पुलिस स्टेशन में पिता के साथ बदतमीजी देख बेटे ने खाई कसम पुलिसवाला ही बनूंगा, ऐसे बना IPS अफसर
कानपुर. भारत में अंग्रेजी बोलना या सीखना काफी हद तक बुद्धिमानी का मीटर माना जाता है। गांव में तो अंग्रेजी बोलने वाले को बी पढ़ा लिखा समझा जाता है। अंग्रेजी न बोल पाना कई बार हिंदी मीडियम बच्चों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है। वे पिछड़े और बुद्धू समझे जाते हैं। ऐसे ही कमजोर अंग्रेजी की वजह से एक छात्र को कानपुर कॉलेज में एडमिशन नहीं दिया गया पर उन्होंने इसे एक सबक के तौर पर लेकर इतनी मेहनत और लगन से पढ़ाई की और देश के बड़े अधिकारी के पद पर कब्जा जमाया। उन्होंने न सिर्फ यूपीएससी का एग्जाम क्लियर किया बल्कि भारतीय पुलिस में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बन कई पुरस्कार भी जीते। आइए जानते हैं इनके संघर्ष की अनुसनी दास्तान।
Asianet News Hindi | Published : Feb 3, 2020 7:10 AM IST / Updated: Feb 03 2020, 12:44 PM IST
ये कहानी है उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव के रहने वाले नवनीत सिकेरा की। नवनीत ऐसे गांव से हैं जहां बिजली नहीं थी, स्कूल नहीं थे लेकिन उनमें पढ़ने और कुछ करने का जज्बा था। उन्होंने बारहवीं से तक हिंदी मीडियम से पढ़ाई की और दिल्ली में बीएससी करने के लिए एडमिशन लेने पहुंच गए जहां हंसराज कॉलेज में उन्हें हिंदी मीडियम से होने के कारण धक्के देकर बाहर निकाल दिया।
उन्होंने बारहवीं से तक हिंदी मीडियम से पढ़ाई की और दिल्ली में बीएससी करने के लिए एडमिशन लेने पहुंच गए जहां हंसराज कॉलेज में उन्हें हिंदी मीडियम से होने के कारण धक्के देकर बाहर निकाल दिया।
देश में पुलिस महकमें सबसे काबिल और जांबाज पुलिसवाले नवनीत के लिए एक वो वक्त भी था जब उन्हें अंग्रेजी ना आने की वजह से कॉलेज का फॉर्म नहीं मिला था।
लेकिन कहते हैं ना अगर किसी काम को करने का जोश और जुनून हो तो हिंदी या अंग्रेजी क्या कोई भी नहीं रोक सकता।
नवनीत को कॉलेज का फार्म ना मिलने पर उन्होंने खुद से किताबें खरीद कर पढ़ाई की और अपनी मेहनत-लगन से एक ही बार में आईआईटी और GMAT जैसा एग्जाम क्रैक कर दिखाया।
नवनीत ने ये सफलता किसी के दम पर नहीं अपनी मेहनत और लगन से हासिल की।
नवनीत एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने अपने दम पर आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग पूरी की।
नवनीत ने अपने सपने को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत की हैं। उसी का नतीजा है कि आज वो एक सफल आईपीएस ऑफिसर हैं।
नवनीत ने अपने दम पर IIT रुड़की से इंजीनियरिंग पूरी की थी। उन्होंने बिना किसी कोचिंग के पहली बार में ही सिविल सर्विसेज का एग्जाम क्लियर किया था।
नवनीत सिकेरा ने आईपीएस बनने की तब ठानी जब एक पुलिसवाले ने उनके पिता के साथ बुरा व्यवहार किया था। उसी दिन उन्होंने ठान लिया था कि वह अब पुलिस में ही जाएंगे।
नवनीत सिकेरा ने बिना कोचिंग के पहली बार में ही सिविल एग्जाम पास किया था। वो पहली बार में ही एएसपी बन गए थे। वो उत्तर प्रदेश में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट के नाम से भी जाने जाते हैं क्योंकि वे अब तक 56 एनकाउंटर कर चुके हैं।
इसलिए जरूरी नहीं कि सफलता पाने के लिए अंग्रेजी आना हो लेकिन सक्सेस के लिए मेहनत और परिश्रम करना बहुत जरूरी है। हालांकि सिकेरा कहते हैं कि जिंदगी में सफल होने के लिए जोश होना जरूरी है टैलेंट वाले भी नकारा हो जाते हैं। काम के लिए लगन न हो तो बिना जोश के अपने टैलेंट को लोग बर्बाद करते हैं।