के बाद मेरी तबियत में सुधार हुआ तो मैंने वापस फिर से नौकरी ज्वाइन करने के लिए सोचा। लेकिन शरीर इतना कमजोर हो गया था कि मेरी हिम्मत नहीं पड़ रही थी।"
"इसके बाद मैंने प्रयागराज में ही रहकर सिविल सर्विस की तैयारी का मन बनाया। मैंने प्रयागराज में सिविल सर्विस की तैयारी कराने वाली एक कोचिंग में बात किया तो वहां की फीस 1 लाख 40 हजार थी। बीटेक करने में ही पापा के काफी पैसे खर्च हो गए थे। मै कोचिंग की फीस देने में सक्षम नहीं था। इसलिए मैंने बगल में ही रहकर तीन सालों से सिविल सर्विस की तैयारी करने वाले संतोष यादव से बात की। उन्हें ही मै अपना गुरू मानने लगा। उन्होंने मेरी काफी मदद भी की।"
"उन्ही की किताबें व नोट्स मांगकर मैंने पढ़ाई शुरू की। अभी केवल 20 दिन ही बीता था कि UPPCS की वेकेंसी आ गई। मैंने भी फॉर्म डाल दिया। उस समय मुझे सिविल सर्विस के बारे में कुछ भी नहीं पता था। फॉर्म भरने के 4 महीने बाद प्री एग्जाम्स की डेट थी। मैंने वही 4 महीने माइंड सेट कर तैयारी शुरू कर दी।"
"2017 में मैंने प्री का एग्जाम दिया और मै सफल रहा। उसके बाद मानो मेरे हौसलों को पंख लग गए। मै जी-जान से पढ़ाई में जुट गया। तैयारी में संतोष यादव और मेरी फ्रेंड अंकिता ने मेरी काफी मदद की। इन दोनों लोगों ने मेरे लिए किताबें व नोट्स की व्यवस्था की। अंत में माता पिता के आशीर्वाद व भगवान की कृपा 2019 में आए रिजल्ट में मै सफल हुआ। मुझे 19वीं रैंक मिली थी।"