कभी इंग्लिश न आने से कॉलेज में स्टूडेंट उड़ाते थे मजाक, कड़ी मेहनत से IAS बन गई ये लड़की

करियर डेस्क.  किसी ने सच ही कहा है कि सफलता किसी सुविधा की मोहताज नहीं होती। सफलता के लिए सिर्फ जरूरी है जोश व लगन। व्यक्ति अपनी मेहनत और जोश के दम पर बड़ा से बड़ा मुकाम हासिल कर सकता है। आज कल अक्सर देखा जा रहा है कि कॉम्पटेटिव एग्जाम्स की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स अक्सर एक या दो बार असफल होने के बाद नर्वस हो जाते हैं। वह अपना संतुलन खो बैठते हैं उन्हें ये लगने लगता है कि अगर वह सफल न हुए तो जिंदगी में क्या कर सकेंगे। उन्हें आगे का रास्ता नहीं सूझता है।  इन सबको ध्यान में रखते हुए एशिया नेट न्यूज हिंदी ''कर EXAM फतह...'' सीरीज चला रहा है। इसमें हम अलग-अलग सब्जेक्ट के एक्सपर्ट, IAS-IPS के साथ अन्य बड़े स्तर पर बैठे ऑफीसर्स की सक्सेज स्टोरीज, डॉक्टर्स के बेहतरीन टिप्स बताएंगे। इस कड़ी में आज हम 2016 बैच की IAS सुरभि गौतम की कहानी आपको बताने जा रहे हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 28, 2020 7:32 AM IST

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कभी इंग्लिश न आने से कॉलेज में स्टूडेंट उड़ाते थे मजाक, कड़ी मेहनत से IAS बन गई ये लड़की
सुरभि मध्य प्रदेश के सतना जिले के अमदरा गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता वकालत करते हैं जबकि उनकी मां शिक्षिका हैं। सुरभि बचपन से गांव के सरकारी स्कूल में ही पढ़ी। वह पढ़ने में काफी तेज थीं। शुरुआती दिनों में वह अपने स्कूल में टॉप करती थीं।
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हिंदी मीडियम से उन्होंने 10वीं और 12वीं किया। उन्होंने बिना किसी कोचिंग क्लास किए दोनों क्लासेज में 90 फीसदी से अधिक नंबर पाए। सुरभि का शुरू ही कलेक्टर बनने का सपना था। वह बचपन में अपने वकील पिता के मुंह से अक्सर कलेक्टर की चर्चा सुनती थीं। उस समय उन्हें लगता था कि कलेक्टर कोई बड़ा आदमी होता होगा। बस वहीं से उनके दिल में कलेक्टर बनने का सपना पलने लगा।
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इंटरमीडिएट के बाद, सुरभि ने इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा दी वह अच्छे नंबरों से सफल रहीं। जिसके बाद वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए भोपाल चली गईं। वह अपने गांव की पहली लड़की थी जो उच्च शिक्षा के लिए अपने शहर से बाहर गई हो। भोपाल में रहकर सुरभि ने इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में इंजीनियरिंग पूरी किया।
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हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने के कारण सुरभि की अंग्रेजी बहुत अच्छी नहीं थी। उन्हें अंग्रेजी बोलने में काफी समस्या होती थी। ठीक से अंग्रेजी नहीं बोलने के लिए क्लास में कई बार उनका मजाक उड़ाया गया। लेकिन कभी उन्होंने इन सब बातों पर ध्यान ही नहीं दिया। उनका सिर्फ एक लक्ष्य था और वो था कलेक्टर बनना। सुरभि चुपचाप अपने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लगी रहीं।
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इंजीनियरिंग के बाद सुरभि ने कई एग्जाम्स दिए सभी में सुरभि अव्वल रहीं। उन्होंने BARC में परमाणु वैज्ञानिक के रूप में तकरीबन 1 साल काम किया। इसके आलावा उन्होंने इसरो, शैल,एसएससी,एमपीपीसीएस,एफसीआई समेत तमाम एग्जाम क्रैक किया। 2013 में उन्होंने IES के एग्जाम में 1 रैंक हासिल की।
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2016 में सुरभि ने UPSC का एग्जाम दिया। यह उनका पहला प्रयास था। पहले ही प्रयास में उन्होंने शानदार सफलता पाते हुए 50 वीं रैंक हासिल की। सुरभि ने जीवन के तमाम झंझावातों से लड़ते हुए अपनी मंजिल पाई।
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