ऐश्वर्या-अभिषेक ने लिए जिस पेड़ के नीचे फेरे, जिसके आसपास खेलकर बड़े हुए बच्चे, वो हुआ धराशायी

मुंबई. भारत में भी इस वायरस को लेकर दहशत कम नहीं है। कई लोग अभी भी इस वायरस की चपेट में है। वैसे, देश में लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हैं लॉकडाउन हटा दिया गया है और अनलॉक 2 में भी लोगों को और ज्यादा सुविधाएं दी जा रही है। हालांकि, आमजनों की तरह ही बॉलीवुड सेलेब्स भी जरूरत के हिसाब से ही घर से बाहर निकल रहे हैं। ऐसे में सेलेब्स से जुड़े कई किस्से-कहानियों, फोटोज और वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। इसी बीच अमिताभ बच्चन ने लेटेस्ट ब्लॉग में लिखा कि उन्होंने भारी मन से उस पेड़ को अलव‍िदा कहा, जो उनके बंगले प्रतीक्षा में सालों से खड़ा था। ब्लॉग में उन्होंने अपने मां-बाबूजी से लेकर अभ‍िषेक बच्चन-ऐश्वर्या राय की शादी तक के किस्से भी शेयर किए,जो इस घर से और वहां खड़े उस पेड़ से जुड़े थे। इसके अलावा भी उन्होंने अपने घर से जुड़ी कई सारी बातें शेयर की।

Asianet News Hindi | Published : Jul 5, 2020 12:38 PM IST / Updated: Jul 08 2020, 10:10 AM IST

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ऐश्वर्या-अभिषेक ने लिए जिस पेड़ के नीचे फेरे, जिसके आसपास खेलकर बड़े हुए बच्चे, वो हुआ धराशायी

अमिताभ ने ब्लॉग में लिखा- 'इसने (गुलमोहर के पेड़ ने) अपना सेवाकाल समाप्त किया और अब गिर चुका है। अपनी जड़ों से टूटकर अलग गिर चुका है...और इसी के साथ इसकी 43 साल पुराना इत‍िहास भी गिर गया है। इसकी जिंदगी और वह सब कुछ जिसका वह प्रतिनिध‍ित्व करता था।' 

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उन्होंने बताया कि ये पेड़ किस तरह उनके हर सुख-दुख का साक्षी बना। उन्होंने लिखा- 'बच्चे इसके आसपास खेलकर बड़े हुए, इसी तरह पोते-पोतियां भी, उनके जन्मदिन और त्योहारों की खुशियां भी इस गुलमोहर के पेड़ के साथ सजी।

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अमिताभ ने आगे लिखा- 'बच्चों ने इससे कुछ ही फीट की दूरी पर शादी की और यह उनके ऊपर अभिभावक की तरह था। जब मां बाबूजी का निधन हुआ तब इसकी शाखाएं दुख से झुक गई थीं। उनकी प्रार्थना सभा, 13वें दिन शोक की छाया थी।'

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'इसकी शाखाएं दुख और शोक के भार से झुक गई थीं, जब इसके वरिष्ठ बाबूजी, मां जी चले गए थे। उनके जाने के 13 और 12 दिन बाद हुई उनकी प्रार्थना सभा के दौरान सभी इसकी छाया में खड़े थे। जब होली के उत्सव के एक दिन पहले बुरी शक्तियों को जलाया जाता है, इसी तरह दीपावली की सारी रोशनी इसकी शाखाओं को निहारती थी। और आज वो सभी दुखों से दूर चुपचाप गिर गया, बिना किसी आत्मा को नुकसान पहुंचाए... नीचे फिसला और वहां अचेत हो गया...'

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उन्होंने आगे लिखा- 1976 में जिस दिन हम अपने पहले घर में आए थे, जिसे इस पीढ़ी ने कभी खरीदा और बनाया था, और इसे अपना कहा था। इसे एक पौधे के रूप में लगाया गया था, तब ये सिर्फ कुछ इंच ऊंचा था... और इसे लॉन के बीच में लगाया गया था। 

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अमिताभ ने घर का नाम 'प्रतीक्षा' रखने की वजह भी बताई। उन्होंने लिखा-  'हमने बाबू जी और मां को अपने साथ रहने के लिए कहा। बाबू जी ने घर को देखा और इसका नाम दिया प्रतीक्षा। यह उनकी एक रचना की पंक्ति से आया है, स्वागत सबके लिए यहां पर, नहीं किसी के लिए प्रतीक्षा।

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