कानपुर. भारत में अंग्रेजी बोलना या सीखना काफी हद तक बुद्धिमानी का मीटर माना जाता है। गांव में तो अंग्रेजी बोलने वाले को बी पढ़ा लिखा समझा जाता है। अंग्रेजी न बोल पाना कई बार हिंदी मीडियम बच्चों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है। वे पिछड़े और बुद्धू समझे जाते हैं। ऐसे ही कमजोर अंग्रेजी की वजह से एक छात्र को कानपुर कॉलेज में एडमिशन नहीं दिया गया पर उन्होंने इसे एक सबक के तौर पर लेकर इतनी मेहनत और लगन से पढ़ाई की और देश के बड़े अधिकारी के पद पर कब्जा जमाया। उन्होंने न सिर्फ यूपीएससी का एग्जाम क्लियर किया बल्कि भारतीय पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बन कई पुरस्कार भी जीते। आइए जानते हैं इनके संघर्ष की अनुसनी दास्तान।