12th पास इस शख्स के पास है किसानों की समस्या का हल, जानिए कैसे खेती को बना दिया 'बिजनेस मॉडल'

इस समय देश में किसान आंदोलन चल रहा है। वजह सिर्फ एक डर है कि कहीं कृषि कानूनों से उनकी रही-सही खेती-किसानी भी न छिन जाए! लेकिन यह जगजाहिर है कि किसानों की गरीबी के पीछे परंपरागत तरीके से खेती-किसानी करना है। वहीं, एक ही प्रकार की खेती पर सबका फोकस होता है, नतीजा बम्पर पैदावार से फसलों की कीमतें गिर जाना। हम आपको ऐसे किसान से मिलवा रहे हैं, जो महज 12वीं पास हैं। लेकिन उन्होंने दूसरे किसानों की देखा-देखी फसल नहीं बोईं। वे 2004 से अपने 15 एकड़ खेत में सौंप उगा रहे हैं। वे हर साल 25 टन उत्पादन करते हैं। यानी 25 लाख रुपए सालाना का मुनाफा। ये हैं इशाक अली। मूलत: गुजरात के मेहसाणा के रहने वाले इशाक के राजस्थान के सिरोही जिले के एक गांव में खेत हैं। इस किसान की सफलता को इसी से समझा जा सकता है कि उन्हें राजस्थान का 'सौंफ किंग' कहा जा सकता है। कह सकते हैं कि ऐसे लोगों के पास किसानों की समस्या का 'हल' है, जो ठीक से खेती नहीं कर पा रहे।

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2021 6:12 AM IST
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12th पास इस शख्स के पास है किसानों की समस्या का हल, जानिए कैसे खेती को बना दिया 'बिजनेस मॉडल'

इशाक भी पहले अन्य किसानों की तरह परंपरागत खेती करते थे। वे अपने पिता के साथ गेहूं, कपास आदि की फसल उगाते थे। इसमें मेहनत बहुत और कमाई न के बराबर थी। फिर उन्होंने 2004 में सौंफ की खेती पर ध्यान दिया। शुरुआत में संशय था, लेकिन पीछे नहीं हटे। धीरे-धीरे वे रोल मॉडल बन गए।
 

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49 वर्षीय इशाक बताते हैं कि जैसा कि आम किसानों के बारे में सब जानते हैं, उनका परिवार भी आर्थिक परेशानियों से जूझ रहा था। इसी वजह से वे 12 से ज्यादा नहीं पढ़ सके। पिता ने खेती मे हाथ बंटाने गांव बुला लिया। शुरुआत में खेती में रुचि नहीं थी। बिजनेस करना चाहते थे, लेकिन आज बिजनेसमैन उन्हें प्रभावित हैं।
 

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इशाक कहते हैं कि कुछ भी फसल उगाने से पहले यह जरूर चेक कर लें कि आपके इलाके के खेत किस फसल के लिए सही हैं। इशाक के इलाके में सौंफ की खेती अच्छी होती है। बस उन्होंने फसल का तरीका बदला। ट्रेनिंग ली और अच्छे बीज, बुआई, सिंचाई आदि के सही तरीके पर फोकस करके खेती में ध्यान लगाया।

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वे बताते हैं कि छोटी-छोटी चीजें फसल की पैदावार बढ़ा देती हैं। जैसे सौंफ की दो क्यारियों के बीच आमतौर पर लोग 2-3 फीट का गैप रखते हैं। उन्होंने जानकारी जुटाई और यह गैप 7 फीट कर दिया। इससे पैदावार दोगुनी हो गई।
 

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इशाक बताते हैं कि फसल में बीज का बड़ा योगदान रहता है। उन्होंने 2007 में पारंपरिक खेती छोड़कर सबकुछ नया तरीका अपनाया। उत्तम किस्म के बीज लाए। इससे फसल की उपज 90 प्रतिशत तक मिलने लगी। इशाक के साथ आज करीब 50 लोग काम करते हैं। इशाक सौंफ की नर्सरी भी चलाते हैं। उन्होंने एक नई किस्म भी तैयार की है। इसे ‘आबू सौंफ 440’ कहते हैं।

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इशाक द्वारा तैयार सौंफ की नई किस्म ‘आबू सौंफ 440’ की  डिमांड गुजरात और राजस्थान में लगातार बढ़ रही है। वे  हर साल 10 क्विंटल से ज्यादा सौंफ का बीज बेचते हैं। इशाक बताते हैं कि प्रति एकड़ सौंफ की खेती में 30-35 हजार रुपए का खर्चा आता है। अगर आप सही तरीके से खेती करें, तो मुनाफा बहुत है।

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