माता पिता करते थे मजदूरी, इन लोगों ने जो हासिल किया उसे आज सलाम करती है दुनिया

नई दिल्ली. हिंदुस्तान में कहावत है कि, युवा अगर धरती में एड़ी मारे तो पानी का स्त्रोत फूट जाए। ऐसे ही चाहे कितनी ही मुश्किलें या गरीबी क्यों न रही हो देश के युवा अपनी सफलता की कहानी लिख ही देते हैं। इसलिए हम बात कर रहे हैं साल 2019 में अपनी मेहनत और जुनून के बलबूते इतिहास लिख चुके योद्धाओं की। साल 2019 में कुछ मेधावियों ने यूपीएससी (UPSC), जेईई (JEE) और जैसे हार्ड कंपीटिशन एग्जाम क्लियर किए हैं और गौर करने वाली बात ये है कि ये गरीब बच्चे हैं जिनके पास सुविधाओं को कमी थी।

Asianet News Hindi | Published : Dec 30, 2019 3:10 PM IST
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माता पिता करते थे मजदूरी, इन लोगों ने जो हासिल किया उसे आज सलाम करती है दुनिया
मजदूर की बेटी बन गई अफसर- सबसे पहले बात करें तो एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी ने सिविल सेवा परीक्षा क्लियर कर सबको चौंका दिया था। केरल के वायनाड जिले की रहने वाली श्रीधन्या सुरेश ने सिविल सेवा परीक्षा में 410 वीं रैंक हासिल की। केरल में अपने समुदाय से ताल्लुक रखने वाली पहली महिला हैं जिसने यह परीक्षा पास की है। उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में ये रैंक हासिल की। श्रीधन्या के पिता एक दिहाड़ी मजदूर हैं, जो गांव की बाजार में ही धनुष और तीर बेचने का काम करते हैं। इतने गरीब परिवार में जन्म लेने की वजह से श्रीधन्या को बचपन से ही बुनियादी सुविधाओं का अभाव रहा। उनके पिता ने मनरेगा में मजदूरी करके अपने बच्चों को पाला था और बेटी ने अफसर बनकर इतिहास रच दिया।
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मोमबत्‍ती की रोशनी में पढ़कर बना इंजीनियर- राजस्थान के मनरेगा से ताल्‍लुक रखने वाले 18 साल के लेखराज भील ने जेईई (JEE Main) की परीक्षा में सफलता हासिल की। लेखराज भील के पिता मजदूर हैं, वहीं लेखराज ने मोमबत्‍ती की रोशनी में पढ़कर ये सफलता हासिल की। वे अपने गांव में जेईई परीक्षा पास करने वाले पहले लड़के हैं। बेटे की सफलता पर पिता मांगीलाल ने इंटरव्यू देते हुए कहा था, कि मुझे नहीं पता था कि एक इंजीनियर होता क्या है? मैंने सोचा भी नहीं था इसे पढ़ा भी पाउंगा लेकिन इसने समुदाय में पहला इंजीनियर बनकर मेरा सिर ऊंचा कर दिया।
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मजदूर की बेटी ने किया टॉप- हरियाणा के कैथल जिले की रहने वाली 16 वर्षीय ईशा देवी ने प्रदेश में टॉप किया किया था। ईशा ने 10वीं में 500 में से 497 अंक हासिल किए हैं। उन्‍होंने अंग्रेजी, गणित और संस्कृत में 100 मार्क्‍स पाएं। ईशा के पिता मजदूर हैं। ईशा ने कहा कि आर्थिक तंगी की वजह से पैरेंट्स को तमाम तरह की मुश्‍किलों का सामना करना पड़ा लेकिन उन्‍होंने कभी ये महसूस नहीं कराया। शशि ने हाल NEET की प्रवेश परीक्षा में टॉप किया है। दिल्ली सरकार की जय भीम मुख्यमंत्री मुद्रा योजना से मदद लेकर शशि ने NEET की प्रवेश परीक्षा में सफलता पाई।
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जिस कॉलेज में था गार्ड वहीं लिया एडमिशन- देश के सबसे प्रतिष्‍ठित संस्‍थान में शुमार जवाहर लाल यूनिवर्सिटी (JNU) से पढ़ाई करना ज्‍यादातर स्‍टूडेंट्स का सपना होता है। साल 2019 में यहां के एक सिक्‍योरिटी गार्ड ने एंट्रेस परीक्षा पास कर एडमिशन लेकर सबको चौंका दिया। जेएनयू में सिक्‍योरिटी गार्ड के रूप में तैनात राजमल मीना ने यहां बीए रूस ऑनर्स प्रोगाम की प्रवेश परीक्षा पास की थी। अब वे यहां तैनाती नहीं देंगे बल्कि स्‍टूडेंट बनकर पढ़ाई करेंगे। राजस्‍थान के भजेरा गांव से ताल्‍लुक रखने वाले राजमल एक मजदूर के बेटे हैं इसलिए वे पढ़ाई नहीं कर पाए, क्‍योंकि उनके घर के सबसे पास स्‍कूल की दूरी 28 से 30 किलोमीटर थी। इस बारे में मीडिया से बात करते हुए राजमल ने बताया कि, मैं जब साल 2014 में जेएनयू आया था तो यहां पढ़ाई का माहौल देखकर बहुत प्रभावित हुआ था। इसके बाद से मैंने यहां पढ़ने के बारे में सोचने लगा था।
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