बेटी पैदा हुई है...सुनते ही उछल पड़ती है ये डॉक्टर, फीस नहीं मांगती बल्कि बांटती हैं मिठाइयां

वाराणसी. हम आज भी उस समाज में रहते हैं जहां बेटा और बेटियों में भेदभाव किया जाता है। अगर किसी के घर बेटा पैदा होता है तो लोगों खूब खुशियां मनाते हैं । वहीं अगर बेटी पैदा होती है तो मानो घर में कुछ हुआ ही न हो। हालांकि अब समाज में धीरे धीरे ही सही, पर परिवर्तन आ रहा है। लेकिन अभी भी हम देखें तो देश के कई इलाकों में लिंग अनुपात में लड़कियों की संख्या लड़कों से कम है। ऐसे में आज हम आपको एक ऐसी महिला डॉक्टर के बारे में बताने जा रहे है जो बेटियों और बेटों में भेदभाव करने वाले लोगों को मुंहतोड़ जवाब दे रही हैं। इनके नर्सिंग होम में अगर कोई बेटी जन्म लेती है तो ये एक रूपया फीस नहीं लेती बल्कि उल्टे पूरे नर्सिंग होम में मिठाईयां बंटवाती है। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 11, 2020 3:20 PM IST

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बेटी पैदा हुई है...सुनते ही उछल पड़ती है ये डॉक्टर, फीस नहीं मांगती बल्कि बांटती हैं मिठाइयां
इनका नाम है डॉ. शिप्रा धर। बीएचयू से एमबीबीएस और एमडी कर चुकीं शिप्रा धर वाराणसी में नर्सिंग होम चलाती हैं। शिपरा के इस काम में उनके पति डॉ. एमके श्रीवास्तव भी उनका बखूबी साथ देते हैं।
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कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और लड़कियों के जन्म को बढ़ाना देने के लिए ये दोनों डॉक्टर दंपति तन मन से लगे हुए हैं। वे बच्ची के जन्म पर परिवार में फैली मायूसी को दूर करने के लिए नायाब मुहीम चला रहे हैं। इसके तहत उनके नर्सिंग होम में यदि कोई महिला बच्ची को जन्म देती है, तो उससे कोई डिलिवरी चार्ज नहीं लिया जाता। इसकी जगह लोगों के बीच मिठाईयां बांटी जाती है।
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कई बार तो ऐसा होता है कि बच्ची के जन्म पर गरीबी के कारण कई लोग तो रोने भी लगते हैं। ऐसे में डॉ. शिप्रा कहती हैं कि मैं इसीलिए फीस और बेड चार्ज नहीं लेती ताकि अबोध शिशु को लोग खुशी से अपनाएं।
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शिप्रा वाराणसी के पहाड़िया के अशोक नगर इलाके में काशी मेडिकेयर के नाम से नर्सिंग होम चलाती हैं। जहां बेटी पैदा होने पर बिना पैसे के जज्जा-बच्चा दोनों का इलाज होता है। चाहे सिजेरियन डिलिवरी ही क्यों न हुई हो।
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जब वाराणसी दौरे पर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को डॉक्टर शिप्रा के बारे में पता चला तो वो काफी प्रभावित हुए थे । पीएम ने बाद में मंच से अपने संबोधन में देश के सभी डॉक्टरों से आह्वान किया था कि वे हर महीने की नौ तारीख को जन्म लेने वाली बच्चियों के लिये कोई फीस ना लें।
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बच्चों और परिवारों को कुपोषण से बचाने के लिए डॉ. शिप्रा धर अनाज बैंक भी संचालित करती हैं। वे अति निर्धन विधवा और असहाय 38 परिवारों को हर माह की पहली तारीख को अनाज उपलब्धत कराती हैं। इसमें प्रत्येक को 10 किग्रा गेहूं और 5 किग्रा चावल दिया जाता है। उनकी इस मुहिम में अब शहर के अन्य चिकित्सक भी जुड़ने लगे हैं।
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