उन्हें एक्टिंग करने का जुनून था और यही कारण था कि प्रोड्यूसर्स के ठुकराने के बाद भी उन्होंने एक्टिंग को नहीं छोड़ा और थिएटर की तरफ रुख किया। 1971 में डायरेक्टर सुखदेव ने उन्हें 'रेशमा और शेरा' के लिए साइन किया, लेकिन उस वक्त तक उनकी उम्र 40 साल के करीब हो चुकी थी। हालांकि, फिल्म में अमरीश को ज्यादा रोल नहीं दिया गया, जिस वजह से उन्हें अपनी पहचान बनाने में और समय लगा।