कौन हैं चमोली आपदा रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड करने वाली ये IPS, फहरा चुकी हैं दुनिया की 7 ऊंची चोटियों पर तिरंगा

करियर डेस्क.  IPS officer Aparna Kumar: रविवार को उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से तबाही मच गई। इस आपदा ने वादियों से भरी घाटी को तहस-नहस कर दिया। अब तक 150 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं सैकड़ों लोग लापता हैं। यहां ITBP के जवान रेस्क्यू में जुटे और इस टीम को लीड कर रही हैं IPS ऑफिसर अपर्णा कुमार। सरकार ने उत्तराखंड में जारी रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान IPS अपर्णा कुमार को सौंप दी है। अपर्णा ITBP की DIG हैं। वो एक तेड-तर्रार ऑफिसर होने के अलावा पर्वतारोही भी हैं। उनके नाम कई ऐसे रिकॉर्ड्स दर्ज हैं कि लोग सुनकर दंग रह जाते हैं। दुनिया की कोई ऐसी सबसे उंची पहाड़ी चोटी नहीं बची जहां ऑफिसर अपर्णा के कदमों के निशान न हो। आइए जानते हैं उनकी लाइफ, करियर से जुड़ी  दिलचस्प बातें-  

Asianet News Hindi | Published : Feb 8, 2021 11:00 AM IST / Updated: Feb 08 2021, 04:49 PM IST
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कौन हैं चमोली आपदा रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड करने वाली ये IPS, फहरा चुकी हैं दुनिया की 7 ऊंची चोटियों पर तिरंगा

कर्नाटक के शिवमोगा की रहने वाली अपर्णा साल 2002 कैडर की IPS ऑफिसर हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई कर्नाटक में हुई है। 12वीं के बाद इन्होंने BA-LLB की पढ़ाई की।

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अपर्णा कुमार ‘7 समिट्स', यानी दुनिया की 7 सबसे ऊंची चोटियों, पर तिरंगा फहराने वाली देश की पहली IPS ऑफिसर हैं। इन्होंने माउंट एवरेस्ट, माउंट किलिमंजारो, माउंट एल्ब्रुस, कार्सटेंस पिरामिड, विन्सन मैसिफ, माउंट एकांकागुआ और माउंट डेनाली पर चढ़ाई करने में कामयाबी हासिल की है। ये सभी चोटियां 7 अलग-अलग महाद्वीपों में हैं।

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39 साल की हुई तब शुरू किया पहाड़ों पर चढ़ना

 

जाबांज IPS अपर्णा ने अपनी जिंदगी में पहली बार 2002 में बर्फ से ढंके पहाड़ों को देखा। फिर उन्होंने अपने पर्वतारोही जुनून को साल 2013 से शुरुआत की और उस दौरान वह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिलें में 9वीं बटालियन के कमांडेंट के रूप में तैनात थीं। वे बताती हैं कि उस वक्त वो मसूरी में एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज की ट्रेनिंग कर रहीं थीं। तभी मन बना लिया था कि वो पहाड़ों पर चढ़ाई करेंगी।

 

 

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हालांकि, अपने सपने को पूरा करने के लिए पहला कदम बढ़ाने में उन्हें 11 साल लग गए। 2013 में उन्होंने माउंटेनियर फाउंडेशन का कोर्स किया। तब उनकी उम्र 39 साल हो चुकी थी और वो दो बच्चों की मां थीं।  

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2014 से चोटियों को फतह करने लगीं

 

अपर्णा माउंटेनियर कोर्स पूरा करन के एक साल बाद ही, यानी 2014 में पहली बार अफ्रीका की सबसे ऊंची माउंट किलिमंजारो (19,340 फीट) की चोटी पर चढ़ बैठीं। इसी साल ऑस्ट्रेलिया और ओशिनिया के सबसे ऊंचे पर्वत कार्स्टेंस पिरामिड (16,024 फीट) पर फतह हासिल की।
 

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2015 में अर्जेंटीना की सबसे ऊंची माउंट एकॉनकागुआ (22,840 फीट) की चोटी पर चढ़ाई की। इसी साल रूस की कोकेशियान रेंज की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रुस (18,510 फीट) पर भी चढ़ने में कामयाब हो गईं। 2016 में अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी विन्सन मासिफ (16,050 फीट) पर चढ़ाई की। 

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इसी साल दुनिया की सबसे ऊंची चोटी नेपाल की माउंट एवरेस्ट पर चढ़ बैठीं। वह यहां 23 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंचने में कामयाब रहीं। वह एवरेस्ट की चोटी पर उत्तर की ओर (चीन की ओर) से चढ़ाई कर रही थी और उनके साथ संयुक्त राज्य अमेरिका, बेल्जियम और भारत के 4 अन्य टीम के सदस्य भी थे। पूरे मिशन के दौरान उनका वजन लगभग 13.5 किलोग्राम कम हो गया था। उन्होंने भारत और यूपी पुलिस के ध्वज को एवरेस्ट की चोटी पर पहराने के बाद ही नीचे की तरफ उतरी थीं।

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2019 में माइनस 40 डिग्री तापमान में दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचीं

 

2017 में नेपाल में मौजूद दुनिया की आठवीं सबसे ऊंची चोटी माउंट मानसालु पर तिरंगा फहराया। अपर्णा दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाली पहली भारतीय ऑफिसर हैं। 2019 में वह माइनस 40 डिग्री तापमान में दक्षिणी ध्रुव तक पहुंच गई थीं। 2019 में ही उन्होंने अमेरिका की माउंट डेनाली की चढ़ाई करके 7 समिट्स पर चढ़ाई का रिकॉर्ड बना लिया था।

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2019 में IPS अपर्णा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तेंजिंग नॉर्गे नेशनल एडवेंचर अवार्ड से सम्मानित किया।
 

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उनके पति संजय कुमार भी यूपी कैडर के IAS ऑफिसर हैं। अपर्णा अपने साउथपोल फतेज सपने को पूरा करने के लिए पति को सफलता का श्रेय देती है। बिना शर्त समर्थन का आभार मानती हैं। दो बच्चों की मां होकर उन्हें पूरे परिवार का समर्थन और प्रोत्साहन मिला। जिसकी वजह से उन्होंने बड़ी-बड़ी कामयाबी हासिल की। उनकी सफलता के लिए उन्हें यूपी के  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा IPS एसोसिएशन की तरफ से सम्मानित किया गया था। 

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अपर्णा केवल उत्तर प्रदेश हीं नहीं बल्कि पूरे देश की प्रेरणा हैं। उनका रिकार्ड भारतीय लोक सेवा अधिकारियों के लिए भी एक चुनौती है। क्योंकि उन्होंने विषम परिस्थितियों और व्यस्त कार्यभार के बावजूद ऐसा अनोखा रिकार्ड अपने नाम किया। उन्होंने यह साबित कर दिया है महिलाएं साहसी खेलों के क्षेत्र में भी अपना वर्चस्व कायम कर सकती हैं। भारतीय लोक सेवा की इच्छा रखने वाले उन सभी उम्मीदवारों के लिए अपर्णा की जीवनी एक संदेश है। 

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